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भारतीय किसान यूनियन
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
देहात क्षेत्र में नगर निगम द्वारा बनाए जा रहे डंपिंग ग्राउंड के खिलाफ किसानों ने जिला मुख्यालय पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस आंदोलन का नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन (क्रिकेट) के जिला अध्यक्ष बिजेंद्र चौधरी ने किया। किसानों का कहना है कि डंपिंग ग्राउंड यदि देहात क्षेत्र में बना तो इसका सीधा असर ग्रामीणों की सेहत, खेती-किसानी और पर्यावरण पर पड़ेगा, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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भारतीय किसान यूनियन
प्रदर्शन के दौरान किसानों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देहात क्षेत्र, जहां लोग खेती पर निर्भर हैं, वहां कूड़ा-कचरा डालना न केवल प्राकृतिक संसाधनों का अपमान है बल्कि स्थानीय जनता के जीवन के अधिकार का भी हनन है। बिजेंद्र चौधरी ने स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन ने मनमाने ढंग से यह निर्णय लिया है, जिसमें न तो स्थानीय लोगों से सलाह ली गई और न ही पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन किया गया। उनका कहना था कि प्रशासन बड़ौदा क्षेत्र में डंपिंग ग्राउंड बनाने की कोशिश कर रहा है, जिससे वहां के लोगों में भारी आक्रोश है।
क्षेत्र वासियों का विरोध
किसानों का यह भी कहना है कि डंपिंग ग्राउंड से भूजल प्रदूषित हो जाएगा, पशुधन को खतरा होगा और खेतों की उर्वरता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीणों को डर है कि यह डंपिंग साइट अनेक बीमारियों की जड़ बन सकती है। भारतीय किसान यूनियन ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि ग्रामीणों की बात नहीं सुनी गई और प्रस्तावित डंपिंग ग्राउंड योजना को वापस नहीं लिया गया, तो यूनियन गांव-गांव जाकर लोगों को संगठित करेगी और यह आंदोलन जिला व्यापी रूप लेगा।
शामिल हुए ग्रामीण
प्रदर्शन में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए, जिनमें महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी मौजूद थे। उन्होंने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर “ग्रामीण क्षेत्र में कूड़ा नहीं चाहिए”, “हमें स्वच्छ हवा और जल चाहिए” जैसे नारे लिखे थे। यह प्रदर्शन इस बात का प्रतीक बन गया है कि ग्रामीण जनता अब अपने अधिकारों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एकजुट होकर खड़ी हो रही है।
बेहद गंभीर मामला
अब यह जिला प्रशासन पर निर्भर करता है कि वह इस जनाक्रोश को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वह जनता की बात सुनकर डंपिंग ग्राउंड का स्थान किसी उपयुक्त, निर्जन और गैर-कृषि क्षेत्र में स्थानांतरित करता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह मामला एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। देहात क्षेत्र में डंपिंग ग्राउंड बनाने की योजना न केवल असंवेदनशील है, बल्कि अव्यवहारिक भी है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह ग्रामीणों की भावनाओं और पर्यावरणीय चिंताओं का सम्मान करे और जनहित में कोई दूरदर्शी और टिकाऊ निर्णय ले।