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Health : जेनेरिक दवाइयां गरीबों के लिए संजीवनी , शहर में हालात बदतर -डॉ बीपी त्यागी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना जेनेरिक औषधि केंद्र गाजियाबाद में बदत्तर हालत में है जो तेजी से बंद हो रहे हैं और इस संबंध में सरकारी अमला पूरी तरह खामोश है

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Syed Ali Mehndi
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JAN AUSHADHI

गाजियाबाद वाईबीएन, संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को सस्ती दवाएं उपलब्‍ध कराने के इरादे से देशभर में जन औषधि केंद्र खुलवाए थे. मकसद था कि इन केंद्र पर प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के द्वारा आम नागरिकों को सस्ती और आसानी से दवाएं मिल सकें. जबकि इन दुकानों पर मिलने वाली दवाएं प्राइवेट कंपनियों की ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 90 फीसदी तक सस्ती होती हैं. यही नहीं, जन औषधि केंद्र पर तकरीबन 500 से 800 प्रकार की दवाएं उपलब्ध होती हैं, जिसमें कैंसर तक की दवा शामिल है. हालांकि गाजियाबाद में जन औषधि केंद्र दम तोड़ते नजर आ रहे हैं।

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डॉ बी पी त्यागी

 

इस संबंध में विश्व प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी का कहना है कि जेनेरिक दवाएं गरीबों के लिए संजीवनी बूटी का काम करती हैं क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शानदार शुरुआत का लाभ गरीबों तक पहुंच रहा था परंतु गाजियाबाद में स्थिति बहुत बुरी हो चुकी है जहां जेनेरिक दवाओं के सारे स्टोर एक के बाद एक लगातार बंद हो रहे हैं ऐसे में गरीबों की परेशानी और रोग तेजी से बढ़ाने की आशंका व्यक्त की जा सकती है।

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 वही संबंध में असिस्टेंट सीएमओ डॉ राकेश गुप्ता का कहना है कि उन्हें इस संबंध में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है इसका निर्धारण जिला प्रशासन की औषधि विभाग से होता है जिसके चलते हुए पूरे मामले में कोई भी टिप्पणी करने में सक्षम नहीं है।

जबकि जब हम हमने इस संबंध में ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा से बातचीत करने का प्रयास किया तब उनसे किसी प्रकार का संपर्क नहीं हो सका।

गौरतलब है कि पिछले 6 महीनों में गाजियाबाद में 10 जन औषधि केंद्र बंद हो चुके हैं. इन बंद हुए जन औषधि केंद्र में संजय नगर स्थित संयुक्त जिला अस्पताल का जन औषधि केंद्र भी शामिल है. औषधि केंद्रों के मालिकों का कहना है कि प्राइवेट डॉक्टर मरीजों के पर्चे पर ब्रांडेड दवा लिखते हैं. ऐसी स्थिति में दवाओं की बिक्री नहीं हो पाती है. इस कारण मजबूरन केंद्र बंद करने पड़ रहे हैं। संयुक्त अस्पताल के सीएमएस विनोद पांडे ने हमें बताया कि जन औषधि केंद्र पर फार्मासिस्ट नहीं बैठते है, जिसके कारण से डॉक्टर की लिखी दवा या तो समझने में उन्हें काफी समय लग जाता है या वो समझ ही नहीं पाते है. हमारे डॉक्टरों की ये पूरी कोशिश रहती है कि मरीजों कों ऐसी दवा लिखी जाएं जिससे उन्हें परेशानी में जल्द आराम मिले और वो दवा भी आसानी से उपलब्ध हो।एक जन औषधि केंद्र पर जहां दवा ले रहे मरीजों और केंद्र मालिक से बात की. मरीज अमित ने बताया कि उसे इस केंद्र से दवा मिल रही और वो भी सस्ती दरों पर. फिर हमने दुकान मालिक अरविन्द कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि मरीजों में अभी औषधि केंद्र की दवाओं कों लेकर जागरूकता नहीं है. हमें डॉक्टर का भी सहयोग चाहिए क्योंकि अक्सर अगर कोई मरीज डॉक्टर की मर्जी के की बिना जेनरिक दवाएं ले भी जाता है, तो डॉक्टर उन्हें वापस करा देते थे. उन्हें कहा जाता था कि ये दवा असर नहीं करेंगी, इसलिए काफी लोगों कों विश्वास कम होता चला गया।

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 केंद्र सरकार को उठाना चाहिए महत्वपूर्ण कदम

 कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री वाली महत्वाकांक्षी योजना गाजियाबाद में दम तोड़ चुकी है। जहां गरीब लोगों को इलाज के लिए अब महंगी दवाइयां की ओर रुख करना पड़ रहा है जो कि उनकी हैसियत और पहुंच से बाहर है।

 

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