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गाजियाबाद की गैंगस्टर कोर्ट में लोक अभियोजक के पद पर तैनात एक वकील साहब को एक प्राइवेट रिकवरी गैंग फोन पर धमकियां देकर परेशान कर रहा है। हालात ये कि वकील साहब कोर्ट में गैंगस्टर्स के खिलाफ सरकारी पक्ष रख रहे होते हैं, तब भी ये गैंग फोन कर-करके उन्हें इस कदर धमका रहा है कि मजबूरन उन्हें पुलिस का सहारा लेना पड़ गया है। कविनगर थाने में पीड़ित लोक अभियोजक ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है।
गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में गैंगस्टर्स केस के लिए अलग से एक विशेष अदालत है। इस अदालत में सरकारी पक्ष रखने के लिए वरुण त्यागी एडवोकेट बतौर लोक अभियोजक तैनात हैं। वरुण त्यागी ने कविनगर थाने में केस दर्ज कराया है कि कुछ लोग फोन पर उन्हें तरह-तरह की धमकियां दे रहे हैं। पुलिस ने तहरीर के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता(बीएनएस) की धारा 352, 351(4) और 308(2) के तहत केस दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है।
दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक गैंगस्टर कोर्ट के लोक अभियोजक वरुण त्यागी को फोन पर धमकियां देने वाले खुद को बैंक का रिकवरी एजेंट बताकर धमकियां दे रहे हैं। आरोपियों के मुताबिक किसी रवि कश्यप नाम के शख्स ने उधार में रकम ले रखी है। उस रकम का ये तकादा करते हुए न सिर्फ वकील साहब से गाली-गलोच कर रहे हैं, बल्कि जान से मार देने तक की धमकियां दे रहे हैं।
पीड़ित लोक अभियोजक के मुताबिक सुबह 10 बजे वो कोर्ट आ जाते हैं तबसे लेकर दोपहर तीन बजे तक कोर्ट में रहते वक्त भी फोन करने वाले लोग उन्हें धमकियां दे रहे हैं। जिससे कोर्ट का काम-काज करने में भी वकील साहब को दिक्कतें पेश आ रही हैं। पीड़ित अधिवक्ता का कहना है कि जिस शख्स के नाम पर पैसों को लेकर ये धमकियां दे रहे हैं वो उसे जानते तक नहीं हैं।
जहां पुलिस ने अधिवक्ता की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया है, वहीं सर्विलांस टीम को अज्ञात आरोपियों की तलाश में लगाया है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही आरोपी दबोच लिए जाएंगे।
जिले में रिकवरी के नाम पर लोगों को धमकाने, उनसे कानून को ताक पर रखकर मारपीट और झपटमारी करने के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। कुछ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों से साठ-गांठ रखने वाले गैंगस्टटर जिले में एरिया के हिसाब से इस अवैध धंधे में लिप्त तो हैं ही बल्कि मनमाफिक रिकवरी के नाम पर कानून को ताक पर रखकर कॉल्स के जरिये व अन्य माध्यमों से लोगों का मानसिक उत्पीड़न करते हैं। पुलिस में शिकायत करने के बावजूद अमूमन पुलिस मामलों को नजरअंदाज कर देती है। जिसके चलते इन अवैध रिकवरी गैंग्स का आतंक दिनों-दिन बढ़ रहा है।
ऐसे मामलों में पुलिस के गंभीर नहीं होने और इन गैंगस्टर्स के खिलाफ एक्शन नहीं लेने के चलते कई मामलों में पीड़ित सुसाइड तक कर चुके हैं। जाहिर है कि उच्चाधिकारी ध्यान दें तो इस तरह के अवैध रिकवरी एजेंट्स के कानून को हाथ में लेकर लोगों का उत्पीड़न करने की घटनाएं रोकी जा सकती है। लेकिन उसके लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत है।