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Wave city
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद की हाईटेक सिटी के रूप में उभरी वेव सिटी में भले ही जमीन के भाव भी आसमां छू रहे है लोगों का रूझान वेव सिटी की तरफ दिखाई दे रहा है, एक दम से लोगों में वेव सिटी में आशियाना बनाने का क्रेज उमड़ा है लेकिन अंदर की बात करें तो यहा पर स्थानी लोगों का शोषण भी हो रहा है, आए दिन प्रीपेड बिजली और मेंटेनेंस के नाम पर लूट चल रही है, लोग परेशान है, सुनने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा है, वेव सिटी के एप के नाम पर अच्छा खेला चल रहा है।
सुनवाई के नाम पर खेल
जिन्होंने वेव सिटी के अंदर रहना शुरू कर दिया है वह इस बात के भुक्तभोगी है,कई बार तो मामला भी पुलिस थाने तक पहुंच जाता है लेकिन वहा भी सुनवाई के नाम खेला ही रहता है और इसमें कोई लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। जानकारी के अनुसार वेव सिटी के प्रोजेक्टर एग्जूटिव फ्लॉवर में अच्छी खासी संख्या में निवासी निवास करते है,
बिजली बिल का खेल
कुछ लोगों ने अपने फ्लैट किराए पर भी दे रखे है, अच्छी खासी संख्या में किराएदार भी इस सोसाइटी में निवास करते है, लेकिन यहां एक बड़ा खेल वेव सिटी वालों ने कर दिया है, प्रीपेड मीटर से अब मेंटेंस का चार्ज भी वसूलना शुरू कर दिया है , यहां तो ठीक था लेकिन वह बकाया भी इससे काट रहे है लेकिन सबसे बडी हटधर्मिता यह है कि वह किस हिसाब से मेंटेनेंस काट रहे है.उसका कोई पता नहीं है।
1 दिन में तीन बिल
ऐसा की मामला उस समय उजागर हुआ जब एक रेजिडेंस का एक दिन में ही तीन तरह का बिल शो हुआ है, वो तो उसने ध्यान कर लिया वरना तो इस तरह का खेला पता नहीं कब से वेव सिटी में चल रहा है, तीन मार्च को 4:50 पर बिल माईनेस में 822 दिखाई दिया तो तीन मार्च को ही 9:08 पर माइनेंस में 693 रुपए दिखाई दिए तो कुछ देर बाद इसी समय पर माइनेंस में 404 रुपए सौ करते दिखाई दिए।
प्रीपेड मीटर की लूट
अब इसे एप के नाम पर खेला नहीं कहेंगे तो या कहेंगे। जहां भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग हाईराइज सोसाइटी में रहकर आराम की जिंदगी जिना चाहते है वहीं मेंटेनेंस और बिजली के नाम पर यह खेला चल रहा है। सोसइटी में निवास करने वाले मनोज चौधरी, प्रेमपाल, त्रिपाठी ने बताया कि अगर एप पर पैसा बंद करें तो बिजली काट देते है,जिससे घर के लोग भी परेशान होते है, उन्होंने बताया कि इस तरह से बिल्डर हटधर्मिता पर उतारू हो गया है, सोसाइटी में कोई खास सुविधा नहीं मिल रही है और फिर भी भारी भरकम रकम मेंटेनेंस के नाम पर वसूली की जा रही है। इस तरह से रेजिडेंस को परेशान किया जा रहा है।
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