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Ghaziabad Bsp: पिटे मोहरों के बूते क्या खत्म हो रही बसपा में जान डाल पाएंगे बाबू मुनकाद अली?

एक वक्त गाजियाबाद की 5 विधानसभा सीटों से 4 पर काबिज रही दलितों की सबसे बड़ी पार्टी आज हाशिये पर है। कमान पूर्व राज्यसभा सांसद को मेरठ मंडल के प्रभारी के रूप में दी गई है। बुधवार को पिटे मोहरों के साथ उनकी बैठक क्या बसपा में जान फूंक पाएगी, बड़ा सवाल है ?

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Rahul Sharma
GZB MUNKAD ALI-1

बुधवार को बसपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी और पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली ने जिला बसपा कार्यालय पर संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की।

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गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर। 

कांग्रेस के बाद यदि जिले में बीजेपी को चुनौती दी तो जिले में वो पार्टी थी दलितों की सबसे पहली और देश भर की मजबूत पार्टी बहुजन समाज पार्टी। मगर, देखिए हाल कि उसके प्रत्याशी छह विधानसभाओं और दो लोकसभा क्षेत्रों वाले जिले में अपनी जमानत तक नहीं बचा पा रहे। इन हालात में बुधवार को बसपा के पूर्व राज्यसभा सांसद रहे और वर्तमान मेरठ मंडल प्रभारी बाबू मुनकाद अली गाजियाबाद आए और स्थानीय पदाधिकारियों के साथ बैठकर जिले में संगठन की हालत की समीक्षा की। लेकिन सवाल पूछना लाजमी है कि बैठक में तमाम वो लोग तो मौजूद थे जिन्हें पिछले कई चुनाव और उनका इतिहास पिटा मोहरा कहने को मजबूर कर रहा है। मगर, कोई भी वो मजबूत बसपाई नहीं था जिसके कार्यकाल में बसपा का गाजियाबाद में परचम लहरा था। सवाल यही नहीं कि ऐसा क्यों बल्कि सवाल ये कि क्या फुस्सी पटाखों के बूते बाबू मुनकाद क्या गाजियाबाद में चुनौती बनकर उभर रही दलितों की विकल्प बनती आजाद समाज पार्टी को भी चुनौती दे पाने की हालत में है?

बुधवार को आए बाबू मुनकाद अली 

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बुधवार को राजनगर स्थित बसपा कार्यालय पर पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी व पूर्व राज्य सभा सांसद बाबू मुनकाद अली संगठन के कार्यों की समीक्षा करने पहुंचे। उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर जनपद गाजियाबाद के पांच विधानसभा क्षेत्रों में संगठन के कायों की समीक्षा की।  मुनकाद अली ने सभी कार्यकर्ताओं को एकजुटता पर बल देते हुए समाज में भाईचारे का संदेश देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर आगामी 2027 चुनाव की तैयारी  में सभी कार्यकर्ताओं को जुटना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब जब बसपा सरकार रही है तब तब प्रदेश की कानून व्यवस्था नंबर वन रही है। साथ ही रोजगार देने के मामले में भी बसपा सरकार अग्रणी रही। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में प्रदेश में चहुमुखी विकास होगा, युवाओं को रोजगार मिलेगा और जरूरतमंदों को पूर्व की भांति सभी योजनाओ का लाभ मिलेगा। संगठन को मजबूत करने के लिए बहुजन समाज पार्टी सर्व समाज में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।

ये रहे मौजूद

इस मौके पर विजय सिंह प्रभारी मेरठ मंडल, मोहित आंनद निवासी प्रभारी मेरठ मंडल, रवि जाटव निवासी मुरादनगर प्रभारी मेरठ मंडल, मेघानंद गौतमबुद्धनगर, निवासी खोडा कालोनी प्रभारी मेरठ मंडल, कुलदीप कुमार ओके पूर्व पार्षद व जिला प्रभारी, हरवीर सिंह नगर निगम पार्षद पद प्रत्याशी मूल निवासी अलीगढ़,  जिला प्रभारी नरेन्द्र मोहित एडवोकेट निवासी रिछपालगढी जिला अध्यक्ष, मुनव्वर चौधरी, लेखराज बौद्ध रिटायर्ड टीचर, धीरज पंडित, वरूण, केपी सिंह, परमानंद गर्ग महानगर अध्यक्ष एवं विधानसभा चुनाव में जमानत जब्त कराने वाले प्रत्याशी, पूर्व मंत्री एवं पूर्व जिलाध्यक्ष दयाराम सेन, ओमवीर सिंह रिटायर्ड बैंक कर्मी, सुनील सेन, जितेन्द्र कुमार लोनी, नवीन कुमार मुरादनगर, बलवीर सिंह साहिबाबाद, लख्मी सिंह गाजियाबाद, आलोक भारती मोदीनगर 5 विधानसभा अध्यक्ष मीटिंग में उपस्थित रहे। साथ ही विधानसभा प्रभारी धर्मपाल सिंह, अजीत,  आनंद चंद्रेश, देवेन्द्र वर्मा, महेंद्र सिंह, महेश राज, प्रदीप कुमार, ‌पश्चिम उत्तर प्रदेश आदि भी उपस्थित रहे।

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इनकी नहीं थी मौजूदगी

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राम प्रसाद प्रधान पूर्व जिलाध्यक्ष, विनोद जाटव पूर्व जिलाध्यक्ष, मनोज जाटव मंडल कॉर्डिनेटर, रमेश रमन, अजीत पाल पूर्व जिलाध्यक्ष, राजेंद्र राजू पूर्व प्रभारी गाजियाबाद, मुकेश जाटव पूर्व मंत्री, प्रदीप जाटव, पूर्व एमएलसी एवं पूर्व लोकसभा प्रत्याशी बुलंदशहर व पूर्व जिलाध्यक्ष गाजियाबाद एवं कई प्रदेशों के पूर्व प्रभारी, वीरेंद्र जाट पूर्व जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी उत्तराखंड, रामौतार जाटव पूर्व लोकसभा प्रभारी गाजियाबाद, ओमवीर गौतम, अनिल गौतम प्रभारी गाजियाबाद। ये वो नाम हैं जिनके कार्यकाल में गाजियाबाद में बहुजन समाज पार्टी ने न सिर्फ बीजेपी को पटखनी दी, बल्कि कांग्रेस के मजबूत हालत में होने के बावजूद जिले की पांच में से चार विधानसभा सीटों पर नीला झंडा लहराया था। बावजूद इसके ऐसे लोगों की गैरमौजूदगी में बसपा में जान डालने की कोशिश सवाल खड़े करने वाली है।

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मौजूद लोगों में कई पार्षदी में भी नहीं बचा सके जमानत

बाबू मुनकाद अली की समीक्षा बैठक में अधिकांश लोग वो थे जिन्हें न तो राजनीति का अनुभव था। और बहुत सारे ऐसे जो चुनाव तो लड़े मगर जीते नहीं। इतना ही नहीं कई तो अपनी जमानतें ही बचाने में नाकाम रहे। यही नहीं बैठक में मौजूद बहुत सारे पदाधिकारी तो उस गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र के दलित बाहुल्य इलाके लाईन पार क्षेत्र से थे जहां बीते उप-चुनाव में बसपा को आजाद समाज पार्टी से भी कम वोट मिले थे। 

 

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