Advertisment

Drug department : नकली दवाओं के कारोबार पर कब लगेगी रोक?

गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और शहरी केंद्र है, लेकिन यहाँ नकली दवाओं का कारोबार एक गंभीर और चिंताजनक समस्या बन चुका है। जब देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, वहीं गाज़ियाबाद में नकली दवाओं

author-image
Syed Ali Mehndi
नकली दावों का कारोबार

नकली दावों का कारोबार

गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और शहरी केंद्र है, लेकिन यहाँ नकली दवाओं का कारोबार एक गंभीर और चिंताजनक समस्या बन चुका है। जब देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, वहीं गाज़ियाबाद में नकली दवाओं का खुलेआम व्यापार यह दर्शाता है कि औषधि विभाग और जिला प्रशासन इस विषय में कितने लापरवाह हैं।

 नियमित जांच का आभाव 

नकली दवाएं न केवल मरीजों के स्वास्थ्य के लिए घातक हैं, बल्कि यह पूरे चिकित्सा तंत्र पर से लोगों का भरोसा उठाने का कारण बनती हैं। गाज़ियाबाद में कई रिपोर्टों और छापों के बाद भी नकली दवाओं का यह कारोबार बदस्तूर जारी है। यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर क्यों जिला प्रशासन और औषधि नियंत्रण विभाग इस पर ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।औषधि विभाग का कार्य है कि वह दवा दुकानों, थोक विक्रेताओं और निर्माण इकाइयों की नियमित जांच करे। परंतु, गाज़ियाबाद में यह जांच औपचारिकता मात्र बन कर रह गई है। जिन स्थानों पर पहले छापे पड़े हैं, वहां कुछ दिनों तक तो कार्रवाई दिखती है, लेकिन कुछ समय बाद वही पुराना खेल शुरू हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे विभाग और माफियाओं के बीच एक ‘समझौता’ हो गया हो।

 प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका

दूसरी ओर, जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कानून व्यवस्था और जनस्वास्थ्य की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है, लेकिन जब तक मीडिया या कोई बड़ी जन शिकायत न हो, तब तक प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता। कई बार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती, जिससे माफियाओं के हौसले और बढ़ जाते हैं।इस लापरवाही के पीछे दो मुख्य कारण नजर आते हैं – एक तो भ्रष्टाचार, और दूसरा जिम्मेदारियों से बचने की प्रवृत्ति। औषधि विभाग के कुछ अधिकारियों पर यह आरोप भी लगे हैं कि वे नकली दवाओं के कारोबारियों से घूस लेकर उन्हें बचाते हैं। वहीं जिला प्रशासन अक्सर इस बात को ‘नीति निर्धारण का विषय’ कहकर टाल देता है।

 नियमों का सख़्ती से पालन

इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक है कि औषधि विभाग की जवाबदेही तय की जाए, और जिला प्रशासन को नियमित निरीक्षण व रिपोर्टिंग की बाध्यता दी जाए। इसके साथ ही, आम नागरिकों को भी जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे नकली दवाओं की पहचान कर सकें और तुरंत इसकी सूचना संबंधित विभागों को दें।जब तक सख्त कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाएगा और प्रशासनिक तंत्र जवाबदेह नहीं होगा, तब तक गाज़ियाबाद में नकली दवाओं के कारोबार पर रोक लगाना केवल एक सपना ही रहेगा। इस विषय पर ठोस नीति, दृढ़ इच्छाशक्ति और जन सहयोग की नितांत आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य मिल सके।

Advertisment
Advertisment