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30 साल बाद भी अटकी अजंतापुरम योजना, हताश आवंटियों ने हाई कोर्ट का खटखटाया दरवाजा
साहिबाबाद के हिंडन एयरपोर्ट के पास आवास विकास परिषद की महत्वाकांक्षी अजंतापुरम योजना पिछले 30 साल से अधर में लटकी हुई है। इस योजना में निवेश करने वाले करीब चार हजार आवंटी तीन दशकों से अपने सपनों के घर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन न तो योजना शुरू हो सकी है और न ही उनका पैसा वापस मिला। हताशा और निराशा के आलम में आवंटियों ने अब इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
तीन दशक का इंतजार, डूबा पैसा
अजंतापुरम योजना में निवेश करने वाले आवंटियों ने 30 साल पहले अपनी मेहनत की कमाई इस उम्मीद में लगाई थी कि उन्हें जल्द ही अपना घर मिलेगा। लेकिन तीन दशक बीत जाने के बाद भी योजना का कोई ठोस विकास नहीं हुआ। आवंटियों का कहना है कि अगर उन्होंने अपना पैसा कहीं और निवेश किया होता, तो आज उसकी कीमत करोड़ों में होती। अब उन्हें लगता है कि उनका पैसा पूरी तरह डूब चुका है।
हाई कोर्ट में याचिका, जून में सुनवाई
निराश आवंटियों ने अब कानूनी रास्ता अपनाया है। अजंतापुरम योजना समिति के सचिव बीआर शर्मा ने बताया कि उन्होंने 500 से अधिक बार पत्र लिखकर और कई बार अधिकारियों से मुलाकात कर योजना को शुरू करने की गुहार लगाई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आखिरकार, समिति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें आवास आयुक्त और गाजियाबाद के जिलाधिकारी को पार्टी बनाया गया है। इस याचिका पर जून 2025 में सुनवाई होने की उम्मीद है।
विकास लागत में दस गुना इजाफा
बीआर शर्मा ने बताया कि तीन दशकों में अजंतापुरम योजना की विकास लागत दस गुना बढ़ चुकी है। इस कारण आवंटियों को न केवल अपने निवेश का नुकसान हुआ, बल्कि बढ़ती लागत ने उनकी उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। उन्होंने कहा, हमने अपनी जमा-पूंजी इस योजना में लगाई थी, लेकिन न तो हमें घर मिला और न ही कोई मुनाफा। अब लागत इतनी बढ़ गई है कि योजना शुरू होने की स्थिति में भी हमें भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा।
आवंटियों की पीड़ा
अजंतापुरम योजना में निवेश करने वाले चार हजार परिवारों की कहानी एक जैसी है। अधिकांश आवंटी मध्यम वर्ग से हैं, जिन्होंने अपने सपनों का घर बनाने के लिए अपनी बचत इस योजना में झोंक दी थी। लेकिन तीन दशक बाद भी न तो उन्हें जमीन का कब्जा मिला और न ही कोई ठोस आश्वासन। कई आवंटियों का कहना है कि इतने सालों में अगर उन्होंने कहीं और निवेश किया होता, तो उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती
प्रशासन की चुप्पी, बढ़ता असंतोष
आवास विकास परिषद और जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में बार-बार आश्वासन तो दिए गए, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आवंटियों का आरोप है कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब हाई कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद आवंटियों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी मेहनत की कमाई डूबने से बचेगी।
अजंतापुरम योजना का मामला गाजियाबाद में लंबे समय से अटकी आवासीय योजनाओं की हकीकत को उजागर करता है। यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि आम लोगों के विश्वास को भी ठेस पहुंचाती है। हाई कोर्ट में जून में होने वाली सुनवाई अब आवंटियों के लिए आखिरी उम्मीद बन गई है।
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