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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
भारत सिटी फेज-2 में रहने वाले सैकड़ों परिवार इन दिनों बुनियादी सुविधाओं के अभाव और अनुचित मेंटिनेंस शुल्क की जबरन वसूली को लेकर आक्रोशित हैं। दिवालिया घोषित हो चुकी डेवलपर कंपनी बीसीसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के स्थान पर अब परियोजना का संचालन इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) कर रहा है। इस आईआरपी ने मेंटिनेंस शुल्क को अचानक तीन गुना तक बढ़ाकर ₹0.50 से ₹1.25 प्रति वर्गफुट कर दिया है — वह भी बिना किसी पारदर्शिता और बिना निवासियों की सहमति के।
बिजली घोटाला
निवासियों का आरोप है कि यह शुल्क सीधे बिजली प्रीपेड मीटर के रिचार्ज से काटा जा रहा है, जिससे बिजली के लिए रिचार्ज की गई राशि भी खत्म हो जाती है और उपभोक्ताओं को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। यह तरीका न केवल अनुचित है, बल्कि बिजली सेवा की मूलभूत प्रकृति का भी उल्लंघन करता है।
अधूरी सुविधाएं, असुरक्षित वातावरण
निवासी कनिष्क सक्सेना, पी. वी. नारायण और हर्ष नारायण के अनुसार, सोसाइटी की हालत बेहद खराब है। पार्किंग, लिफ्ट, सड़कें, सीवरेज, अग्निशमन यंत्र, एसटीपी और बेसमेंट की लाइटिंग जैसी आवश्यक सुविधाएं अधूरी हैं। बिल्डिंग में खुले बिजली पैनल और अधूरे सिविल वर्क से बच्चों और बुजुर्गों की जान जोखिम में है। ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट तक प्राप्त नहीं किया गया है, इसके बावजूद मेंटिनेंस शुल्क वसूला जा रहा है।
सामूहिक विरोध और मुख्य मांगें
22 जून को आयोजित सामूहिक बैठक में सैकड़ों निवासियों ने एकजुट होकर यह निर्णय लिया कि जब तक अधूरी सुविधाएं पूरी नहीं की जातीं और मेंटिनेंस शुल्क का पारदर्शी ऑडिट नहीं होता, तब तक शुल्क वृद्धि स्वीकार नहीं की जाएगी।
निवासियों की प्रमुख मांगें हैं:
मेंटिनेंस शुल्क को ₹0.50 प्रति वर्गफुट पर यथावत रखा जाए।
सभी बुनियादी सुविधाएं समयबद्ध ढंग से पूर्ण की जाएं।
मेंटिनेंस फंड का सार्वजनिक ऑडिट कराया जाए।
यह मामला न केवल एक हाउसिंग प्रोजेक्ट की अव्यवस्था को उजागर करता है, बल्कि रेरा और आईबीसी जैसी नियामक संस्थाओं की भूमिका और जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। जिलाधिकारी, जीडीए और मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत पहुंच चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसे में भारत सिटी के निवासी न्याय और जवाबदेही की उम्मीद लगाए बैठे हैं।