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इसमें शक नहीं कि पिछले कुछ वक्त से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की कार्यशैली में कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। मगर, क्या करें कहावत है कि कुत्ते की पूंछ को 10 साल नलकी में रखो तो सीधी नहीं होती। लगभग वही हाल जीडीए का है। हाल ये है कि 637 आरटीआई के जवाब जीडीए ने जन सूचना अधिकार कानून का तय वक्त निकलने के बावजूद नहीं दिए हैं। इनके चलते जीडीए के वकीलों को तारीखों पर फटकार सुननी पड़ रही है।
ये है मामला
जीडीए के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ वक्त से जीडीए की पैरवी करने वाले अधिवक्ता उत्तर प्रदेश के जनसूचना अधिकारी के यहां आरटीआई से संबंधित शिकायतों की पैरवी के वक्त अधिकारी से फटकार खा रहे हैं। जन सूचना अधिकारी चेतावनी भरे लहजे में न सिर्फ कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं बल्कि अधवक्ताओं को भी खरी-खोटी सुनाते रहे हैं। इस बात की जानकारी जीडीए के वाद देखने वाले वकीलों ने उच्चाधिकारियों से की तब जाकर जीडीए के अफसरों की नींद खुली और पता चला कि जीडीए को मिली 637 आरटीआई ऐसी हैं जिनका जवाब तय वक्त निकलने के बावजूद नहीं दिया गया। जन सूचना अधिकारी के यहां से तारीख पर तारीख लगने के बावजूद भी यही हाल रहा। इस स्थिति का खुलासा होने पर शनिवार को अपर सचिव जीडीए की मौजूदगी में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें सभी मौजूद अधिकारी कर्मचारियों को निर्देश दिए गए कि ऐसे मामलों का तत्काल निस्तारण किया जाए।
जीडीए को मिलीं 1694 आरटीआई
जीडीए के आंकड़ों के लिहाज से जीडीए को कुल 1694 आरटीआई मिलीं। इनमें से 971 का निस्तारण कर दिया गया। मगर 722 प्रकरण आज तक लंबित हैं। इनमें 637 मामले तो ऐसे हैं जिनका जवाब देने का तय वक्त भी बीत चुका है। लेकिन जवाब नहीं दिया गया। यही वो मामले हैं जिन्हें लेकर जन सूचना अधिकारी उत्तर प्रदेश नाराज हैं।
शनिवार को हुई समीक्षा बैठक
प्राधिकरण में सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के प्रभावी क्रियान्वयन एवं लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए शनिवार को समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अपर सचिव जीडीए ने की, जिसमें प्राधिकरण के सभी जन सूचना अधिकारियों एवं सहायक जन सूचना अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक के दौरान आर.टी.आई. के अंतर्गत प्राप्त प्रकरणों की संख्या, निस्तारित प्रकरणों की स्थिति तथा लंबित प्रकरणों की समीक्षा की गई। निर्देश दिए गए कि आर.टी.आई. अधिनियम में निर्धारित समय सीमा को पार कर चुके प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण किया जाए।अपर सचिव ने समस्त संबधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए लंबित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सूचना का त्वरित और पारदर्शी निस्तारण न केवल नागरिकों के अधिकारों को सशक्त बनाता है, बल्कि प्राधिकरण की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी सुनिश्चित करता है। इससे आम नागरिकों को सूचना प्राप्त करने में सुविधा होगी और प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ेगा।