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Excellent: जीडीए ने दो महीने में निबटाए 119 विवाद, अधिकांश जीते

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के खिलाफ दस-बीस पचास या सौ नहीं बल्कि हजारों की तादात केस हैं जो अलग-अलग अदालतों में विचाराधीन हैं। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि महज दो महीने में जीडीए ने न सिर्फ 119 केस निबटाए हैं, बल्कि इनमें अधिकांश जीते हैं।

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Rahul Sharma
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गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।

तरह तरह के प्रापर्टी से जुड़े मामलों में अदालतों में न जाने कितने केस लोगों ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के खिलाफ दायर किए हुए हैं। लेकिन इनका निबटारा करने की दशा में जीडीए लगातार नये प्रयोग कर रहा है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में लम्बित वादों के त्वरित निस्तारण के लिए नई तकनीक का उपयोग करने की कवायद जीडीए ने शुरू की है। उसका नतीजा ये है कि महज पिछले दो महीने में ही 119 केसों का निस्तारण जीडीए ने किया है। सबसे खास बात ये है कि इनमें से अधिकांश के नतीजे जीडीए के पक्ष में आए हैं। 

अभी भी विचाराधीन हैं 3070 केस

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स के निर्देशन में प्राधिकरण से संबंधित विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन वादों की अनवरत गहन समीक्षा की जा रही है। वर्तमान में विभिन्न न्यायालयों में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के विरुद्ध लगभग 3070 वाद लम्बित हैं।

लंबित वादों के निस्तारण-मानिटरिंग के लिए नई तकनीक

लम्बित वादों के निस्तारण एवं उनकी मानिटरिंग के लिए नवीनतम तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इसके तहत लीगल केस मैनेजमेंट सिस्टम हेतु IASP सॉफ्टवेयर के माध्यम से वादों की मानिटरिंग की जा रही है। उन्होंने विधि अनुभाग को निर्देशित किया है कि वाद से संबंधित समस्त पत्रावलियों को आई.ए.एस.पी. सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया जाए। इन निर्देशों के क्रम में विधि अनुभाग द्वारा उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय, सिविल न्यायालय, जिला/राज्य/राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, एस.सी.एस.टी., मानवाधिकार, अल्पसंख्यक आयोग, आयुक्त न्यायालय, एस.डी.एम. न्यायालय आदि में विचाराधीन लगभग 2750 से अधिक पत्रावलियों को सॉफ्टवेयर पर अपलोड कराया जा चुका है। इसके साथ ही जीडीए उपाध्यक्ष ने विधि अनुभाग में अलग से कंप्यूटर सिस्टम, स्कैनर और ऑपरेटर की व्यवस्था कराई है।

समीक्षा बैठक में दिए निर्देश

इसके अतिरिक्त, विधि अनुभाग की समीक्षा बैठक में उपाध्यक्ष महोदय ने समस्त अनुभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन वादों की प्रभावी पैरवी करें। साथ ही, अनुभागीय अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे स्वयं अपने स्तर से पत्रावलियों का अध्ययन करें एवं अधिवक्ताओं से नियत तिथि से पूर्व विचार-विमर्श करना सुनिश्चित करें।

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