Advertisment

Event : निर्जला एकादशी पर जगह-जगह हुआ मीठे जल का वितरण

गर्मी के भीषण मौसम में जब तापमान आसमान छू रहा है, ऐसे समय में आध्यात्मिक आस्था और सेवा भावना का अनुपम उदाहरण गाजियाबादवासियों ने निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर प्रस्तुत किया। पूरे शहर में विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा जगह-जगह मीठे

author-image
Syed Ali Mehndi
निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

Advertisment

गर्मी के भीषण मौसम में जब तापमान आसमान छू रहा है, ऐसे समय में आध्यात्मिक आस्था और सेवा भावना का अनुपम उदाहरण गाजियाबादवासियों ने निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर प्रस्तुत किया। पूरे शहर में विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा जगह-जगह मीठे जल और शरबत के स्टॉल लगाए गए, जहां श्रद्धालुओं और राहगीरों को शीतल जल का वितरण किया गया।

कठिन एवं पुण्यदायी व्रत 

निर्जला एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखने की परंपरा है, और ऐसा माना जाता है कि यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन और पुण्यदायी होता है। इस दिन लोग दान-पुण्य कर पुण्य अर्जित करते हैं और जल सेवा को विशेष महत्व दिया जाता है। आरडीसी, राजनगर, शहीद नगर, लोनी, मोदीनगर, वैशाली, साहिबाबाद और अन्य क्षेत्रों में छोटे-बड़े कई जल सेवा शिविर लगाए गए। राह चलते लोगों को ठंडा पानी, शिकंजी, बेल का शरबत, और ग्लूकोज युक्त पेय वितरित किए गए। कई स्थानों पर महिलाओं और बच्चों ने भी हाथों में गिलास और जग लेकर जल सेवा में भाग लिया।

Advertisment

कई संगठन सक्रिय 

भारत माता सांस्कृतिक संस्थान, श्री सनातन धर्म सभा, युवा वाहिनी, और अन्य स्थानीय संगठनों ने इस अवसर पर विशेष शिविर लगाए और लोगों को निर्जला एकादशी के महत्व के बारे में भी बताया। इन आयोजनों के माध्यम से लोगों को बताया गया कि जल सेवा सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि मानवीयता और समाज सेवा का प्रतीक भी है। राहगीरों और वाहन चालकों ने भी इन जलसेवा शिविरों का लाभ उठाया और आयोजकों के इस पुनीत कार्य की सराहना की। कार्यक्रमों में उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना था कि गर्मी के मौसम में जल सेवा जीवनदान के समान है और हमें अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़ना चाहिए। निर्जला एकादशी का यह आयोजन श्रद्धा, सेवा और सामाजिक एकता का जीवंत उदाहरण बन गया, जिसने यह संदेश दिया कि धर्म का असली स्वरूप मानव सेवा में निहित है।

Advertisment
Advertisment