गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।
एक चिकित्सक जिसने डिग्री तो ली थी ये सोचकर कि वो चिकित्सक बनकर मरीजों का उपचार करेगा। मगर, देखिए वो गाजियाबाद नगर निगम की पोस्टिंग में इतना मजा आने लगा कि लखनऊ मुख्यालय के आला अफसर उसे करीब नौ महीने पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से संबंध कर चुके हैं मगर, न तो वो साहब जाना चाहते हैं, और ना ही उनका निगम का कोई शुभचिंतक है जो उन्हें यहां से रिलीव होने दे रहा है। आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने डॉक्टर साहब की इस दबंगई की शिकायत सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से की है।
ये हैं डॉक्टर मिथलेश
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नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में अरसे पहले तैनात डॉक्टर मिथलेश वो शख्सियत हैं जिन्होंने करीब आधा दर्जन से ज्यादा नगरआयुक्तों के कार्यकाल में काम कर लिया है। करीब नौ महीने पहले 30 जून 2024 को उनके तबादले का आदेश लखनऊ स्थिति चिकित्सा विभाग के मुख्यालय से गाजियाबाद आया था। आदेश में उन्हें तुरंत कार्यमुक्त करने और मुख्य चिकित्सा अधिकारी गाजियाबाद के कार्यालय से संबंद्ध करने को कहा था। लेकिन आज भी उनके कुछ चाहने वालों की वजह से किसी ने रिलीव नहीं किया।
इन आरोपों से घिरे रहे हैं डॉ.मिथलेश
डा.मिथलेश पर यूं तो वाल्मीकि समाज के कर्मचारी उत्पीड़न का आरोप लगाते ही रहे हैं। मगर इसके अलावा विजलेंस जांच के दोषी, डीज़ल घोटाले, बायोमेट्रिक मशीन, डस्टबीन घोटाले, डंपिंग ग्राउंड घोटाले व 25 लाख रुपए महीने की उगाही कूड़े बीनने वालों से करवाने जैसे अन्य भ्रष्टाचारों में लिप्त होने के आरोप भी उन पर लगते रहे हैं।
चंद्रशेखर ने लिखा डिप्टी सीएम को पत्र
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लोकसभा नगीना उo प्र से सांसद व आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने सूबे के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में गाजियाबाद के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथिलेश को पदमुक्त करने की मांग की गई है।
वाल्मीकि समाज के उत्पीड़न का आरोप
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पत्र में जिक्र किया गया है कि डॉ.मिथलेश पर वाल्मीकि समाज के ऊपर किए जा रहे शोषण को देखते हुए ही 30 जून 2024 में गाजियाबाद नगर निगम के नगर स्वास्थ्य विभाग से मुख्य चिकित्सक अधिकारी ग़ाज़ियाबाद के पास ट्रांसफर ऑर्डर आया था। मगर, उन्हें आज तक रिलीव नहीं किया गया।
तानाशाही का आरोप
डॉ. मिथलेश पर आरोप तो ये भी हैं कि अपनी तानाशाही से गाजियाबाद नगर निगम में नगर स्वास्थ्य अधिकारी बने बैठे हैं। खुलकर कमीशनखोरी करते हैं। बिना ई टेंडर के ठेके अपने निजी सम्बंधियों को देते हैं। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर अपनी तानाशाही दिखाते हैं। कर्मचारियों के प्रति गलत व्यवहार से पेश आते हैं।