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गाजियाबाद: सिहानी गेट के नेहरूनगर में स्थित भारत फाइनेंशियल इन्क्लूजन लिमिटेड (इंडसइंड बैंक) की शाखा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शाखा प्रबंधक अंकित कुमार ने बैंक के पूर्व कर्मचारी नरेंद्र कुमार पर 1,33,299 रुपये के गबन का गंभीर आरोप लगाया है।
प्रबंधक की तहरीर के आधार पर सिहानी गेट पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात की धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस घटना ने बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वास की महत्ता को एक बार फिर रेखांकित किया है।
क्या है पूरा मामला?
इंडसइंड बैंक की नेहरूनगर शाखा के प्रबंधक अंकित कुमार ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में बताया कि उनका बैंक केवाईसी (नो योर कस्टमर) प्रक्रिया के आधार पर लोगों को ऋण प्रदान करता है। इस प्रक्रिया के तहत, बैंक ने महिला समूहों को भी ऋण मुहैया कराया था। इन समूहों से साप्ताहिक आधार पर ऋण की वसूली का जिम्मा बैंक कर्मचारी नरेंद्र कुमार को सौंपा गया था।
नरेंद्र कुमार, जो रामपुर जिले के गांव मिलक का निवासी है, पर आरोप है कि उसने महिला समूहों से वसूली गई राशि को बैंक में जमा करने के बजाय अपने पास रख लिया। इसके बाद, वह नौकरी छोड़कर फरार हो गया।
जब बैंक ने इस मामले की जांच शुरू की, तो नरेंद्र कुमार के गबन का खुलासा हुआ। जांच में सामने आया कि उसने कुल 1,33,299 रुपये की राशि का गबन किया। इस खुलासे के बाद शाखा प्रबंधक ने तुरंत सिहानी गेट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
सिहानी गेट पुलिस ने शाखा प्रबंधक की तहरीर के आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए नरेंद्र कुमार के खिलाफ भारतीय न्यास संहिता (बीएनएस) की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मुकदमा दर्ज किया है। एसीपी नंदग्राम पूनम मिश्रा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है।
पुलिस आरोपी की तलाश में जुट गई है और जल्द ही उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।एसीपी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में पारदर्शी जांच और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
बैंकिंग क्षेत्र के लिए सबक
यह घटना बैंकिंग क्षेत्र में आंतरिक नियंत्रण और कर्मचारी निगरानी की जरूरत को रेखांकित करती है। इंडसइंड बैंक जैसे वित्तीय संस्थान, जो विशेष रूप से ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग के लिए ऋण सुविधाएं प्रदान करते हैं, सामाजिक और आर्थिक समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हालांकि, इस तरह की घटनाएं न केवल बैंक के राजस्व को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि ग्राहकों के बीच विश्वास को भी कमजोर करती हैं।महिला समूहों को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई ऋण योजनाएं समाज के कमजोर वर्गों के लिए वरदान साबित होती हैं। लेकिन कर्मचारियों द्वारा इस तरह का विश्वासघात इन योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव
इस घटना के बाद बैंक और प्रशासन के लिए कुछ कदम उठाना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी वारदातों को रोका जा सके।
कर्मचारियों की कड़ी निगरानी: बैंक कर्मचारियों, खासकर वसूली जैसे संवेदनशील कार्यों में शामिल लोगों की नियमित जांच और ऑडिट।
डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा: नकद वसूली की जगह डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करना, ताकि गबन की संभावना कम हो।
पारदर्शी सिस्टम: वसूली और जमा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी समाधान, जैसे रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम।
कानूनी कार्रवाई में तेजी: गबन जैसे मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई, ताकि अन्य कर्मचारियों के लिए नजीर बने।
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