गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
1984 के सिख नरसंहार के पीड़ित परिवार आज भी उन दर्दनाक घटनाओं की यादें अपने दिल में संजोए हुए हैं। यह वह काला अध्याय था, जिसने न केवल सिख समाज को झकझोर कर रख दिया, बल्कि पूरे देश को इंसानियत की कीमत का एहसास भी करवाया। वर्षों बीत गए, लेकिन पीड़ित परिवारों के घाव आज भी ताजे हैं। ऐसे में हाल ही में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा उठाया गया कदम एक ऐतिहासिक कार्य के रूप में सामने आया है, जो न्याय और संवेदनशीलता की मिसाल बन गया है।
दिए गए नियुक्ति पत्र
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 1984 सिख नरसंहार के पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र प्रदान कर उन्हें न केवल आर्थिक संबल दिया, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी पुनर्जीवित करने का कार्य किया है। यह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह उन परिवारों की पीड़ा को समझते हुए एक ठोस और सहानुभूतिपूर्ण कार्यवाही थी। दिल्ली सरकार के केंद्रीय मंत्री सरदार मनिंदर सिंह सिरसा जी की मेहनत और समर्पण ने इस पहल को साकार करने में अहम भूमिका निभाई।
बताया ऐतिहासिक फैसला
इस ऐतिहासिक फैसले के लिए हम पूरे सिख समाज की ओर से विशेष रूप से गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, रेलवे रोड बजरिया की पूरी कमेटी की तरफ से मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का आभार प्रकट करते हैं। यह फैसला पीड़ित परिवारों के लिए एक नई सुबह की शुरुआत है। इतने वर्षों तक केवल आश्वासन मिलते रहे, लेकिन अब एक सच्चा प्रयास धरातल पर दिखाई दे रहा है।
सिख समाज के जख्मों पर मरहम
वरिष्ठ रालोद नेता इंदरजीत सिंह टीटू ने कहा कि वर्षों तक आम आदमी पार्टी की सरकार ने केवल वादों की राजनीति की, लेकिन उन वादों पर अमल नहीं किया गया। इसके विपरीत, आज यह कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा, रेखा गुप्ता की संवेदनशील सोच और मनिंदर सिंह सिरसा की मेहनत से संभव हो पाया है। यह एक ऐसा कदम है, जो समाज के जख्मों पर मरहम लगाने के साथ-साथ एक नई आशा की किरण लेकर आया है। यह फैसला सिर्फ नौकरियों का वितरण नहीं है, यह उन परिवारों की वर्षों पुरानी पीड़ा का सम्मान है। यह सामाजिक न्याय की दिशा में उठाया गया मजबूत कदम है, जिसने दिखा दिया कि सरकारें यदि चाहें तो इंसानियत और न्याय को प्राथमिकता देकर इतिहास को बदल सकती हैं।