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भाजपा पार्षद को अतिक्रमण का नोटिस
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम ने शहर में दिनोंदिन बढ़ते अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। इस अभियान की खास बात यह है कि इसमें किसी प्रकार की राजनीतिक या पद की रियायत नहीं दी जा रही। इसी क्रम में नगर निगम ने वार्ड नंबर 98 के पार्षद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अनिल तोमर को भी अतिक्रमण हटाने का नोटिस थमा दिया है।
वार्ड नंबर 98 का मामला
निगम के निर्माण विभाग की ओर से जारी इस नोटिस में कहा गया है कि अहिंसा खंड-2 क्षेत्र में जनरेटर सहित अन्य निर्माण कार्य अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें 15 दिनों के भीतर स्वयं हटा लिया जाए। नोटिस में स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समयसीमा में अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो नगर निगम खुद कार्रवाई करेगा और इस पूरी प्रक्रिया का खर्च संबंधित व्यक्ति से वसूला जाएगा। यह पहला अवसर है जब नगर निगम ने अपने ही किसी निर्वाचित पार्षद के खिलाफ इतनी स्पष्ट और सख्त कार्रवाई की है। इससे यह संकेत मिलता है कि नगर निगम अतिक्रमण के मुद्दे पर बिना किसी भेदभाव के काम कर रहा है। यह कदम न केवल पारदर्शिता की दिशा में एक अच्छा संकेत है, बल्कि शहरवासियों को भी यह संदेश देता है कि नियम सभी के लिए समान हैं।
पार्षद ने किया स्वीकार
इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्षद अनिल तोमर ने काफी परिपक्वता और जिम्मेदारी दिखाई। उन्होंने स्वीकार किया कि अतिक्रमण को हटाने का नोटिस सिर्फ उन्हें ही नहीं, बल्कि इलाके के अन्य निवासियों को भी दिया गया है। उन्होंने नगर निगम की इस पहल का स्वागत किया और कहा कि वह तय समय सीमा के भीतर अपने जनरेटर को स्वयं हटवा देंगे। साथ ही उन्होंने अपने क्षेत्र के अन्य नागरिकों से भी अपील की कि वे निगम की इस मुहिम में पूरा सहयोग दें और स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाएं। यह स्थिति इसलिए भी सराहनीय है क्योंकि सामान्यतः जनप्रतिनिधि सरकारी कार्यवाहियों से खुद को अलग रखने की कोशिश करते हैं या उन्हें चुनौती देते हैं। लेकिन पार्षद अनिल तोमर ने निगम के आदेश का पालन करने की बात कहकर एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
निगम की कड़ी कार्रवाई
नगर निगम का यह अभियान आने वाले समय में शहर की सड़कों, फुटपाथों और सार्वजनिक स्थलों को अतिक्रमण से मुक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यदि इसी तरह बिना भेदभाव के कार्रवाई जारी रही, तो गाजियाबाद में ट्रैफिक जाम, पैदल चलने में असुविधा और अवैध निर्माण जैसी समस्याओं में निश्चित रूप से कमी आएगी।इस पूरे घटनाक्रम ने यह दिखा दिया है कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति हो और जनप्रतिनिधि सहयोग करें, तो किसी भी जटिल समस्या का समाधान संभव है। अतिक्रमण हटाओ अभियान की यह निष्पक्ष शुरुआत शहर के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।
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