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गाजियाबाद में एक मुस्लिम महिला निदा खान ने अपने पति और समाज के उत्पीड़न से तंग आकर हिंदू धर्म में घर वापसी की है। हिंदू रक्षा दल के प्रमुख पिंकी चौधरी की अगुवाई में वैदिक मंत्रोच्चार और हिंदू रीति-रिवाजों के बीच निदा ने हिंदू धर्म अपनाया और अब वह वैदिका के नाम से जानी जाएंगी। यह घटना न केवल व्यक्तिगत स्तर पर एक बड़े बदलाव का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर भी गहरे सवाल उठाती है।
उत्पीड़न से त्रस्त थी निदा
जानकारी के अनुसार, निदा खान पिछले काफी समय से अपने पति के उत्पीड़न का शिकार थीं। निदा ने बताया कि उनके पति द्वारा किए गए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न ने उन्हें गहरे दुख में डाल दिया था। इसके अलावा, उनके समाज के कुछ लोगों ने इस उत्पीड़न को जायज ठहराने की कोशिश की, जिससे निदा का दुख और बढ़ गया। तंग आकर निदा ने अपने जीवन में एक नया रास्ता चुनने का फैसला किया और हिंदू धर्म में घर वापसी का निर्णय लिया।
हिंदू रक्षा दल ने निभाई अहम भूमिका
हिंदू रक्षा दल के प्रमुख पिंकी चौधरी ने निदा की घर वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गाजियाबाद में आयोजित एक धार्मिक समारोह में वैदिक मंत्रों के उच्चारण और हिंदू रीति-रिवाजों के साथ निदा ने हिंदू धर्म को औपचारिक रूप से अपनाया। इस दौरान निदा ने अपना नाम बदलकर वैदिका रख लिया। समारोह में मौजूद लोगों ने इस कदम का स्वागत किया और निदा को उनके नए जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।
निदा का बयान
घर वापसी के बाद निदा (अब वैदिका) ने कहा, मैं अपने पति और समाज के कुछ लोगों के व्यवहार से बहुत आहत थी। मुझे लगता था कि मेरे साथ अन्याय हो रहा है, और मुझे कोई सहारा नहीं मिल रहा था। हिंदू धर्म में मुझे शांति और सम्मान की उम्मीद है। मैंने यह फैसला अपनी मर्जी से लिया है और अब मैं अपने नए जीवन को पूरी तरह से अपनाने के लिए तैयार हूं।
सामाजिक और धार्मिक संदर्भ
निदा की घर वापसी की घटना ने एक बार फिर धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा को जन्म दिया है। हिंदू रक्षा दल के प्रमुख पिंकी चौधरी ने कहा, हमारा संगठन उन लोगों की मदद करता है जो अपनी मर्जी से हिंदू धर्म अपनाना चाहते हैं। निदा ने बहुत हिम्मत दिखाई और हम उनके इस फैसले का सम्मान करते हैं। हालांकि, इस घटना ने कुछ लोगों के बीच विवाद भी पैदा किया है, जो इसे धार्मिक आधार पर देख रहे हैं।
उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता की जरूरत
निदा की कहानी समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न और सामाजिक दबावों की ओर ध्यान खींचती है। यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि समाज में हर व्यक्ति को सम्मान और सुरक्षा का अधिकार है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से हो। निदा का यह कदम उनके निजी संघर्ष और हिम्मत का प्रतीक है, जो अन्य लोगों को भी अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
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