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Ghaziabad Nagar Nigam: वेबसिटी के 10 हजार रेजीडेंट्स से टैक्स वसूली की तैयारी, सवाल-सुविधाएं कब?

वेब सिटी में रहने वाले 10 हजार रेजीडेंट्स के लिए ये खबर जरूरी है। जल्द ही नगर निगम वेब सिटी के बाशिंदों से टैक्स वसूली करने जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि यहां के लोगों को निगम की व्यवस्थाएं और सुविधाएं कब तक मिलेंगी ?

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Rahul Sharma
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नेशनल हाइवे-9 पर गाजियाबाद में बनी वेब सिटी जो शराब के कारोबारी रहे पोंटी चड्ढा परिवार ने डवेलप की है।

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गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।

बसपा सुप्रीमो मायावती के शासन काल में आई वेब सिटी योजना को लेकर जहां किसानों और बिल्डर ग्रुप के बीच रार लगातार जारी है, वहीं इसे झेल रहे यहां रहने वाले रेजीडेंट्स के लिए एक और खबर झटका देने वाली है। जल्द ही गाजियाबाद नगर निगम यहां रहने वाले 10 हजार लोगों पर हाऊस टैक्स का झटका देने जा रहा है। इसकी न सिर्फ तैयारी हो चुकी है, बल्कि निगम बैठक में प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद जल्द ही इसे लागू करने की तैयारी की जा रही है। खबर ये नहीं कि टैक्स वसूली होगी, बल्कि खबर और सवाल ये कि नगर निगम ने यहां के लोगों को टैक्स के बदले सुविधाएं और व्यवस्थाएं करने की कोई तैयारी अब तक शुरू नहीं की है।

योगी कैबिनेट से भी मिली हरी झंडी

यह मामला कैबिनेट में रखा गया। लखनऊ में दो दिन पहले कैबिनेट की बैठक में वेव सिटी पर गृहकर लगाने की मंजूरी दे दी गई। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा ने बताया कि अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार वेव सिटी में दस हजार संपत्ति में लोग रह रहे हैं। सभी पर कर निर्धारण होगा। आवासीय और गैर आवासीय संपत्ति का पता लगाने के लिए सर्वे कराया जाएगा। इसके अलावा शहर की अन्य सोसाइटी सोसाइटी के फ्लैट में पर कर निर्धारण कराया जा रहा है।

वेव सिटी की 10 हजार संपत्ति पर गृहकर लगेगा

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

निगम ने कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद वेव सिटी पर गृहकर लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल 10 हजार संपत्ति पर कर निर्धारण कर गृहकर वसूला जाएगा। वेव सिटी की आवासीय और गैर आवासीय संपत्ति का पता लगाने के लिए सर्वे होगा। हर साल निगम को वेव सिटी से पांच करोड़ रुपये का गृहकर मिलने की उम्मीद है। निगम अधिकारी चाहते थे कि वेव सिटी में रहने वाले लोगों को भी गृहकर के दायरे में लाया जाए, क्योंकि वेव सिटी में बड़ी संख्या में लोगों ने रहना शुरू कर दिया है। इस पर वेब सिटी को आपत्ति थी। उनकी तरफ से शासन को बताया गया कि यह इंट्रीगेटिड टाऊनशिप है। इसके विकसित होने के बाद ही टैक्स का निर्धारण किया जा सकता है। इसके बाद शासन ने कमेटी बनाई। 

कमेटी में इन्हें किया गया शामिल

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए। कमेटी में नगर विकास द्वारा नामित वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख सचिव, कानपुर, गाजियाबाद और लखनऊ नगर निगम के नगर आयुक्त, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अधिकारी, आवास एवं विकास परिषद के मुख्य अभियंता, गाजियाबाद, लखनऊ और कानपुर प्राधिकरण के मुख्य अभियंता को सदस्य बनाया था।

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सड़क की चौड़ाई के हिसाब से कर लगेगा

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निगम शहर की पुरानी संपत्ति पर डीएम सर्किल रेट का डेढ़ गुना टैक्स वसूल करेगा। साढ़े चार लाख संपत्ति पर बढ़ी दर से बिल जारी होंगे। निगम ने सड़क की चौड़ाई को तीन श्रेणी में बांटा है। पहली श्रेणी 12 मीटर चौड़ी वाली सड़क है। दूसरी श्रेणी 12 से 24 मीटर तक चौड़ी सड़क है। तीसरी श्रेणी 24 मीटर से अधिक चौड़ी वाली सड़क है। 12 मीटर चौड़ी सड़क वाले भवन पर पहले 1.45 रुपये का हिसाब से टैक्स लगता था। इसे बढ़ाकर 3.50 रुपये किया जाएगा। 12 से 24 मीटर चौडी सड़क के भवन पर टैक्स दर 2.00 रुपये से बढ़ाकर 3.75 रुपये होगी। वहीं, 24 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क वाले भवन के लिए टैक्स दर 2.41 रुपये से बढ़ाकर 4.00 रुपये की जाएगी।

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