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सरकारी जमीनों पर हुए अवैध निर्माण के खिलाफ नगर निगम का एक्शन।
गाजियाबाद नगर निगम की एक गजब की कारगुजारी सामने आई है। बीजेपी बाहुल्य निगम में निगम के अफसरों और महापौर को बहकाकर एक विपक्षी पार्षद ने प्रधानमंत्री राहत कोष से गरीबों को मिली मदद से बने मकानों को ही बुलडोजर से अवैध बताकर जमींदोज करा दिया गया। मामला विधायक से नगर आयुक्त तक सबके संज्ञान में है। मगर, सब चुप हैं।
ये है मामला
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वीरवार को नगर निगम के अफसरों की टीम ने महापौर सुनीता दयाल को साथ लिया और अकबरपुर बहरामपुर में बीएसपी के पार्षद नरेश जाटव के साथ चार इलाकों सजवान नगर, बहरामपुर, डूंडाहेड़ा में बुल्डोजर एक्शन किया। इस दौरान मौके पर लोगों ने कागजात दिखाने चाहे। अपनी जमीन को तहसील से मिले प्रमाणिक दस्तावेज भी अतिक्रमण हटाने गए दस्ते, पार्षद, अधिकारियों और महापौर को दिखाने की कोशिश की। मगर किसी ने नहीं सुनी। सीधे बुल्डोजर एक्शन कर निर्माणों को जमींदोज कर दिया। इनमें से अधिकांश मकान या प्लाट वो थे जो 25 से 70 गज में निम्न या मध्यम वर्गीय परिवारों के थे।
ये हुआ है खुलासा
दस्तावेजों और सूत्रों के आधार पर मिली जानकारी के आधार पर पता चला है कि निगम के दस्ते द्वारा गिराने गए निर्माणों में कई ऐसे हैं जिन्हें प्रधानमंत्री राहत कोष के तहत गरीबों को भवन निर्माण के लिए मिलने वाली राशि से तैयार कराया गया था। ये राशि सरकारी पड़ताल के बाद ही इन परिवारों को मुहैया कराई गई थी।
बिना नोटिस कैसे हो गया ध्वस्तीकरण?
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निगम से ही जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सीएम योगी की तरफ से निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी निर्माण को यदि वो अवैध है गिराने से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए। नोटिस में 15 दिन का वक्त दिया जाए, ताकि दूसरा पक्ष अपने निर्माण को लेकर स्थिति स्पष्ट कर सके। लेकिन इस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को बिना किसी नोटिस और पड़ताल के ही किया गया। जबकि इनमें से कई लोग ऐसे थे जिनके पास पर्याप्त कागजात और साक्ष्यहोने के साथ-साथ इस बात का सबूत भी था कि सरकारी पड़ताल के बाद उन्हें अपनी जमीन पर निर्माण कराने के लिए पीएम फंड से सरकारी मदद भी मिली थी।
पीड़ितों ने विधायक से शिकायत की
नगर निगम द्वारा की गई इस कार्रवाई में सरकारी मदद से अपने सपनों का घर बनाने वाले दर्जनों लोग सदर विधायक संजीव शर्मा से उनके आवास पर मिले और उन्हें न सिर्फ पूरे मामले की साक्ष्यों के साथ जानकारी दी, बल्कि बताया कि उनके इलाके के बसपा पार्षध नरेश जाटव ने नगर निगम की कुछ जमीनों को बेच दिया है या उन पर अवैध निर्माण करा दिया है। उन सरकारी जमीनों की बजाय उनके कहने पर बगैर पड़ताल निगम के अफसरों और महापौर को गच्चा देकर उनके वैध मकानों पर बुल्डोजर एक्शन कराया गया है।
विधायक बोले-निष्पक्ष जांच हो
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मामले में सदर के बीजेपी विधायक संजीव शर्मा ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए महापौर और नगर आयुक्त को प्रकरण में कार्रवाई करने से पहले अफसरों ने जांच क्यों नहीं की इसकी पड़ताल करानी चाहिए और जो भी मामले में दोषी हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। बीजेपी विधायक ने कहा कि सवाल ये है कि यदि ये अवैध निर्माण थे तो किस आधार पर इन जमीनों पर निर्माण के लिए पीएम कोष से इन्हें सरकारी मद मुहैया कराई गई?
नगर आयुक्त ने लिया संज्ञान, जांच के आदेश
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मामले में पीड़ित लोगों के विरोध प्रदर्शन करने और लिखित शिकायत करने के बाद नगर आयुक्त ने मामले का संज्ञान लेते हुए प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को मामले को लेकर पीड़ित लोग नगर निगम पहुंचे और न सिर्फ विरोध प्रदर्शन किया बल्कि नगर आयुक्त से भी मुलाकात की। नगर आयुक्त ने तुरंत ही मौके पर संपत्ति विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बुलाकर न सिर्फ पड़ताल की बल्कि जांच होने तक इलाके में किसी भी संपत्ति पर बगैर पड़ताल बुल्डोजर एक्शन नहीं करने के निर्देश दिए।
एक्शन से पहले क्यों नहीं की पड़ताल
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इस मामले में सवाल ये है कि बगैर नोटिस और पड़ताल के आखिर कैसे इन गरीबों के आशियानों पर बुल्डोजर एक्शन ले लिया गया। निगम ने ग्राउंड लेबल से लेकर तहसील के अभिलेखों तक में कार्रवाई से पहले पड़ताल क्यों नहीं की। बड़ा सवाल ये भी कि आखिर महापौर को लेकर ही ये बुल्डोजर कार्रवाई आखिर क्यों कराई गई।
मामले पर नहीं हुई महापौर पार्षद से बात
इस मामले में इलाके के बसपा पार्षद नरेश जाटव और महापौर सुनीता दयाल से बात करने के प्रयास किए गए। मगर संपर्क नहीं हो सका। महापौर के पीआरओ मनीष शर्मा को कई बार कॉल करके भी बात करने की कोशिश हुई मगर फोन नहीं उठा।
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