गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
जिला एमएमजी अस्पताल में एक दिन में करीब हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं. हालांकि इनमें से कई लोगों को बिना इलाज के ही घर लौटना पड़ता है, क्योंकि अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है. यही नहीं, आपातकालीन नंबर और अस्पताल कार्यलय का नंबर भी बंद है. मरीजों का आरोप है कि अपने रूम में से अक्सर सीएमएस गायब रहते हैं. ऐसे में मरीजों के पर्चे पर अगर जरूरी हस्ताक्षर होने हों तो वो काम रह जाते हैं।
बंद पड़े है लैंडलाइन फोन
सीएमएस के कमरे के दो नंबर दिए गए हैं. पहला है कार्यलय ( 0120-4100168) और दूसरा इमरजेंसी विभाग (0120-4158168) . दुर्भाग्य है कि इनमें से किसी भी नंबर पर रिस्पांस नहीं मिलता.हमने आपातकालीन विभाग के नंबर पर भी कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हाथ सिर्फ निराशा लगी.
टोकन व्यवस्था ध्वस्त
एमएमजी अस्पताल में मरीजों की भीड़ देखते हुए टोकन सिस्टम की व्यवस्था शुरू की गई थी, लेकिन वो भी फेल हो गई. ये व्यवस्था इसलिए शुरू की गई थी, ताकि ओपीडी के लिए पर्चे तेजी से बनें और मरीज को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़े. हालांकि अब भी मरीज लंबी लाइन लगाकर अपना पर्चा बनने का इंतजार कर रहे हैं.
दूर होगी कमियां
एमएमजी अस्पताल के सीएमओ डॉ अखिलेश मोहन ने कहा कि वो नंबर ऑपरेशनल है और उन पर कॉल उठाया जाता है. कभी कभी काम में व्यस्त होने के कारण अटेंडेंट कॉल नहीं उठा पाता होगा. अगर ऐसी कोई लगातार शिकायत मिली तो हम एक्शन लेंगे और मरीजों को परेशान नहीं होने देंगे. टोकन व्यवस्था पर उन्होंने कहा कि अभी पूरी तरीके से इसको अमल में लाना संभव नहीं हो पा रहा है.
स्वास्थ्य सेवा राम भरोसे
वही संबंध में विश्व प्रसिद्ध डॉक्टर बीपी त्यागी का कहना है कि सरकारी व्यवस्था राम भरोसे है दिल्ली के पास होने के बावजूद किस तरह से गाजियाबाद में सरकारी स्वास्थ्य लचर बन चुकी है वह एक बहुत दुखद बात है साथ ही उन्हें आश्चर्य होता है कि गाजियाबाद के जनप्रतिनिधि इस संबंध में सिर्फ बयान बाजी करते हैं जबकि वास्तविक कोशिश से कोसों दूर नजर आते हैं।