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Festival :बहन ने भाई को दिया नया जीवन, रक्षाबंधन पर मानवता की मिसाल

रक्षाबंधन के पावन अवसर पर जहां बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए राखी बांधकर शुभकामनाएं देती हैं, वहीं मोदीनगर की 42 वर्षीय आशा ने अपने भाई के लिए एक ऐसा कदम उठाया, जिससे न केवल उनका परिवार भावुक हो उठा

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Syed Ali Mehndi
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

रक्षाबंधन के पावन अवसर पर जहां बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए राखी बांधकर शुभकामनाएं देती हैं, वहीं मोदीनगर की 42 वर्षीय आशा ने अपने भाई के लिए एक ऐसा कदम उठाया, जिससे न केवल उनका परिवार भावुक हो उठा, बल्कि इंसानियत की एक मिसाल भी कायम हुई।

दोनों गुर्दे खराब

मोदीनगर निवासी 44 वर्षीय रविंद्र, जो भवन निर्माण का कार्य करते हैं, पिछले कुछ समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें लगातार थकान और कमजोरी महसूस होती थी। जांच कराने पर डॉक्टरों ने बताया कि उनके दोनों गुर्दे खराब हो चुके हैं और उन्हें तुरंत किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता है।यह खबर सुनते ही परिवार में चिंता का माहौल बन गया। ऐसे कठिन समय में रविंद्र की बहन आशा ने बिना देर किए और बिना किसी शर्त के यह फैसला किया कि वह अपनी एक किडनी अपने भाई को देंगी। मेडिकल जांच में पता चला कि दोनों का ब्लड ग्रुप और अन्य स्वास्थ्य मानक मेल खाते हैं, जिससे प्रत्यारोपण संभव हो सका।

सफल रहा ऑपरेशन

ऑपरेशन सफल रहा और डॉक्टरों के अनुसार, अब रविंद्र की हालत पहले से बेहतर है। बहन के इस साहसिक कदम ने भाई को नया जीवन दे दिया है।आशा का कहना है कि, “भाई-बहन का रिश्ता केवल राखी बांधने और तोहफे लेने-देने तक सीमित नहीं है। यह जीवन भर का साथ और एक-दूसरे के लिए हर कठिनाई में खड़े रहने का नाम है। जब मुझे पता चला कि मेरे भाई की जान खतरे में है, तो मैंने बिना सोचे-समझे यह निर्णय लिया।

भावुक हुआ भाई 

रविंद्र भी अपनी बहन की इस बलिदान के लिए भावुक होकर कहते हैं, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी बहन इस तरह मेरी जान बचा लेगी। यह मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है और मैं जीवनभर इसका कर्ज नहीं चुका पाऊंगा। रक्षाबंधन के समय यह घटना एक सच्ची प्रेरणा बनकर सामने आई है, जो बताती है कि भाई-बहन का रिश्ता न सिर्फ भावनाओं से जुड़ा होता है, बल्कि जरूरत पड़ने पर यह त्याग, साहस और निस्वार्थ प्रेम की सबसे बड़ी मिसाल बन सकता है।

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सच्ची राखी बहन 

समाज के कई लोग इस घटना से भावुक होकर आशा को “सच्ची राखी बहन” कह रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, यदि परिवार में कोई सदस्य अंग दान के लिए आगे आता है, तो यह न केवल समय बचाता है बल्कि मरीज के जीवित रहने की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है।इस तरह मोदीनगर की आशा ने रक्षाबंधन पर भाई-बहन के रिश्ते की अनूठी मिसाल कायम कर यह साबित कर दिया कि राखी का धागा सिर्फ कलाई पर नहीं, बल्कि दिलों के बीच अटूट विश्वास और प्रेम का बंधन होता है।

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