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ऊपर की तीन तस्वीरों में बीजेपी कार्यकर्ता को यात्रा से बाहर करते पूर्व महापौर आशु वर्मा, नीचे की तस्वीरों में बीजेपी सांसद, विधायक, महानगर अध्यक्ष व आशु वर्मा आदि।
यूं तो बीजेपी को सबसे अनुशासित और सबसे ज्यादा संयमी कार्यकर्ताओं की पार्टी कहा जाता है। मगर, शनिवार को मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र में निकाली गई तिरंगा यात्रा के दौरान जो कुछ हुआ वो सवाल खड़े करने वाला है। दरअसल, पूर्व महापौर आशु वर्मा ने एक पुराने बीजेपी और आरएसएस से जुड़े कार्यकर्ता को हाथ पकड़कर खींचा और यात्रा से बाहर कर दिया। इस दौरान एक वीडियो में पूर्व महापौर की ये कवायद कैद हो गई। वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। न सिर्फ विपक्षी बल्कि पार्टी से जुड़े लोग भी इस पर तरह तरह के कमेंट कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि जिस तिरंगा यात्रा में ये पूरा वाकया हुआ है उसमें जिले के सांसद और मुरादनगर के विधायक के अलावा महानगर अध्यक्ष सहित तमाम बड़े नेता भी शामिल हुए थे।
ये था कार्यक्रम
शीर्ष भाजपा नेतृत्व के निर्देश पर महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल, मुरादनगर विधायक अजितपाल त्यागी के मार्गदर्शन में "ऑपरेशन सिंदूर" की ऐतिहासिक विजय पर भव्य तिरंगा यात्रा का न्यौता सभी कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को दिया गया था। ये यात्रा संजयनगर सेक्टर-23 राजनगर के पी ब्लॉक चौराहे रानी लक्ष्मीबाई चौक से रामलीला मैदान संजयनगर तक शनिवार की शाम निकाली गई। यात्रा में राजनगर मंडल में निवास करने वाले सभी पार्षद,सभी पदाधिकारी एवं भाजपा कायकर्ताओ, समर्थकों और राष्ट्रभक्तो से अनुरोध किया गया था कि वो बड़ी संख्या में तिरंगा यात्रा में शामिल होकर वीर सैनिकों व भारत का मान बढ़ाएं।
ये थे आयोजक
इस कार्यक्रम को आयोजित करने वालों में रानिता सिंह मंडल प्रभारी व महानगर उपाध्यक्ष भाजपा, अमित रंजन संयोजक मुरादनगर विधानसभा, मोनू त्यागी
सह संयोजक मुरादनगर विधानसभा, नीरज त्यागी मंडल अध्यक्ष,राजनगर और विनीत शर्मा जिला प्रतिनिधि गाजियाबाद मुख्य थे।
इस शख्स के साथ हुई धक्का-मुक्की
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हालाकि इस मामले में कोई भी बीजेपी कार्यकर्ता या पदाधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। मगर, सूत्रों का कहना है कि जिस युवक को तिरंगा यात्रा से हाथ पकड़कर पूर्व महापौर बाहर धकेल रहे हैं उसका नाम सुदर्शन शर्मा है। वह मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र के मोरटा का रहने वाला है। सुदर्शन करीब एक दशक से भी ज्यादा समय से बीजेपी और आरएसएस से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। हालाकि अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि पूर्व महापौर ने उसे तिरंगा यात्रा से खींचकर क्यों बाहर किया, जबकि आम लोगों को भी तिरंगा यात्रा से जुड़ने का न्यौता दिया गया था।
रैली की शुरुआत पर भी हुआ विवाद
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बीजेपी के ही सूत्रों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस रैली के आयोजन से पहले मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी और महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल मंडल अध्यक्ष नीरज त्यागी के कार्यालय पर बैठे थे। इसी दौरान जिले के सांसद अतुल गर्ग बताए गए रानी लक्ष्मी चौराहे पर जैसे ही पहुंचे तो इलाके के पार्षद पप्पू नागर ने रैली शुरु करा दी। बताते हैं कि रैली सांसद की मौजूदगी में शुरू हो गई मगर तब तक विधायक और महानगर अध्यक्ष मंडल अध्यक्ष के साथ उनके कार्यालय पर ही बैठे रहे। जब उन्हें रैली शुरू कर देने की जानकारी मिली तो इस बात को लेकर भी भाजपाईयों में जमकर नोंकझोंक हुई।
सबने साधी चुप्पी
इस मामले पर फिलहाल बीजेपी का स्थानीय कोई भी नेता, पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि या फिर पीड़ित भी फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। मगर, घटना से ये तो साफ है कि बीजेपी में अंदरूनी तौर पर सब कुछ ठीक नहीं है। नेता और जनप्रतिनिधियों की गुटबाजी में आम और जमीनी कार्यकर्ता पिस रहे हैं।