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कमिश्नरेट पुलिस सुरक्षा के इंतजाम चाक-चौबंद करने में कितनी भी सफल रही हो। मगर, कचहरी और जिलाधिकारी कार्यालय परिसर से वाहन चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगा पाने में पूरी तरह से नाकाम है। ये हम नहीं बल्कि दर्ज वाहन चोरी के मुकदमें ही बताने को काफी हैं। शनिवार को ही एक पुलिसकर्मी और एक वकील का दुपहिया चोरी की रिपोर्ट दर्ज हुई है।
वारदात-एक (कचहरी हवालात के पास से वकील साहब की बाइक साफ)
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में प्रेक्टिस करने वाले वकील साहब रोज की तरह चैंबर पर गए। दिन भर कामकाज में मसरूफ रहे। शाम को कचहरी परिसर में हवालात के पास आए तो सन्न रह गए। वकील साहब के साथ कुछ ऐसा हुआ कि और को न्याय दिलाने वाले खुद पुलिस से न्याय की आस लगाए हैं।
दरअसल, हुआ यूं कि संजय कुमार चौहान नाम के वकील साहब राजनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के चैंबर नंबर 644 में प्रेक्टिस करते हैं। हमेशा की तरह ही वे सुरक्षा की दृष्टि से अपनी बाइक को कचहरी परिसर में बनी हवालात के पास खड़ी करते थे। ताकि पुलिसकर्मियों की चहल-पहल से चोर बाइक पर हाथ साफ न कर सकें। लेकिन रोज की तरह वकील साहब ने सुबह बाईक खड़ी की। कचहरी में चेंबर पर जाकर कामकाज निबटाया। शाम को वापस आए तो देखा कि बाइक गायब थी। चोरों ने वकील साहब की बार का स्टीकर लगी बाइक ही साफ कर डाली। वकील साहब ने कविनगर थाने में शनिवार को एफआईआर दर्ज कराई।
वारदात-दो (आबकारी पुलिसकर्मी की डीएम केंपस से बाइक चोरी)
एक तो खाकीवर्दीधारी ऊपर से डीएम ऑफिस केंपस। रोज की तरह आबकारी विभाग में तैनात पुलिसकर्मी ने अपनी बाइक डीएम केंपस में भीतर गेट के पास बने पार्क पर खड़ी की। मगर, डयूटी पूरी कर शाम को जब लौटे तो अवाक रह गए।
हुआ यूं कि गौतमबुद्धनगर के बादलपुर गांव (पूर्व सीएम मायावती का गांव) में रहने वाले विपिन कुमार आबकारी विभाग में पुलिसकर्मी हैं। रोजाना वो सुबह ऑफिस आते हैं और अपनी बाइक एहतियातन डीएम ऑफिस केंपस में बने डीएम ऑफिस के ठीक सामने बने पार्क के पास सुरक्षा की दृष्टि से बाइक खड़ी कर देते हैं। शुक्रवार को करीब 12 बजे वो अपनी बाइक खड़ी करके जिलाधिकारी कार्यालय में बने आबकारी निरीक्षक के कार्यालय में गए। शाम करीब साढ़े पांच बजे लौटे तो बाइक गायब थी। काफी तलाशा मगर, यहां सक्रिय चोर उसे गायब कर चुके थे। शनिवार को पुलिस ने विपिन की तहरीर पर घटना की रिपोर्ट दर्ज की।
हर महीने चोरी होती हैं दर्जनों गाड़ियां
कचहरी पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले जिलाधिकारी कार्यालय परिसर और जिला जज महोदय के कार्यालय केंपस यानि कचहरी से लगभग हर महीने दर्जनों वाहन चोरी की वारदातें होती हैं। लेकिन सुरक्षा के तमाम इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं। ये हाल तब है जबकि दिनभर यहां पुलिसकर्मियों की मौजूदगी रहती है।
एंट्री गेट पर ही है आयुक्त साहब का पुराना ऑफिस
ये हाल तब है जबकि जिलाधिकारी कार्यालय केंपस और जिला न्यायालय परिसर यानि कचहरी में जाने का रास्ता जहां से गुजरता है, उसके ठीक पहले पुराना एसएसपी ऑफिस यानि पुलिस आयुक्त कार्यालय है। हालाकि यहां पुलिस आयुक्त नहीं बैठते। यहां पुलिस एडीसीपी के अलावा अन्य पुलिस विभाग हैं। बावजूद इसके इससे सटे जिलाधिकारी केंपस और कचहरी में चोरों के आतंक को पुलिस रोक पाने में नाकाम है। वो भी इस कदर की खुद खाकी वाले भी इसके शिकार बन रहे हैं और वकील भी।
उच्चाधिकारी बनाएं कोई रणनीति
अभी तक तो नौबत जिलाधिकारी कार्यलय में आने वाले फरयादियों और कचहरी में पहुंचने वाले वादकारियों के वाहन चोरी तक थी। मगर अब कचहरी में वकील और डीएम ऑफिस में कार्यरत पुलिसकर्मी और कर्मचारियों के वाहन भी चोरी होने लगे हैं। जाहिर हैं कि हालात पहले से बदतर होने लगे हैं। लिहाजा उच्चाधिकारियों को चाहिए कि इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कोई रणनीति बनाएं ताकि हालात सुधरें और यहां सक्रिय वाहन चोरों पर नकेल कसी जा सके।