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डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। लेकिन, जब डॉक्टर ही लापरवाह हो जाए तो मरीज की जिंदगी को भगवान भी नहीं बचा पाते। ऐसा ही एक मामला सामने आया यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल कौशांबी में। मामूली से हर्निया के ऑपरेशन के बाद 35 साल के एक मरीज की मौत हो गई। परिजनों ने ऑपरेशन और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया। पुलिस की शिकायत भी दी गई। पुलिस ने शिकायत को सीएमओ ऑफिस भेज दिया। पुलिस ने पीड़ित परिजनों से कहा कि सीएमओ स्तर से जांच के बाद ही रिपोर्ट दर्ज की जा सकेगी। उधर, सीएमओ ने मामले की जांच के लिए 3 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का पैनल बनाया है। सीएमओ का कहना है कि जांच रिपोर्ट जल्द ही पुलिस को भेज दी जाएगी। वहीं, युवक के परिजनों की ओर से 10 जून को न्याय की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।
क्या था मामला
मुजफ्फरनगर के भस्सी गांव में रहने वाले अर्पित चौधरी सिरोही ने बताया कि 23 मई को उनके भाई उज्जवल चौधरी (35) यशोदा अस्पताल कौशांबी में अपनी जांच कराने के लिए गए थे। जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें हर्निया होने और रोबोटिक सर्जरी कराने की सलाह दी। इसके लिए उन्हें 26 मई को बुलाया गया। सर्जरी करीब चार घंटे चली। आरोप है कि सर्जरी के दौरान उज्जवल की आंत कट गई। 27 मई को उज्जवल ने पेट में दर्द होने की बात कही। डॉक्टरों को उन्होंने बताया। जिसके बाद नारियल पानी पीने को दिया गया। दवाई दी गई लेकिन आराम नहीं हुआ। उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई। 29 मई को दोबारा से सर्जरी हुई और वेंटिलेटर पर लाया गया। एक जून की देर रात करीब 1ः30 बजे उज्जवल की मौत हो गई।
ये हैं आरोप
अर्पित चौधरी के अनुसार ऑपरेशन के बाद 27 मई को उज्जवल ने पेट में दर्द की शिकायत थी, जिसे डॉक्टर को भी बताया गया था। लेकिन, डॉक्टर ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। डॉक्टर ने उन्हें नारियल पानी देने को कहा और दवा दी। दवा लेने से भी उज्जवल को पेट दर्द में आराम नहीं मिला। परिजनों ने अस्पताल स्टाफ से इसकी शिकायत की, लेकिन स्टाफ ने ऑपरेशन के बाद पेट में गैस बनने की बात कहकर टाल दिया। जबकि उज्जवल का पेट फूलने लगा था और त्वचा पर भी पीलापन आ गया था। उन्हें सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। इसके साथ ही उनका ब्लड प्रेशर भी कम हो रहा था। आरोप है कि 24 घंटे तक अस्पताल स्टाफ और डॉक्टर ने उज्जवल की जांच तक नहीं की। 24 घंटे बाद उनकी जांच की गई तब पता चला कि बड़ी आंत फटी हुई है और काफी मात्रा में पेट में अपशिष्ट जमा हो गया है। जिसके बाद उनकी दोबारा से इमरजेंसी सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान पेट से 6 लीटर अपशिष्ट निकाला गया। 31 मई को उनकी हृदय गति रुक गई थी, जिसके चलते उन्हें सीपीआर दिया गया। इस दौरान उनकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया। 1 जून को उन्हें किडनी फंक्शन शुरू करने वाली दवा दी गई और डायलिसिस शुरु किया गया, लेकिन ब्लड प्रेशर कम होने के कारण डायलिसिस को रोक दिया गया। 2 जून की रात में उज्जवल की हृदय गति एक बार फिर से रुक गई, उन्हें सीपीआर भी दिया गया, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं हुआ। रात में लगभग डेढ़ बजे उज्जवल को मृत घोषित कर दिया गया।
परिजनों ने किया शांति पूर्वक प्रदर्शन
उज्जवल की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में शांतिपूर्वक धरना शुरु कर दिया। परिजन ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन्हें सामने बुलाने की मांग पर अड़े रहे। मौके पर एसीपी इंदिरापुरम अभिषेक श्रीवास्तव फोर्स के साथ पहुंचे और लोगों को शांत कराया। करीब तीन घंटे तक चली बातचीत के बाद उज्जवल के पिता जितेंद्र सिंह की तरफ से तहरीर दी गई। इसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम के शव को मोर्चरी भिजवाया।
परिवार की मांग
परिवार की ओर से उज्जवल की मौत के मामले में गहनता से जांच किए जाने और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पंकज सिन्हा और उनकी टीम का मेडिकल लाइसेंस रद्द किए जाने की मांग की गई है। परिजनों ने डॉ. पंकज सिन्हा के साथ ऑपरेशन मौजूद मेडिकल स्टाफ और उज्जवल का इलाज करने वाले मेडिकल स्टाफ की भूमिका की भी जांच की मांग की है। इसके साथ ही यशोदा अस्पताल में मेडिकल व्यवस्थाओं की जांच की मांग भी की गई है। अस्पताल में अनावश्यक रूप से आईसीयू, वेंटीलेटर और सर्जरी किए जाने को लेकर भी गहनता से जांच की मांग की गई है।
दो बेटियों से सिर से उठा पिता का साया
अर्पित चौधरी ने बताया कि उज्जवल की शादी वर्ष 2014 में हुई थी। परिवार में पत्नी ईशा चौधरी और दो बेटी अवनी और वाणी हैं। दो भाइयों में उज्जवल बड़ा भाई था। वर्तमान में वह राजनगर एक्सटेंशन के अजनारा इंटरगिटी अपार्टमेंट में परिवार के साथ रहकर ई-कॉमर्स कंपनी में बतौर टीम लीडर काम कर रहे थे। उनकी मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
ये रहे ऑपरेशन में शामिल
अस्पताल प्रबंधन की ओर से बताया गया कि मरीज को अम्बिलिकल हर्निया, मोरबिड ओबेसिटी की समस्या के चलते भर्ती किया गया था। 26 मई को मरीज की रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी की गई। 29 मई को मरीज ने सांस लेने में दिक्कत और पेट फूलने जैसी समस्याएं बताई थीं। इसके बाद मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। 29 मई को ही परफोरेशन पेरीटोनाइटिस के चलते दोबारा पेट की मेजर सर्जरी की गई। इसके बाद आईसीयू में वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया जहां संक्रमण और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी विभिन्न परेशानियां रहीं , जिससे हालत और गंभीर बनी रही। दो जून की सुबह करीब 1:31 बजे मरीज का निधन हो गया। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. पीके सिन्हा, डॉ. वीएस पांडे और डॉ. संजय सिंह नेगी रहे।
क्या कहती है पुलिस
एसीपी इंदिरापुरम अभिषेक श्रीवास्तव के अनुसार मामले में युवक के पिता की ओर से लापरवाही का आरोप लगाते हुए तहरीर दी गई है। मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सीएमओ कार्यालय की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहते हैं सीएमओ
सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन के अनुसार यशोदा अस्पताल कौशांबी में मरीज की मौत के संबंध में शिकायत मिली है। जांच के लिए तीन स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का पैनल बनाया गया है। पैनल मरीज के परिजनों और अस्पताल प्रबंधन के बयान दर्ज करने के साथ ही पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट उन्हें सौंपेगा। रिपोर्ट को पुलिस को सौंपा जाएगा।