Advertisment

Ghaziabad Electricity Bill scam: बिजली विभाग का कारनामा, पोने दो लाख का बिल हो गया 73 हजार, जांच रिपोर्ट के बाद भी एक्शन नहीं

सूबे के सबसे ज्यादा करप्ट कहे जाने वाले बिजली विभाग में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि सरकार को चूना लगाकर पोने दो लाख के बिल को निजी स्वार्थ से 73 हजार का कर दिया गया। जांच में इसकी पुष्टि के बावजूद दोषी पाए गए एसडीओ साहब पर एक्शन नहीं हो रहा।

author-image
Rahul Sharma
GZB bijli vibhag-1
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।

यूपी के सबसे भ्रष्ट विभागों में करंट वाला महकमा टॉप पर माना जाता है। शायद इसका बड़ा कारण ये है कि इसमें तैनात अफसर हों या कर्मचारी विभाग को ही चूना लगवाकर अपनी जेब गर्म करते हैं। हालिया मामला सामने आया है करीब पोने दो लाख रुपये के बिजली के बिल का। मीटर ने सही काम किया। पोने दो लाख की बिजली बिल की देनदारी हो गई। मगर, देखिए विभाग की कारिस्तानी की पोने दो लाख के बिल को महज 73 हजार कर दिया। विभाग को करीब एक लाख की चपत लगी। मगर साहब की जेब गर्म हो गई। मामला पकड़ा गया। जांच में करतूत की पुष्टि भी हो गई। लेकिन महकमें में बैठे ऐसे ही और विभीषण मामले को लटकाए हैं।

ये है मामला

गाजियाबाद के सिटी जोन में नेहरू नगर के सब डिवीजन सेकेंड का ये पूरा मामला है। नवयुग मार्किट की 74 नम्बर बिल्डिंग के स्वामी पशुपति नाथ बिजली विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। उनके नाम से मई महीने का बिजली बिल एक लाख 72 हजार 622 रुपए निकाला गया। जिसे 24 मई को जमा करना था। इसमें बकाया बिल भी शामिल था, जो कई महीने से जमा नहीं हुआ था। विभागीय सूत्रों के मुताबिक बिजली मीटर में रीडिंग 15 हजार बैलेंस मिली थी। फरवरी 2025 में बने बिल में पशुपतिनाथ जी पर एक लाख 72 हजार 622 रुपए की देनदारी बिजली विभाग ने निकाली। मगर, करंट वाले विभाग में करप्शन की माया देखिए कि  भवन स्वामी ने विद्युत कर्मियों से सांठगांठ कर बिल रिवाइज कराकर मात्र 73 हजार 67 रुपए करा लिया। जिसे 26 मई को जमा दर्शाया गया है।

ऐसे खुली करतूत

जहां करंट वाले विभाग में साठगांठ करके बिल रिवाइज कराकर 73 हजार 67 रुपये जमा कराकर पीछा छुड़ा लिया गया, वहीं विभाग के ऑनलाइन पोर्टल और विभाग की बकाया लिस्ट में पशुपतिनाथ साहब का नाम आज भी एक लाख 72 हजार 622 रुपये के बकाया वाले उपभोक्ता के रूप में नजर आ रहा है।

बड़ा सवाल

हजार-15 सौ के बकाया बिल पर कनेक्शन काटने वाले विभाग की ये हरकत सवाल खड़ा करती है। सवाल ये है कि एक लाख 72 हजार का बिल आखिर 73 हजार किसके कहने व किस आधार पर किया गया। क्या इसकी एवज में कर्मचारियों से लेकर अफसरों तक ने सरकार और विभाग को चूना लगाकर बंदरबांट किया ? सूत्र बताते हैं कि इस करतूत का रायता फैलने पर विभाग के उच्चाधिकारियों ने जांच के आदेश दिए। जांच भी कुछ ऐसे अफसरों तक पहुंच गई जिन्होंने दूध का दूध और पानी का पानी करते हुए मामले में उच्चाधिकारी के नियमों को ताक पर रखकर बिल घटाने की बात कही। लेकिन देखिए जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों की टेबल पर है। मगर दोषियों पर एक्शन नहीं हो रहा। बड़ा सवाल यही कि आखिर क्यों ? क्या जांच में दोष साबित होने के बावजूद मामले को दबाने वाले उच्चाधिकारियों को भी इस गोलमाल में हिस्सा मिला है ? इस तरह की चर्चाएं विभाग में ही हो रही हैं।

Advertisment

चर्चा ये है

सूत्र बताते है कि विभाग में चर्चा है कि इस खेल में बिजली विभाग के अधिकारी ओर  कर्मचारी ही लिप्त हैं। जिन्होंने उपभोक्ता को लाभ पहुंचाने के लिए अपने ही विभाग को चूना लगा दिया।अब इस मामले का संज्ञान लेते हुए अधिशाषी अभियंता ने जांच कमेटी गठित की थी। जांच कमेटी ने अपनी जांच आख्या भेज दी है, जिसमें बिल के साथ हेरा फेरी की बात कही गई है। लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई।

उप-खंड अधिकारी द्वितीय हैं आरोपी

इस मामले में उपखंड अधिकारी सेकेंड गाजियाबाद की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई। जिसमें एकाउंटेंट और कार्यकारी सहायक को भी जांच कमेटी में शामिल किया था। सूत्रों के अनुसार जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट अधिशाषी अभियंता को दी है उस रिपोर्ट में एसडीओ यानि उप-खंड अधिकारी सेकेंड द्वारा बिल घटाने को नियम विरूद्ध बताया गया है। सही बिल लाखों में है। 

Advertisment
Advertisment