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जिले में फर्जीवाड़े का आलम ये है कि धोखाधड़ी में पकड़े जाने वाले शातिर जेल से रिहाई के लिए जिला जज की अदालत तक में फर्जीवाड़ा करने से नहीं चूकते। ऐसा ही एक मामला कोर्ट में जमानत याचिका के दौरान लगाए गए एक शपथ पत्र की पड़ताल के दौरान सामने आया है। मामले में जहां जेल में बंद दो आरोपियों के खिलाफ केस रजिस्टर्ड कराया गया है। वहीं शपथ पत्रों को सत्यापित करने वाले वकीलों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
ये है मामला
गाजियाबाद के जिला जज की अदालत में दो आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्र पेश हुए। दोनों जमानत याचिकाओं में आरोपियों की तरफ से लगाए गए शपथ पत्रों पर अदालत को शक हुआ तो उसकी पड़ताल कराई गई। पता चला कि दोनों ही शपथ पत्र फर्जी थे। जांच में इस बात की पुष्टि होते ही जिला जज के निर्देश पर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के प्रभारी मुख्य प्रशासनिक अधिकारी की शिकायत पर दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
ये हैं दोनों आरोपी
जिन दो आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। उनमें से एक किरन पाल उर्फ कवित है, जबकि दूसरा सिद्धार्थ त्यागी। किरनपाल के खिलाफ ट्रांस हिंडन जोन के ट्रॉनिका सिटी थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 472 में मुकदमा दर्ज है और इस वक्त वो जेल में है। जबकि दूसरे आरोपी सिद्धार्थ त्यागी पुत्र रविन्द्र त्यागी के खिलाफ 147, 323, 504, 506, 342, 286, 34, 120 आईपीसी के तहत केस दर्ज है। सिद्धार्थ भी जेल में है।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
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दोनों आरोपियों की तरफ से अपने जमानत प्रार्थना पत्रों के साथ जो शपथ पत्र दिए गए थे। उन पर कोर्ट को संदेह हुआ। संदेह होने पर उन्हें जांच के लिए अध्यक्ष शपथ पत्र आयुक्त शाहिस्ता प्रवीन एडवोकेट के पास भेजा गया। जब शपथ पत्रों की जांच हुई तो अदालत को रिपोर्ट मिली कि शपथ पत्रों को न तो शपथ पत्र आयुक्त के द्वारा ओथ किया गया है और ना ही उस पर उनकी मुहर है। उन्होंने रिपोर्ट दी कि इन शपथ पत्रों से उनका कोई संबंध नहीं है। साथ ही कहा गया कि शपथ पत्र को तस्दीक करने वाले वकीलों को तलब कर स्पष्टीकरण लिया जाए।