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बकरा मंडी
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
आगामी 7 जून को मनाई जाने वाली ईद अल-अज़ा (बकरीद) की तैयारियाँ जोरों पर हैं। इस त्यौहार पर दी जाने वाली कुर्बानी के लिए बकरा बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है। खास बात यह है कि इस बार बाजार में बकरे राजस्थान और हैदराबाद से लाए गए हैं, जिनकी कीमतें 3 लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक पहुँच रही हैं। ये बकरे न सिर्फ अपने वजन और नस्ल के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि इन्हें विशेष आहार और सजावट के साथ पेश किया जा रहा है।
तोतापरी और दुंबा
मसूरी के व्यापारी शाहरुख ने बताया कि सबसे सस्ती नस्ल "तोतापुरी" है, जो राजस्थान के बाड़मेर क्षेत्र से लाई जाती है। ये बकरे आकार में छोटे होते हैं लेकिन कुर्बानी के लिहाज से इनकी भी मांग है। वहीं दूसरी ओर, हैदराबाद से आए “दुंबा” नस्ल के बकरे काफी भारी, लंबे और ऊँचे होते हैं। इनकी विशेष देखभाल की जाती है, जिनमें दूध, ड्राई फ्रूट्स और प्रोटीन युक्त आहार शामिल है ताकि वजन और आकार तेजी से बढ़ सके। व्यापारी सलमान बताते हैं कि इन बकरों की कीमत उनकी नस्ल, वजन और देखभाल के आधार पर निर्धारित की जाती है। कुछ बकरों की कीमत 8 से 10 लाख रुपए तक है, जिन्हें ‘शो बकरे’ कहा जाता है। इन बकरों को सजाने के लिए महँगी मेहंदी, रंग-बिरंगे कपड़े, घुंघरू और झूमर तक इस्तेमाल किए जाते हैं ताकि वे अधिक आकर्षक दिखें और खरीदारों का ध्यान खींचें।
मुस्लिम बहुल क्षेत्र में धूम
गाजियाबाद के पसोंडा, केला भट्टा, महाराजपुर और अन्य इलाकों में इन बकरों की बिक्री धूमधाम से चल रही है। लोगों में बकरे की नस्ल, वजन और खूबसूरती को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। कुर्बानी के इस त्यौहार पर लोग धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ध्यान में रखते हुए बकरे खरीद रहे हैं। इस बार के बाजार में बकरों की कीमतों और विविधता ने यह साबित कर दिया है कि बकरीद केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक उत्सव का रूप भी ले चुकी है। यह अवसर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पशुपालन और व्यापार से जुड़े लोगों के लिए भी आर्थिक अवसर बन जाता है।