गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। जहां शार्ट सर्किट के चलते आग लगने की घटनाएं दिनों दिन बढ रही है। लेकिन देखा जाए तो आग लगने के चलते होने वाले नुकसान के प्रति लोगों में दूर तक भी खौफ नहीं है। जीडीए के द्वारा विकसित आवासीय कालोनियों में घरों के बाहर से निकल रहे बिजली के तारों को घर की दीवारी के भीतर शामिल करने का दौर थम नहीं रहा है।
सवाल ये उठ रहा है घरों की चारदीवारी के भीतर शामिल किए जा रहे इन बिजली के तारों में शार्ट सर्किट के चलते यदि किसी तरह की जनहानि होती है तो कौन जिम्मेदार होगा। दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति ये है कि इस तरफ न तो बिजली विभाग ही ध्यान दे रहा है और न ही जीडीए का प्रवर्तन विभाग ही इस तरफ देख रहा है। जानकार बताते है कि कई मामलों में तो बिजली विभाग के स्टाफ के द्वारा घर के बाहर लगे वि़द्युत के पोल तक शिफट किए जाने का खेल किया जा रहा है।
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जनहित में उठी आवाज
सामाजिक कार्यकर्ता डा सुनील वैध के द्वारा वैशाली सेक्टर 5 के कल्पना के भवन संख्या 78 में भवन से लगे बिजली के तारों को भवन मे शामिल किए जाने का मुददा लिखित में जीडीए के प्रवर्तन जोन छह के प्रभारी अधिशासी अभियंता के सामने उठाया है। लेटर की प्रति मुख्यमंत्री,मेरठ मंडलायुक्त,जिलाधिकारी को भेजी गई है। लेटर में उल्लेख किया गया कि ग्रीनबेल्ट की जमीन के हिस्से को कब्जे में लेते हुए दो अंतिरिक्त मंजिल का निर्माण कर लिया गया। बताते है कि ये हालात वैशाली कालोनी तक ही सीमित नहीं है,बल्कि जीडीए केद्वारा विकसित दूसरी कालोनियों में भी इसी तरह के हालात देखे जा सकते है।