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Ghaziabad Crime: गौर करे हिंदू समाज-हिन्दुत्व की आड़, गुंडागर्दी, अपराध, अवैध वसूली काम

इसमें शक नहीं कि पिछले कुछ दशक में हिंदुत्व को लेकर समाज की सभी बिरादरियों में जागरूकता बढ़ी है और लोग हिंदुत्व को लेकर गंभीर हुए हैं। मगर, साथ ही इसकी आड़ में धर्म का सहारा लेकर अपराध, गुंडागर्दी और वसूली की दुकानों में भी इजाफा हो गया है।

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Rahul Sharma
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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हिंदू धर्म संस्कृत से जाना जाता है। सनातनी संस्कृति जिस वृद्द सलीके से इस भाषा में कही और गढ़ी गई है उसका आज तक कोई सानी नहीं है। संस्कृत में लिखा गया है ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम’। अर्थात सारी दुनिया को श्रेष्ठ, सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाएंगे। ये है हिंदू धर्म और हिनू धर्म के संस्कार और संस्कृति। पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में इस संस्कृति को लगातार बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। मगर, इसकी आड़ में कुछ असामाजिक तत्व लगातार इस संस्कृति को बदनाम कर इसका बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। ये लोग न सिर्फ हिन्दुत्व की आड़ में अपराध कर रहे हैं, बल्कि अपराधियों को संरक्षण देने के साथ-साथ अवैध वसूली से लेकर तरह-तरह के कृत्य तक कर रहे हैं। नतीजा बदनाम हो रहा है दुनिया का सबसे प्राचीन हिन्दू धर्म।

ये है हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। हालाकि कुछ लोग इसे मूर्तिपूजकों, प्रकृति पूजकों या हजारों देवी-देवताओं के पूजकों का धर्म मानकर इसकी आलोचना करते हैं, कुछ लोग इसको जातिवादी धारणा को पोषित करने वाला धर्म मानते हैं, लेकिन यह उनकी सतही सोच या नफरत का ही परिणाम है। उन्होंने कभी उपनिषदों या गीता नहीं पढ़ी।

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मोदी सरकार में हिंदू संगठनों की बाढ़

मोदी सरकार के सत्ता में आने और उसके बाद देश के सबसे बड़े सूबे यानि उत्तर प्रदेश की सत्ता पर आस्था के बड़े केंद्र गोरक्ष पीठ के प्रमुख योगी आदित्यनाथ के बैठने के बाद तो मानो कि जैसे हिन्दुत्व के प्रति लोगों का ध्यान कुछ ज्यादा ही बढ़ा। इसके बहुत सारे सकारात्मक नतीजे देखने को मिले तो कुछ साइड इफेक्ट भी सामने आए। सबसे ज्यादा नुकसानदायक यदि कुछ हुआ तो वो ये कि हिन्दुत्व की आड़ में कुछ अपराधी, माफिया और असामाजिक कृत्यों में लिप्त लोगों ने या तो हिंदूवादी संगठनों में एंट्री कर ली या इसी तरह के नये संगठन खड़े कर लिए। नतीजतन हिन्दुत्व जैसे बड़े मुद्दे की ओट लेकर अपराध, अवैध वसूली और गुंडागर्दी की घटनाएं होनी शुरू हो गईं। दिल्ली से सटा गाजियाबाद भी इससे अछूता नहीं रहा।

कुछ वारदातें जो कलंक बनीं

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-रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालने के नाम पर गुलघर के पास यूपी के बहराइच निवासी एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई।

-गौ-तस्करी रोकने के नाम पर मीट कारोबारियों से अवैध वसूली और बाकायदा महीना लेने के मामले।

-गौ-तस्करी रोकने और उसके विरोध की आड़ में सरेआम गुंडागर्दी की वारदातें।

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-वेलेंटाइन डे के विरोध के नाम पर सरेआम युवक-युवतियों से मारपीट की घटनाएं। बेखौफ कानून को हाथ में लेकर वीडियो बनाने और उन्हें वायरल करने जैसे कृत्य।

-हिन्दूत्व की आड़ में मॉल्स-मल्टीप्लेक्स में आतंक मचाने की दर्जनों वारदातें और उन्हें करने वाले युवकों-लोगों का अपराध और अपराधियों से नाता।

-हिन्दुत्व की आड़ में जमीनों पर अवैध कब्जे, गौशाला बनाने के नाम पर और उसे संचालित करने के नाम पर अवैध वसूली का धंधा।

-हिंदू संगठनों की ओट लेकर सार्वजनिक स्थलों पर मारपीट और हंगामें की अनगिनत वारदातें।

-ताजा मामला विजयनगर के आस्था अस्पताल का जहां खुद को हिंदू रक्षा दल का बताकर कुछ लोगों ने डॉक्टर्स और महिला स्टाफ तक से मारपीट और बदसलूकी की।

पुलिस का लचीला रवैया बढ़ाता है मनोबल

ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। कई मामले तो नजीर हैं। मसलन, हिंदू रक्षा दल के प्रमुख पिंकी चौधरी और उनके समर्थकों के साथ हुई मारपीट के मामले में पुलिस ने न सिर्फ पिंकी चौधरी को गिरफ्तार किया, बल्कि उनके समर्थकों को भी कई महीने तक डासना जेल की रोटियां खिलवाईं। मगर, आस्था अस्पताल में हुई घटना की तर्ज पर बहुत सारे मामलों में पुलिस ने या तो कार्रवाई नहीं की या फिर सत्ता में बीजेपी के होने की वजह से सनातन का चोला पहनने वाले इन कथित लोगों पर सख्त एक्शन नहीं लिया। नतीजा ये रहा कि इनके मनोबल बढ़ते गए और न सिर्फ इनके द्वारा की जाने वाली घटनाओं में इजाफा हुआ बल्कि हिंदुत्व को बदनाम करने की घटनाएं भी लगातार बढ़ने लगीं।

ये हुई हालिया वारदात

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शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार अस्पताल में मारपीट-गुंडागर्दी करने वाले कथित हिंदूवादी संगठन कार्यकर्ता।

 

सिटी जोन में विजयनगर थाने के नजदीक कुछ लोगों ने आस्था अस्पताल में न सिर्फ डॉक्टर्स से मारपीट-बदसलूकी की बल्कि वहां मौजूद महिला स्टाफ से भी हाथापाई और अपशब्द कहे। शिकायत के बावजूद पुलिस ने महज शांति भंग करने की धाराओं में एक्शन लिया। ये लचीला रवैया केवल इसलिए रहा क्योंकि इस वारदात को अंजाम देने वालों में एक हिंदूवादी संगठन का नाम सामने आ रहा था। यानि वारदात को अंजाम देने वाले लोगों में से कुछ हिंदूवादी संगठन से खुद को जुड़ा हुआ बता रहे थे। जाहिर है कि इस तरह का खाकी का लचीला रवैया ही इन कथित हिंदू रक्षकों के द्वारा की जाने वाली वारदातों को बढ़ावा देने वाला है।

आस्था अस्पताल में ये हुई वारदात

गौरतलब है कि चंद रोज पहले एक महिला मरीज को लेकर हुए विवाद में कुछ कथित हिंदूवादी संगठन के लोगों ने आस्था अस्पताल में मारपीट और महिला स्टाफ सहित डॉक्टर्स से बदसलूकी की वारदात की थी। मामले को कई दिन तक लटकाने के बाद पुलिस ने महज शांति भंग करने की धाराओं में आरोपियों के खिलाफ एक्शन लिया। हालाकि पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया। मगर, जिस तरह की वारदात हुई उसके मुताबिक एक्शन नहीं लिया गया। पुलिस का यही लचीला रवैया इस तरह के कथित हिंदूवादियों को धर्म और संगठन को बदनाम करने और वारदातों की पुनरावृति करने के लिए उकसाने का काम करता है। 

 

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