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Failure : रियल टाइम निगरानी प्रणाली विफल, यूपीसीडा की लापरवाही उजागर

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) की ओर से एक वर्ष पूर्व उद्योगिक क्षेत्रों में बिजली, सड़क, सफाई और अन्य रखरखाव कार्यों के लिए रियल टाइम निगरानी प्रणाली लागू करने की योजना बनाई गई थी। इस योजना का उद्देश्य समस्याओं का त्वरित समाधान

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Syed Ali Mehndi
औद्योगिक क्षेत्र में विफल

औद्योगिक क्षेत्र में विफल

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) की ओर से एक वर्ष पूर्व उद्योगिक क्षेत्रों में बिजली, सड़क, सफाई और अन्य रखरखाव कार्यों के लिए रियल टाइम निगरानी प्रणाली लागू करने की योजना बनाई गई थी। इस योजना का उद्देश्य समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करना और जवाबदेही तय करना था, लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद इस व्यवस्था को पूर्ण रूप से लागू नहीं किया जा सका है।

डाटा सेंटर किया था स्थापित 

योजना के अंतर्गत यूपीसीडा द्वारा एक डाटा सेंटर स्थापित किया गया था, जिसमें प्रत्येक समस्या को डिजिटल सिस्टम पर दर्ज कर उसका तत्काल निस्तारण किया जाना था। इसके अलावा, जिस कंपनी या फर्म को क्षेत्र के रखरखाव का कार्य सौंपा गया था, उसके प्रदर्शन के आधार पर उसे पेनल्टी देने या ब्लैकलिस्ट करने का भी प्रावधान रखा गया था। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।

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सिर्फ विद्युत विभाग से समन्वय 

अब तक केवल बिजली खंभों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिससे केवल बिजली और स्ट्रीट लाइट से संबंधित समस्याओं का ही समाधान हो पा रहा है। सड़क, नालियां, सफाई जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं की निगरानी और सुधार की प्रक्रिया अभी भी ठप है। उद्योगिक क्षेत्रों के उद्यमी और श्रमिक इस लापरवाही से परेशान हैं, लेकिन प्रशासन के पास इस दिशा में कोई ठोस कार्य योजना नहीं दिख रही है।

बेहाल 10 औद्योगिक क्षेत्र

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गाजियाबाद जिले में यूपीसीडा के अधीन 10 उद्योगिक क्षेत्रों का रखरखाव किया जाता है। लेकिन इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति जर्जर है। यूपीसीड़ा के डीजीएम आरएस यादव ने जानकारी दी कि क्यूआर कोड को केवल बिजली खंभों पर ही सक्रिय किया गया है, जिससे बिजली और स्ट्रीट लाइट की समस्याएं हल हो रही हैं, लेकिन अगली चरण की कार्य योजना की उन्हें जानकारी नहीं है।

 कागजों तक सीमित योजनाएं 

यह स्थिति यह दर्शाती है कि यूपीसीडा की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं। जिस रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम को एक बड़े परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा था, वह अब तक केवल एक अधूरी पहल बनकर रह गया है। यदि समय रहते इसे लागू नहीं किया गया, तो यह योजना भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह फाइलों में दबी रह जाएगी और उद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत समस्याएं जस की तस बनी रहेंगी।

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कब जागेगा प्राधिकरण

उम्मीद की जानी चाहिए कि शासन इस पर संज्ञान लेते हुए यूपीसीडा को निर्देशित करेगा कि वह योजना को पूरी तरह से लागू करे और उद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता को प्राथमिकता दे। तभी प्रदेश का औद्योगिक विकास सच्चे मायनों में संभव हो सकेगा।

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