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दिल्ली से सटी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा स्थापित तुलसी निकेतन कालोनी में सर्वे के काम में जुटे अपर सचिव व अन्य अफसर।
VC GDA के निर्देशन मे अपर सचिव व अधिशाषी अभियंता की टीम द्वारा किया गया दौरा
टीम बनाकर कराया जा रहा है सर्वे, लगभग 500 मकानों का सर्वे अब तक किया जा चुका है
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने तुलसी निकेतन कॉलोनी के जर्जर भवनों के पुनर्विकास की योजना और यहां अपना नया प्लान लाने की कोशिश में अर्से से लगा है। हर जीडीए बोर्ड बैठक में इस योजना पर चर्चा और नये-नये फैसले भी लिए जाते हैं। बावजूद इसके हालत ये है कि इस कालोनी के सर्वेक्षण के काम को कछुआ चाल से किया जा रहा है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जीडीए वीसी के खुद निरीक्षण करने के बावजूद 2292 मकानों में से सिर्फ 500 का ही सर्वे किया जा सका है। ये हाल तो तब है जबकि जीडीए वीसी खुद इस योजना को लेकर बेहद संजीदा हैं।
ये थी तुलसी निकेतन योजना
लिए सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ किया है। यह सर्वेक्षण जीडीए के उपाध्यक्ष श्री अतुल वत्स के निर्देशन में किया जा रहा है। जीडीए ने गाजियाबाद के भोपुरा दिल्ली बॉर्डर से सटी तुलसी निकेतन योजना के अंतर्गत 1989-90 में 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआईजी फ्लैट्स का निर्माण किया था। वर्तमान में इन भवनों की स्थिति बेहद जर्जर हो चुकी है, जिससे निवासियों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। कई बार इस आवासीय योजना के फ्लेट्स में जर्जर भवन गिरने से हादसे भी हो चुके हैं। इसे देखते हुए पूर्व के जीडीए उपाध्यक्षों ने भी इस दिल्ली से सटी योजना के पूनर्विकास और यहां रहने वाले लोगों को किसी अन्य योजना में शिफ्ट करने की कवायद की थी। जीडीए के वर्तमान वीसी ने इस योजना को अपने प्रमुख और अहम प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनाकर ज्वाइन करने के कुछ वक्त बाद ही अफसरों को इस पर तेजी के काम करने के निर्देश दिए थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नतीजतन हालत ये है कि 2292 फ्लेट्स वाली इस योजना के अभी तक सिर्फ पांच सौ फ्लेट्स का ही निरीक्षण किया जा सका है।
वीसी के दौरे और निर्देश भी बेमानी
पिछले दिनों रविवार को अवकाश के बावजूद खुद जीडीए वीसी इस कालोनी में आए और यहां के भवनों का जायजा लेकर अफसरों को यहां के मकानों की जर्जर हालत देखकर जल्द से जल्द सर्वेक्षण का काम निबटाने को कहा था। बावजूद इसके अफसर-कर्मचारी बेपरवाही कर रहे हैं। नतीजा ये है कि 2292 में से सिर्फ 500 ईडब्लूएस और एलआईजी फ्लेट्स का ही सर्वेक्षण पूरा हो सका है।
2018 में भवनों को किया गया अयोग्य घोषित
गौरतलब है कि 2018 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण में इन भवनों को रहने हेतु अयोग्य घोषित किया गया था। पिछले दिनों इसी आवासीय योजना के एक फ्लेट की एक बालकनी गिरने की घटना में दो लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद पुनर्विकास की आवश्यकता जीडीए अफसरों को नजर आई थी।
वीसी की ये है प्लानिंग
GDA वीसी चाहते हैं कि इस तुलसी निकेतन योजना में रहने वाले पात्र लोगों के लिए पुनर्विकास परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत क्रियान्वित की जाए। उसी योजना के तहत निर्माण कार्य के दौरान लगभग 7,000 निवासियों को अस्थायी रूप से स्थानांतरित किया जाएगा, जिसकी व्यवस्था और लागत डेवलपर द्वारा वहन की जाएगी। लेकिन सर्वेक्षण के काम की धीमी रफ्तार के चलते 2018 में कंडम घोषित मकानों में लोग रहने को मजबूर हैं।
जीडीए के सर्वेक्षण में ये हो रहा
GDA द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण का उद्देश्य वर्तमान निवासियों की पहचान करना है, ताकि पुनर्विकास के पश्चात फ्लैट्स का उचित आवंटन सुनिश्चित किया जा सके। इस प्रक्रिया में जिला नगरीय विकास एजेंसी (DUDA) और नगर निगम की टीम संयुक्त रूप से शामिल है।
वीसी बोले-सहयोग करें निवासी
GDA उपाध्यक्ष अतुल वत्स के अनुसार यह परियोजना निवासियों को सुरक्षित और बेहतर आवास प्रदान करने के लिए लायी जा रही है। उन्होंने सभी निवासियों से सहयोग की अपील की है, ताकि यह परियोजना सफलतापूर्वक पूर्ण की जा सके।