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गाजियाबाद विकास प्राधिकरण नये-नये प्रयोग तो करता है। लेकिन मॉनिटरिंग और मेंटिनेंस के अभाव में नई व्यवस्थाएं कुछ वक्त चलती हैं, फिर म तोड़ देती हैं। यदि जीडीए के वीसी अतुल वत्स के प्रयासों पर लगातार अमल हुआ और सब कुछ दावें के मुताबिक रहा तो गाजियाबादियों के लिए ये खबर बड़ी राहत देने वाली है। खबर ये है कि अब आपको पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस की तर्ज पर जीडीए में रजिस्ट्री कराने के लिए भी स्लॉट दिया जाएगा। स्लॉट के मुताबिक तय दिन और वक्त पर आप दफ्तर पहुंचे और रजिस्ट्री की सारी प्रक्रिया पूरी कर लें। बगैर वक्त जाया किए।
ये दावा है जीडीए वीसी का
जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स का दावा है कि इस पहल से रजिस्ट्री प्रक्रिया के लिए जन समान्य को प्राधिकरण कार्यालय के चक्कर नही लगाने होंगे, बल्कि घर बैठे मोबाइल या लैपटॉप की मदद से अपनी सुविधा के अनुसार स्लॉट बुक कर रजिस्ट्री की कार्यवाही सुनिश्चित की जा सकेगी।
ये हुई है नई कवायद
जन शिकायतों और जन सुविधा को ध्यान में रखते हुए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने के लिए लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट सेवाओं की तरह रजिस्ट्री के लिए भी स्लॉट बुकिंग सिस्टम शुरू करने का निर्णय लिया है। इस नई व्यवस्था के तहत अब आवंटी को जीडीए की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्री के लिए स्लॉट बुक करना होगा। एक बार स्लॉट बुक हो जाने के बाद आवंटी की जिम्मेदारी खत्म मानी जाएगी और इसके बाद संबंधित बाबू की जिम्मेदारी शुरू हो जाएगी। आवंटी को अपने निर्धारित समय पर रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचना होगा, जहां संबंधित कर्मचारी पहले से मौजूद रहेगा।
दावा-ये होगा फायदा
जीडीए के वीसी का दावा है कि इस पहल से न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि लोगों को 'आज टाइम नहीं मिला', 'अगले दिन आओ' जैसे बहानों से भी निजात मिलेगी। इससे लोगों का पूरा दिन भी बर्बाद नहीं होगा और वे अपनी सुविधा के अनुसार स्लॉट बुक कर सकेंगे।
और भी हो रहे प्रयास
गौरतलब है कि जीडीए ने हाल ही में प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सिस्टम (PMS) की शुरुआत की है। इसी सिस्टम में अब एक अतिरिक्त लिंक जोड़कर रजिस्ट्री स्लॉट बुकिंग की सुविधा भी दी जाएगी। इस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली कंपनी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह शीघ्र ही इस सुविधा को पोर्टल पर लाइव करे।
सवाल-क्या कोई मॉनिटरिंग भी होगी, ताकि दम न तोड़ दे नई व्यवस्था
इतिहास गवाह है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण अबसे पहले भी नई व्यवस्थाओं और हाईटेक तकनीकों की सौगात शहर वासियोंं को देता रहा है। मगर, मॉनिटरिंग और मेंटिनेंस के अभाव के साथ-साथ नई व्यवस्था लाने वाले अफसरों के तबादले के साथ ही उन पर ध्यान देना बंद कर दिया जाता है। मसलन, जीडीए के उपाध्यक्ष, अध्यक्ष और गाजियाबाद के डीएम रह चुके संतोष यादव ने जिले को सिटी फोरेस्ट के रूप में एक बेहतरीन सौगात दी थी। मेंटिनेंस और अफसरों की अनदेखी के चलते आज सिटी फोरेस्ट का स्वरूप वो नहीं रहा, जो संतोष यादव के कार्यकाल में शहर को दिया गया था। इसी तरह जीडीए को कंप्यूट्रीकृत करने के लिए संतोष यादव के कार्यकाल में जीडीए में कंप्यूटर विभाग तैयार कराया गया था। मगर, उनके जाते ही उस व्यवस्था ने भी दम तोड़ दिया। देखना होगा कि जीडीए वीसी अतुल वत्स द्वारा किए जा रहे प्रयासों के मुताबिक कब तक जीडीए की नई व्यवस्थाएं लोगों को राहत देने का काम करती हैं।