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पौधारोपण
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता ८
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) गाजियाबाद शाखा एवं माइक्रोलैब्स के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन आईएमए भवन पर किया गया। इस अवसर पर प्लांटेशन, बोनसाई फॉरमेशन और ईकोब्रिक निर्माण जैसी पर्यावरण हितैषी विधियों पर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यक्रम का उद्देश्य चिकित्सकों और समाज के अन्य वर्गों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूक और सक्रिय करना था।कार्यक्रम की शुरुआत पौधारोपण से हुई, जिसमें डॉक्टरों ने विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाकर हरित वातावरण के महत्व को रेखांकित किया। इसके बाद ईकोब्रिक निर्माण की कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉक्टर सरिता आनंद ने प्लास्टिक कचरे से ईकोब्रिक बनाने की सरल व कारगर विधियां प्रतिभागियों को समझाईं। ईकोब्रिक एक ऐसी पर्यावरण मित्र तकनीक है, जिसमें प्लास्टिक की बोतलों में साफ-सुथरे और कसे हुए प्लास्टिक कचरे को भरकर निर्माण कार्यों में उपयोग लायक ईंटें बनाई जाती हैं।
प्रदूषण के दुष्प्रभाव
कार्यक्रम में डॉक्टर अंजना सभरवाल एवं डॉ. सरला मेहता ने भी पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी व्यावहारिक बातें साझा कीं। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण और उसके मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर आईएमए की ओर से प्रतिभागियों को पर्यावरण संदेश से युक्त टी-शर्ट वितरित की गईं, जिससे जागरूकता का संदेश जन-जन तक पहुंचे। जो प्रतिभागी पूर्व में ईकोब्रिक बनाकर लाए थे, उन्हें मंच पर सम्मानित किया गया। साथ ही, तैयार की गई बोनसाई की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही। प्रदर्शनी में उपस्थित लोगों ने तैयार बोनसाई को सराहा और कई खरीदारों ने इनका क्रय भी किया, जिससे पर्यावरणीय शौक को प्रोत्साहन मिला।
पर्यावरण का स्वास्थ्य भी आवश्यक
इस अवसर पर आईएमए गाजियाबाद के अध्यक्ष डॉ. राजीव गोयल, सचिव डॉ. सार्थक केसरवानी, कोषाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, अध्यक्ष निर्वाचित डॉ. अल्पना कंसल, डॉ. रीनू गोयल सहित अनेक वरिष्ठ डॉक्टर उपस्थित रहे। माइक्रोलैब्स की ओर से आए प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम की सराहना की और संस्था की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दोहराया।कार्यक्रम का उद्देश्य केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि दीर्घकालीन पर्यावरण चेतना फैलाना था। इस पहल से आईएमए गाजियाबाद ने यह स्पष्ट किया कि चिकित्सा क्षेत्र के लोग केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा सकते हैं।