गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
भारत माता सांस्कृतिक संस्थान द्वारा ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से एक विशेष प्रेस वार्ता का आयोजन आरडीसी स्थित एक रेस्टोरेंट में किया गया। संस्थान के अध्यक्ष विजय कुमार ने इस अवसर पर बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक केवल एक राजा के सिंहासन पर बैठने की घटना नहीं थी, बल्कि यह हिन्दू पदपादशाही की पुनर्स्थापना और स्वराज के नवजागरण का प्रतीक बन गया। उनके राज्याभिषेक के पश्चात मुगल साम्राज्य का निरंकुश शासन क्रमशः सीमित होता गया और अंततः केवल औपचारिकता भर रह गया।
शिवराज्याभिषेक समारोह
संस्थान के सदस्य विपुल कुमार ने जानकारी दी कि इस वर्ष भी पूर्व वर्षों की भांति शिवराज्याभिषेक समारोह भव्य स्तर पर आगामी 8 जून को नवयुग मार्केट स्थित शहीद पथ पर आयोजित किया जाएगा। इस विशेष आयोजन में मेवाड़ के महाराजा एवं महाराणा प्रताप की 77वीं पीढ़ी के वंशज विश्वराज सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता होंगे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता उद्योगपति एवं समाजसेवी राहुल सिंह करेंगे।
थिएटर का विशेष मंचन
इस अवसर को जीवंत और प्रेरणादायी बनाने हेतु 'नाटकबाज थियेटर' की ओर से एक विशेष मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा, संस्थान के सदस्य सुशील कुमार ने बताया कि इस ऐतिहासिक आयोजन में परंपरा और संस्कृति की झलक दिखाते हुए कलश यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें महिला विहिनी द्वारा पारंपरिक तलवारबाजी का प्रदर्शन विशेष आकर्षण रहेगा। बुलेट मोटरसाइकिलों पर सुसज्जित महिला जत्था, बाल शिवा, माता जीजाबाई, महाराणा प्रताप और रानी अबक्का के वेश में सजे बालक भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।
कलश यात्रा का आयोजन
कार्यक्रम की विशेषता यह होगी कि मंच पर बाल शिवा का राज्याभिषेक माता जीजाबाई द्वारा मंत्रोच्चार के साथ किया जाएगा, जिससे बच्चों में भारतीय इतिहास के प्रति गर्व और संस्कार का भाव विकसित हो। प्रचार प्रमुख विपिन त्यागी ने बताया कि इस आयोजन को लेकर संस्थान पिछले दो महीनों से सक्रिय रूप से तैयारियों में जुटा है। बाल शिवा बनने के लिए बच्चों के आवेदन प्राप्त हो रहे हैं और महिलाओं में कलश यात्रा को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है। यह कार्यक्रम न केवल इतिहास की पुनर्स्मृति है, बल्कि राष्ट्रभक्ति, संस्कृति और गौरव की भावना को प्रज्वलित करने का एक प्रेरक माध्यम भी है।