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ट्रांसफार्मर में आग Photograph: (फाइल फोटो)
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
प्रदेश में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए शासन और ऊर्जा निगम द्वारा हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, मात्र एक माह के भीतर 100 से अधिक ट्रांसफॉर्मर फुंक चुके हैं। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह बिजली विभाग की लापरवाही और कागजी योजनाओं की पोल भी खोलता है।
मांग और आपूर्ति में अंतर
गर्मी का मौसम शुरू होते ही बिजली की मांग में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होती है। इसके मद्देनज़र शासन ने पहले ही ओवरलोड ट्रांसफॉर्मर्स की क्षमता बढ़ाने के आदेश दिए थे। वर्ष 2024-25 के लिए इस उद्देश्य से करोड़ों रुपये की धनराशि भी जारी की गई थी। अधिकारियों द्वारा कई ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता में वृद्धि की गई, लेकिन इसके बाद भी ट्रांसफॉर्मरों के जलने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
वर्कशॉप में लगा ढेर
ऊर्जा निगम की वर्कशॉप में प्रतिदिन लगभग 18 ट्रांसफॉर्मर (250 केवीए तक की क्षमता वाले) मरम्मत के लिए लाए जा रहे हैं। वहीं 250 केवीए से अधिक क्षमता वाले 6 से 8 ट्रांसफॉर्मर भी प्रतिदिन खराब हो रहे हैं। कुछ ट्रांसफॉर्मर मौके पर ही ठीक कर दिए जाते हैं, लेकिन गंभीर स्थिति में कंपनी को नया ट्रांसफॉर्मर भेजना पड़ता है।
जनता परेशान
इससे आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के इस मौसम में बिजली कटौती के चलते लोग न केवल पसीने से तर-बतर हैं, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। कई क्षेत्रों में दो-दो दिन तक बिजली नहीं रहती, जिससे पानी की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है।
विभाग लापरवाह
ऊर्जा निगम के नियमों के अनुसार, किसी भी जोन में ट्रांसफॉर्मर जलने की स्थिति में संबंधित एसडीओ और जेई की जवाबदेही तय होती है। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया मात्र औपचारिकता बन कर रह गई है। अधिकारियों पर किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे लापरवाही को बढ़ावा मिल रहा है।
अधिकारी बोले
हालांकि, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कई ट्रांसफॉर्मर पुराने और जर्जर हो चुके हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से बदला जा रहा है। कुछ मामलों में ट्रांसफॉर्मर के अंदर तकनीकी खामियां आने के कारण भी फुंकने की घटनाएं हो रही हैं। एक अधीक्षण अभियंता के अनुसार, हाल के दिनों में कई ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता में वृद्धि की गई है, जिससे कुछ हद तक सुधार हुआ है।
ईमानदारी और अनुशासन जरूरी
फिर भी यह स्पष्ट है कि जब तक ट्रांसफॉर्मर की गुणवत्ता, रखरखाव और निगरानी व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जाता, तब तक आम जनता को बिजली संकट से राहत मिलना मुश्किल है। शासन को चाहिए कि वह केवल धन आवंटन तक सीमित न रहे, बल्कि ज़मीनी स्तर पर जिम्मेदारियों की सख्ती से समीक्षा करे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे।