गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।
अंग्रेजी हुकूमत का दौर था। पुराने शहर के बीच एक कंपनी बाग था। इस कंपनी बाग में 1920 में अंग्रेजी हुकूमत ने एक लाइब्रेरी स्थापित की थी। माया सरकार के दार्यकाल के दौरान 2008 में तत्कालीन नगर आयुक्त ने अस पुस्तकालय (लाइब्रेरी) के लिए बहुमंजिला भवन के निर्माण का कार्य शुरू कराया, जिसे तत्कालीन सीएम मायावती ने 2011 में ऑनलाइन उद्घाटन कर जनता को समर्पित कर दिया। लेकिन अनदेखी के चलते जर्जर हो चुकी इस इमारत और लाइब्रेरी को वर्तमान में निगम अफसर हाईटेक बनाने में जुटे हैं। इसके जीणोद्वार पर करोड़ों रुपये खर्च करके इसे आधुनिक बनाने और इसकी क्षमता बढ़ाने का काम चल रहा है। मगर, सीएलसी कंपनी अवैध तरीके से इस भवन में कब्जा जमाए बैठी है। इतना ही नहीं कंपनी की और भी करतूतें हैं। जिन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
करोड़ों की लागत से मायावती सरकार के कार्यकाल में शानदार बहुमंजिला भवन में बनाई गई कंपनी बाग लाइब्रेरी का निगम जीणोद्वार कराकर उसे हाईटेक बनाने में जुटा है।
ये है लाइब्रेरी का इतिहास
पुराना शहर गाजियाबाद शहर के चार गेटों घंटाघऱ, सिहानी गेट, डासना गेट और दिल्ली गेट के बीच बसा था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान घंटाघर के पास एक कंपनी बाग था। अंग्रेजों के जमाने यानी की 1920 में बनी थी। इस लाइब्रेरी को बीच-बीच में समाजसेवी संस्थाओं ने चलाया और कई बार बन्द की कगार पर पहुंच गई थी। हालांकि वर्ष 2008 में नगरायुक्त के तौर पर अजय शंकर पांडे की तैनाती हुई और उन्होंने भूतल पर पुस्तकालय तथा ऊपरी मंजिल पर सिटी जोन कार्यालय का निर्माण कार्य शुरू कराया। इस कार्य को पूर्ण करने में लगभग 3 वर्ष का समय लगा। यानी कि वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा लाइब्रेरी का ऑनलाइन उद्घाटन किया गया। फिलहाल महापौर सुनीता दयाल और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक की पहल पर लाइब्रेरी का जीर्णोद्धार हो रहा है। इस लाइब्रेरी को हाईटेक बनाने में कई करोड़ रुपए का खर्च आ चुका है। जानकारी के मुताबिक जनवरी माह, 2025 में शुरू हुए इस लाइब्रेरी के जीर्णोद्धार में नेचर ग्रीन कंपनी द्वारा रंग रूप दिया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त विक्रमादित्य से सिंह मलिक, नगर स्वास्थ्य अधिकारी मिथिलेश कुमार के अलावा अन्य अधिकारी कर्मचारीगण मौजूद थे।इस कंपनी बाग में में बनाई जा रही हाईटेक लाइब्रेरी का अधिकारियों ने निरीक्षण किया। इस दौरान कुछ खामियां भी उन्हें मिली, जिनको सही करने की बात अधिकारियों ने कही।
लाइब्रेरी भवन पर CLC कंपनी का कब्जा, किसकी शह?
नगर निगम द्वारा जिस पुस्तकालय का जीर्णोंद्वार कराया जा रहा है उसकी बिल्डिंग में सीएलसी कंपनी का दफ्तर खुला हुआ है। सवाल उठ रहा है कि आखिर इस बिल्डिंग में सीएलसी कंपनी का दफ्तर खोलने की इजाजत किसने दे रखी है? क्योंकि सरकारी बिल्डिंग में सीएलसी का क्या मतलब? आपको बता दें कि सीएलसी कंपनी पंडित दीनदयाल उपाध्याय शहरी आजीविका मिशन के तहत लोगों को रोजगार मुहैया कराती है। फिलहाल यह कार्य गाजियाबाद में प्राइवेट कंपनी जिसके डायरेक्टर पवन कुमार पांडे हैं, उन्हें आजीविका हेतु नो प्रॉफिट नो लॉस पर दिया गया था। लेकिन बड़ा सवाल ये कि सरकारी भवन में निजी कंपनी का दफ्तर चलाने की इजाजत किस अफसर की शह पर दी गई ?
नौकरी दिलाने के नाम पर वसूली का आरोप
सूत्रों का दावा है कि सीएलसी कंपनी द्वारा नगर निगम अथवा अन्य विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। पंजीकरण के नाम पर भी 300 रुपए की फीस ली जाती है। जबकि उन्हें रसीद नहीं दी जाती और ना ही ऑनलाइन पेमेंट ली जाती है।
ऐसे हुआ घूसखोरी का खुलासा
सीएलसी कंपनी द्वारा नगर निगम में वरिष्ठ प्रभारी कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कुछ लोगों को नौकरी पर लगवाया था। कुछ समय बीतने के बाद वरिष्ठ प्रभारी कंप्यूटर ऑपरेटरों द्वारा तत्कालीन नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर तथा अपर नगर आयुक्त शिव पूजन यादव से वेतन वृद्धि की मांग की गई। उक्त दोनों अधिकारियों ने उनका वेतन बढ़ाने से पहले परीक्षा ली तो साफ हुआ कि आधे से ज्यादा ऑपरेटर कार्य करने की स्थिति में नहीं थे। तब उन्होंने बताया कि 25 हजार से लेकर ढाई लाख रुपए तक की रिश्वत सीएलसी कंपनी के लोगो को देकर वह यहां तक पहुंचे हैं। कुछ लोगों द्वारा शिकायत की गई और पुलिस ने भी इस संदर्भ में जांच पड़ताल की। तब यह भी पुलिस के संज्ञान में आया की राजवीर व राजकुमार के अलावा अन्य लोगों द्वारा पैसे लेकर भी बेरोजगार लोगों को नौकरी पर नहीं लगवाया गया। मगर, मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
कौन है स्टाफ से अभद्रता करने वाला रविंद्र प्रजापति?
नगर निगम द्वारा बनाई जा रही लाइब्रेरी में सामाजिक तत्व भी आकर बैठने लगे हैं। सूत्रों का दावा है कि रविंद्र प्रजापति नामक एक दबंग व्यक्ति माहौल खराब करने में जुटा हुआ है। आए दिन वह वहां स्टाफ के साथ भी अभद्र व्यवहार करता है और सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का भी कार्य कर रहा है। जबकि उसका लाइब्रेरी से कोई लेना-देना नहीं है, मगर, फिर भी वह वहां जाकर अपना रौब गालिब करता है। सूत्रों का यह भी दावा है कि कुछ बच्चों ने दहशत में जाकर वहां से नाम भी कटवा दिया है। कई लड़कियां भी लाइब्रेरी छोड़कर जा चुकी हैं। लाइब्रेरी में आने वाली लड़कियों का कहना था कि रविंद्र प्रजापति के आने से बच्चों पर काफी गलत प्रभाव पड़ रहा है। इस संबंध में नगर विकास मंत्री को भी बच्चों द्वारा कई बार पत्र लिखा जा चुका है, मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
हाईटेक लाइब्रेरी में ये होगी व्यवस्था
नगर निगम द्वारा पुस्तकालय और पुस्तकालय की बिल्डिंग को आधुनिक तरीके से बनाया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही इस लाइब्रेरी का शुभारंभ किया जाएगा। लाइब्रेरी में कार्य कर रहे लोगों ने बताया कि एसी हाल में एक समय में तकरीबन 40 से 50 विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था की गई है। विभिन्न बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से कमरा बनाया गया है। प्रकाश की बेहतरीन व्यवस्था, साफ सुथरा शौचालय के अलावा पेयजल की व्यवस्था रहेगी। बताया गया कि किताबों का रखरखाव डिजिटल होगा तथा अलग से कंप्यूटर लेब भी बनाई गई है। लैब में 10 कंप्यूटर लगाए गए हैं तथा पूरी लाइब्रेरी में इंटरनेट की सुविधा भी रहेगी।