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करोड़ों के डस्टबिन घोटाले और डीजल चोरी के मामलों समेत कई बार घोटालों में संदिग्ध भूमिका रखने वाले निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मिथलेश सफाई व्यवस्था के भी प्रभारी हैं। अब उनके इस विभाग में सफाईकर्मियों की फर्जी हाजिरी लगाकर अरसे से चला आ रहा करोड़ों रुपये महीने का घोटाला सामने आया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि कई बड़े जनप्रतिनिधि और अफसरों के चहेते डॉ. मिथलेश क्या इस बार भी बचा लिए जाएंगे, या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी?
ये है ताजा मामला
नगर आयुक्त को सूत्रों से जानकारी मिली कि सफाई कर्मचारियों की ऑन लाइन लग रही हाजिरी में गोलमाल हो रहा है। कुछ सुपरवाइजर घर बैठे कर्मचारियों की फर्जीवाड़ा करके हाजिरी लगाकर निगम को मोटी चपत लगा रहे हैं। नगर आयुक्त ने 30 मई की स्वास्थ्य विभाग की ऑन लाइन लगी एटेंडेंस शीट की जांंच कराई तो खुलासा हुआ कि 34 सौ कर्मचारियों में से 660 कर्मचारियों की फर्जी हाजिरी ऐप के जरिये लगाई गई थी। जाहिर है कि महज एक दिन में 660 कर्मियों की फर्जी हाजिरी का मतलब है हर दिन लगभग 10 लाख रुपये की हेराफेरी यानि हर महीने नगर निगम को करोड़ों रुपये की चपत।
ये हुई है खानापूर्ति
इस मामले में जानकारी मिली है कि नगर निगम ने 30 मई को फर्जी अटेंडेंस लगाने वाले 660 कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटने के निर्देश देकर मामले को दबा दिया है। जबकि ये हर महीने करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाला वो वेतन घोटाला है जिसे सालों से अंजाम दिया जा रहा है।
नगर आयुक्त से नहीं हो सकी बात
इस मामले में फोन पर नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक से फोन पर बात करने के प्रयास किए गए। मगर, संभवत: व्यस्तता की वजह से उनका फोन नहीं उठा। उधर, नगर आयुक्त से मामले को लेकर बातचीत करने के लिए उनके पीआरओ आलोक शर्मा से बात की गई तो उन्होंने नगर आयुक्त के व्यस्त होने की बात कही।
महापौर बोलीं- निष्पक्ष जांच हो
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लखनऊ में मौजूद निगम की महापौर सुनीता दयाल से फोन पर बात की गई तो उन्होने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जो भी दोषी हों उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
विधायक बोले- घोटालेबाजों पर हो एक्शन
मामले को लेकर शहर विधायक संजीव शर्मा ने कहा कि मामला गंभीर है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए।