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ऊर्जा निगम
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
जिले में बिजली चोरी पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए ऊर्जा निगम ने तकनीक का सहारा लेते हुए एक नई प्रणाली लागू करने की शुरुआत कर दी है। इसके तहत अब ट्रांसफार्मरों और खंभों पर यूनिक क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। इन क्यूआर कोड्स की मदद से न केवल बिजली चोरी का आसानी से पता लगाया जा सकेगा, बल्कि क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति, खपत और लोड के उतार-चढ़ाव की निगरानी भी हो सकेगी।
तीन चरणों की योजना
ऊर्जा निगम के अधिकारियों के अनुसार, पहले चरण में इस योजना को हाईलाइन लॉस वाले क्षेत्रों में लागू किया जाएगा, जहां सबसे अधिक बिजली चोरी और नुकसान दर्ज किया गया है। खंभों और ट्रांसफार्मरों पर लगाए जा रहे यूनिक क्यूआर कोड स्मार्ट मीटर से जुड़े होंगे। यह सिस्टम रियल-टाइम डेटा साझा करेगा, जिससे यह जानकारी मिल सकेगी कि ट्रांसफार्मर पर किस समय कितना लोड पड़ा और उसमें कितनी खपत हुई।इस नई व्यवस्था के माध्यम से खंभों से चोरी की जा रही बिजली की निगरानी सीधे स्मार्ट मीटर से जुड़े डेटा से हो सकेगी। जब कोई अधिकारी क्यूआर कोड को स्कैन करेगा, तो उसे उस खंभे या ट्रांसफार्मर से जुड़ी पूरी जानकारी जैसे कुल आपूर्ति, खपत, ओवरलोडिंग या अंडरलोडिंग जैसी स्थिति का विवरण प्राप्त होगा। इससे समय पर कार्रवाई संभव हो सकेगी।
कई समस्याओं का निस्तारण
ऊर्जा निगम का मानना है कि इस तरह की तकनीकी पहल न केवल बिजली चोरी पर अंकुश लगाएगी, बल्कि ट्रांसफार्मरों के फुंकने, ओवरलोडिंग जैसी समस्याओं को भी रोकेगी। साथ ही, यह उपभोक्ताओं को स्थिर व गुणवत्ता युक्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहायक होगी। अधिकारियों ने बताया कि योजना के सफल क्रियान्वयन के बाद इसे जिले भर में लागू किया जाएगा। यह प्रणाली पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ जवाबदेही भी तय करेगी। इससे अधिकारी यह भी देख सकेंगे कि किन क्षेत्रों में असमान खपत हो रही है या अचानक लोड में इजाफा हुआ है। भविष्य में यह पहल पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रोल मॉडल के रूप में अपनाई जा सकती है।
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