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कौशांबी में विरोध
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के कौशांबी क्षेत्र में नगर निगम द्वारा हाल ही में किए गए हाउस टैक्स में वृद्धि को लेकर आम नागरिकों में जबरदस्त असंतोष और आक्रोश देखा जा रहा है। इस बढ़ोत्तरी के विरोध में स्थानीय निवासियों ने एक जन अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत कॉलोनियों और इमारतों पर बड़े-बड़े बैनर और पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इन बैनरों पर साफ तौर पर लिखा गया है—"हम कौशांबी निवासी, नगर निगम द्वारा बढ़ाए गए हाउस टैक्स का विरोध करते हैं।"
बढ़ रहा है विरोध
यह विरोध केवल कुछ लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बड़ी संख्या में समाज के विभिन्न वर्गों के नागरिक शामिल हो रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं, नौकरीपेशा वर्ग, व्यापारी और समाजसेवी संस्थाएं इस अभियान का हिस्सा बन रही हैं। बैनर लगाकर विरोध जताना एक शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली तरीका है, जिससे प्रशासन तक आम जनता का संदेश पहुंच सके।स्थानीय पार्षदों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। वे पहले ही महापौर और नगर आयुक्त से मिलकर टैक्स वृद्धि को अनुचित बताते हुए इस पर पुनर्विचार की मांग कर चुके हैं। पार्षदों का कहना है कि बिना क्षेत्र के आधारभूत ढांचे में सुधार किए टैक्स में वृद्धि करना नागरिकों के साथ अन्याय है। वे यह भी कह रहे हैं कि नगर निगम की ओर से मूलभूत सुविधाएं जैसे जलापूर्ति, सीवर व्यवस्था, सड़कें और साफ-सफाई जैसी सेवाएं पहले से ही असंतोषजनक हैं, ऐसे में टैक्स में वृद्धि किसी भी रूप में जायज नहीं मानी जा सकती।
खलनायक बन रहा है नगर निगम
नगर निगम की ओर से हालांकि इस पर कोई अंतिम निर्णय अब तक नहीं लिया गया है, लेकिन जनता में बढ़ता असंतोष और खुले रूप से विरोध प्रदर्शन यह संकेत दे रहा है कि प्रशासन को जल्द से जल्द संवाद और समाधान की दिशा में कदम उठाने होंगे।इस पूरे प्रकरण ने नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। नागरिकों का मानना है कि प्रशासन बिना जनसंवाद के और बिना आर्थिक बोझ की विवेचना किए इस प्रकार की बढ़ोतरी कर रहा है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। इसके अतिरिक्त कई नागरिकों ने यह भी आरोप लगाया है कि कर निर्धारण की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है।
बड़े आंदोलन की तैयारी
इस तरह के आंदोलन और सार्वजनिक असहमति यह दर्शाते हैं कि अब जनता जागरूक हो चुकी है और वह बिना आवाज उठाए अन्याय को सहने को तैयार नहीं है। यह समय है जब प्रशासन को जनभावनाओं को समझते हुए पारदर्शी व जनोन्मुखी निर्णय लेने होंगे, अन्यथा आने वाले समय में विरोध और तेज़ हो सकता है।कुल मिलाकर, कौशांबी में शुरू हुआ यह अभियान न केवल एक टैक्स वृद्धि के विरोध का प्रतीक है, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही और जन भागीदारी की एक मजबूत मिसाल भी पेश करता है।