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Ghaziabad News:पत्रकारों की सुरक्षा पर सरकार गंभीर क्यों नहीं=जितेन्द्र बच्चन

पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जितेन्द्र बच्चन ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कहा कि प्रदेश की योगी सरकार हर स्तर पर खुद को कामयाब बताने से नहीं चूकती तो पत्रकारों की जिंदगी इतना खतरे में क्यों है?

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Neeraj Gupta
Jitendar bachhan
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ट्रांस हिंडन बाईबीएन संवाददाता

पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जितेन्द्र बच्चन ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि अगर प्रदेश की योगी सरकार हर स्तर पर खुद को कामयाब बताने से नहीं चूकती तो पत्रकारों की जिंदगी इतना खतरे में क्यों है? आखिर सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में कब गंभीर होगी?

रविवार, 16 मार्च को जितेन्द्र बच्चन सीतापुर में 8 मार्च को हुई युवा पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या के मामले पर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पत्रकार सुरक्षा कानून कई राज्यों में बनाया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश में इस तरह का कानून नहीं बन पा रहा है। न ही पत्रकारों के मामले में त्वरित कार्रवाई करने का कोई उदाहरण मिलता है। ऐसे में पत्रकारिता के माध्यम से आजीविका चलाने में आज तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार पत्रकारों को सुरक्षा की गारंटी नहीं देती

वरिष्ठ पत्रकार बच्चन ने कहा कि सत्ता पक्ष की असहिष्णुता तो समझ में आती है लेकिन दुखद बात यह है कि खुद पत्रकारिता से जुड़े अधिकतर संस्थान भी अपने संवाददाता की सुरक्षा की गारंटी नहीं देते। यह बहुत ही चिंताजनक है। उन्होंने सरकार से तत्काल इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि अगर पत्रकार डर गया और उसकी आवाज दबाई गई तो भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी होंगी। समाज में गुण्डों बदमाशों और भ्रष्टाचारियों की ताकत बढ़ेगी।

यूपी में 5 सालों में 12 पत्रकारों की हत्या हुई

एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 से 2022 के बीच उत्तर प्रदेश में 12 पत्रकारों की हत्या हुई है। इस दौरान 138 पत्रकारों पर हमले भी हुए हैं। पिछले साल अक्टूबर 2024 में फतेहपुर में एक पत्रकार दिलीप सैनी की भी हत्या कर दी गई थी। जबकि 2020 में कुल 7 पत्रकार- राकेश सिंह, सूरज पांडेय, उदय पासवान, रतन सिंह, विक्रम जोशी, फराज़ असलम और शुभम मणि त्रिपाठी को मौत के घाट उतार दिया गया था।

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और अब 8 मार्च को सीतापुर जिले के युवा पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनके परिवार में बूढ़े मां बाप, पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। इस घटना से पूरे देश के पत्रकारों में भारी रोष है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पत्रकारों ने प्रदर्शन कर अपना विरोध भी दर्ज कराया है, लेकिन एक सप्ताह बाद भी अपराधी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। अब हर तरफ से एक ही आवाज आ रही है- आखिर पत्रकार ईमानदारी की कीमत कब तक चुकाते रहेंगे?

पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाकर उसे सख्ती के साथ लागू किया जाए। पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगनी चाहिए। पत्रकारों से जुड़े मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए। सीतापुर के पत्रकार राघवेन्द्र की विधवा पत्नी को एक करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। साथ ही अध्यक्ष जितेन्द्र बच्चन ने इस मामले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों को मृत्यु दंड देने की मांग की है।

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