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GDA : ट्रांसफर नीति का मजाक, संरक्षण में चांदी काट रहे अभियंता

मुख्यमंत्री के पास भले ही आवास विभाग की जिम्मेदारी हो, लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में अफसरों की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। प्राधिकरण के कुछ अभियंता वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं और शासन की स्थानांतरण नीति का मजाक बना रखा है।

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Syed Ali Mehndi
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फाइल फोटो

गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

मुख्यमंत्री के पास भले ही आवास विभाग की जिम्मेदारी हो, लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में अफसरों की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। प्राधिकरण के कुछ अभियंता वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं और शासन की स्थानांतरण नीति का मजाक बना रखा है।

कई मामले की चर्चा 

सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन जोन-8 के प्रभारी अधिशासी अभियंता लवकेश कुमार पिछले एक दशक से अधिक समय से जीडीए में ही तैनात हैं। इससे पहले वे सहायक अभियंता के रूप में प्रवर्तन जोन-6 में कार्यरत थे। उनके कार्यकाल के दौरान कई जगह स्वीकृत निर्माण के विपरीत अवैध निर्माणों को बढ़ावा दिया गया। हाल में शासन द्वारा एक नई नीति जारी की गई थी कि जिन अभियंताओं की सेवानिवृत्ति में दो वर्ष से कम समय बचा है, उनका स्थानांतरण नहीं होगा। परंतु जीडीए में यह नीति कागजों तक सीमित रह गई है। बताया जाता है कि जब उन्हें प्रवर्तन जोन-1 की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, तो तत्कालीन उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने उन्हें उस पद से हटा दिया था। बावजूद इसके, राजनीतिक संरक्षण के बल पर वे दोबारा प्रवर्तन जोन-8 के प्रभारी बना दिए गए।

राजनीतिक क्षत्रछाया

जीडीए सूत्रों का कहना है कि ऐसे कई अभियंता हैं जो राजनैतिक हस्तियों के छत्रछाया में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हासिल कर चुके हैं। बिना राजनीतिक समर्थन के लंबे समय तक प्रभावशाली पद पर बने रहना लगभग असंभव है। शहरवासियों और नागरिक संगठनों का कहना है कि शासन को जीडीए में व्याप्त इस ‘संरक्षण तंत्र’ की जांच करानी चाहिए। एक ही अधिकारी का वर्षों तक एक ही पद पर बने रहना पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न है। गाजियाबाद में अवैध निर्माणों की बढ़ती संख्या इसका सबसे बड़ा सबूत है। यदि यह व्यवस्था यूं ही चलती रही, तो शहर की विकास योजनाएं भ्रष्टाचार के बोझ तले दब जाएंगी।

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