गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।
चंद सालों पहले तक सिटी एरिया में एक प्रेस की दुकान और रमते राम रोड के अहाते में एक पुराने मकान में रहने वाला अरबपति शहरवासियों में शुमार कर गया। बैंकों को करोड़ों नहीं बल्कि अरबों रुपये का चूना लगाने वाला ये लोन माफिया देखते ही देखते शहर के नामचीनों में शामिल हो गया। कलई खुली तो पुलिस से लेकर सीबीआई तक पीछे पड़ी। मगर, देखिए सरकारी नौकरशाहों की लापरवाही और बेपरवाही की वजह से न सिर्फ इस शातिर को जमानत मिल गई बल्कि सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट को भी फटकार लगा दी। बड़ा सवाल है कि इस महाठग के मामले में सरकारी एजेंसियों ने जांच में हील-हिवाली कर ऐसे हालात क्यों पैदा किए कि उसे रिहाई का फरमान जारी करना पड़ा? बड़ा सवाल ये भी कि क्या ऐसे बेपरवाह नौकरशाहों के खिलाफ जांच होगी ?
ये है महाठग लक्ष्य तंवर
पहली बार 2020 में पुलिस के रडार पर महाठग लक्ष्य तंवर तब आया जब उसके खिलाफ कोतवाली सिटी में एक केस दर्ज हुआ। उसने ठगी के मामले में अपने परिवार को भी नहीं बख्शा । उसने एक प्रॉपर्टी चाचा सुनील और चचेरे भाई शिवम के नाम कराई और बैंक कर्मियों से साठगांठ कर चार करोड़ का लोन करा लिया। बैंक से जब लक्ष्य तंवर के चाचा और चचेरे भाई को रिकवरी का नोटिस मिला तो वो कोतवाली पुलिस के पास पहुंचे। वहां केस दर्ज नहीं हुआ। उच्चाधिकारियों से शिकायत की सुनवाई नहीं हुई तब शिवम ने अक्तूबर 2020 में कोर्ट के आदेश पर लक्ष्य तंवर, उसकी पत्नी प्रियंका, शाखा प्रबंधक, उप प्रबंधक समेत अन्य के खिलाफ नगर कोतवाली में केस दर्ज कराया था। जांच में शिवम और उसके पिता की साजिश बेनकाब हो गई। यह ऐसा मामला था कि पुलिस ने जिसमें वादी और आरोपी दोनों को गिरफ्तार किया था।
अगस्त 2021 में गिरफ्तारी, 3 दर्जन केस
लक्ष्य तंवर को पहली बार कोतवाली में दर्ज मामले में अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया गया था। लोन माफिया लक्ष्य तंवर के किस्सों का जिक्र किया जाए तो नटवरलाल से कम नहीं है। पुलिस से सीबीआई तक सभी को चकमा देता रहा था। उसके खिलाफ वर्तमान में गाजियाबाद के थानों में 33 से अधिक मुकदमे फर्जी दस्तावेज दिखाकर लोन लेने के दर्ज हैं। गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस को लक्ष्य की कहानी पता चली तो चकित रह गई कि कैसे चंद दिनों में कपड़ों पर प्रेस करने वाला करोड़पति बन गया। माफिया ने अपने चाचा और चचेरे भाई के साथ मिलकर करीब 400 करोड़ रुपये का ऋण घोटाला किया था। मामले की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने तंवर को वर्ष 2021 में गिरफ्तार किया था। अभी तक कई मामलों की जांच एसआईटी पूरी नहीं कर पाई है।
फर्श से अर्श तक का सफर
लक्ष्य तंवर के पिता पूर्व में कपड़ों पर प्रेस करने का काम करते थे। पिता के काम में हाथ बंटाने वाला लक्ष्य एक महिला बैंक अधिकारी के घर आता-जाता था। बताते हैं कि संतान न होने पर महिला बैंक अधिकारी के संपर्क में बचपन में आने के दौरान ही लक्ष्य की मुलाकात कुछ बैंक कर्मियों से हुई और वो लोन के धंधे में घुस गया। धीरे-धीरे उसकी साठगांठ बैंक अधिकारियों से हो गई और वह बैंकों से लोन दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने लगा। लाखों रुपये की प्रॉपर्टी पर भी वह चंद घंटों में करोड़ों का लोन दिलाने का दावा करता था। इसके अलावा लक्ष्य पर एक ही प्रॉपर्टी को कई बार बेचने व उस पर कई बार लोन निकलवाने के भी आरोप हैं और कुछ ही वर्षों में वह करोड़पति बन गया।
मृतकों से लेकर खाकी वालों तक को ठगा
लक्ष्य ने न सिर्फ आम लोगों को बल्कि खाकी वालों से लेकर मृत लोगों तक के नाम पर ठगी की। कोतवाली नगर के एक कोतवाल को चूना लगाने के अलावा अन्य कई पुलिस वालों को भी अपना शिकार बनाया। इतना ही नहीं समाजवादी सरकार में सपा के नामचीन नेताओं तक को उसने ठगी का शिकार बना डाला। इसके अलावा लक्ष्य ने मृतक को जिंदा दिखाकर मकान की रजिस्ट्री कराई और फिर उस पर डेढ़ करोड़ का लोन निकाल लिया। लक्ष्य ने जिस मृतक को जिंदा दिखाया, उसी के बेटे को रजिस्ट्री के दौरान गवाह भी बनाया। पुलिस ने मामले में मृतक के बेटे को भी गिरफ्तार किया था। मामला सिहानी गेट कोतवाली में दर्ज हुआ था।