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Ghaziabad Police Commissioner: 870 दिन का चार्ज, विवाद भी, उपलब्धियां भी

गाजियाबाद जैसे जिले के पहले पुलिस कमिश्नर के रूप में 870 दिन तक तैनात रहना कोई आसान काम नहीं। लेकिन ये कर दिखाया गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर ने। इस बीच उनके खाते में उपलब्धियां भी रहीं। मगर, विवादों से नाता ज्यादा रहा। जानें उनका ट्रेक रिकॉर्ड।

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Rahul Sharma
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सीएम योगी के गाजियाबाद आगमन के दौरान वर्तमान मिजोरम के राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और विधायक नंदकिशोर गूर्जर के साथ पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र

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गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।

ये तस्वीर 12 अक्टूबर 2023 की है। साहिबाबाद में रैपिडएक्स स्टेशन का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दौरा किया था। तस्वीर में मिजोरम के वर्तमान राज्यपाल जनरल वी.के.सिंह, बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेंद्र सिसोदिया के अलावा गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर अजय मिश्र और लोनी विधायक नंदकिशोर गूर्जर साथ नजर आ रहे हैं। लेकिन देखिए कि आज पुलिस कमिश्नर के तबादले पर बीजेपी के विधायक नंदकिशोर के आवास पर जश्न मन रहा है, जिसमें बीजेपी के वर्तमान जिलाध्यक्ष चेन पाल सिंह की मौजूदगी ये बता रही है कि बीजेपी भी इस तबादले से खुश है। कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद 870 दिन का रिकॉर्ड कार्यकाल पूरा करने के बाद अजय कुमार मिश्र का तबादला प्रयागराज हुआ है। इस रिकॉर्ड कार्यकाल में उन्होंने जहां कई उपलब्धियां भी अपने खाते में दर्ज कराई, तो वहीं उनके बहुत से फैसले भी विवादों को जन्म देने वाले रहे।

ये रहा कार्यकाल

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गाजियाबाद में कमिश्नरी सिस्टम लागू किए जाने के बाद 28 नवंबर 2022 को मूलरूप से बलिया के रहने वाले अजय कुमार मिश्रा को यहां का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था। 870 दिन के उनके कार्यकाल में जहां कई रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हुए, वहीं विवादों से भी उनका चोली-दामन का साथ रहा। कई मर्तबा उनके ट्रांसफर की खबरें तो कभी प्रमोशन की वजह से जाने की चर्चाएं हुईं। कई बार उका नाम तबादला लिस्ट में भी चढ़ा। मगर, लिस्ट जारी होने से पहले ही हट गया। 

विवादों की फेहरिस्त

अगर बात की जाए पुलिस कमिश्नर के रूप में उनके कार्यकाल के विवादों की तो सबसे बड़ा विवाद पुलिस कमिश्नर का लोनी विधायक नंदकिशोर गूर्जर के साथ चला। विवाद की शुरुआत नंदकिशोर समेत कई लोगों की सुरक्षा में कटौती करने के शासन से आए फैसले पर अमल किए जाने के बाद शुरू हुई।

नंदकिशोर बनाम पुलिस कमिश्नर

सुरक्षा घटाए जाने के बाद सबसे पहला विवाद नंदकिशोर से होने पर पुलिस कमिश्नर पर कई तरह के आरोप लगे। इन आरोपों में कई गंभीर भी रहे।अधिकांश आरोप नंदकिशोर गूर्जर की तरफ से लगे।

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गौ-तस्करों को पुलिस संरक्षण का आरोप

नंदकिशोर गूर्जर ने लोनी क्षेत्र में गौ-तस्करों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए पुलिस के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। कई गौौहत्या और गौ-अवशेष मिलने पर नंदकिशोर ने पुलिस कमिश्नर से लेकर मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।

यौन शोषण-धर्म परिवर्तन करने वालों को संरक्षण का आरोप

नंदकिशोर गूर्जर ने समय समय पर लोनी ही नहीं बल्कि गाजियाबाद के लिंक रोड थाना क्षेत्र और कविनगर क्षेत्र में हुई युवतियों के यौन शोषण और रेप की घटनाओं में भी पुलिस पर धर्म परिवर्तन और हिंदू लड़कियों का रेप करने वालों को संरक्षण देने के आरोप लगाए।

ई-रिक्शा बैन का आदेश रहा विवादित

केंद्र व प्रदेश की सरकार प्रदूषण नियंत्रण में कारगर ई-रिक्शा संचालन को बढ़ावा देने के लिए जहां सब्सिडी दे रही थी, वहीं पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने शहर और हाइवे पर जाम को कंट्रोल करने की बात कहकर ई-रिक्शा संचालन कई रूट पर बंद करा दिया। उनका ये फैसला विवादों में रहा। जहां तमाम राजनैतिक दलों ने इसका विरोध किया, वहीं व्यापारी संगठन भी ई-रिक्शा चालकों के पक्ष में सड़कों पर आ गए। हालाकि अंबेडकर रोड पर संचालन बंद कराने के फैसले को सदर विधायक संजीव शर्मा के हस्तक्षेप के बाद वापस ले लिया गया। मगर, बाकी जगह विरोध के बावजूद संचालन बंद रहा।

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साप्ताहिक बाजारों पर रोक का फैसला

पूरे जिले में जाम की समस्या खत्म करने के लिए साप्ताहिक और पैंठ बाजारों के खिलाफ बंदी का उनका आदेश भी विवादित रहा। हालाकि कई विभागों सहित जनप्रतिनिधियों ने इस फैसले में सुधार करने और बाजारों के लिए जगह के चिंहीकरण की बात कही। मगर, इस मामले को लेकर विधायक नंदकिशोर गूर्जर के आंदोलन के बाद खुद चीफ सेकेट्री को इस फैसले को वापस लेने के निर्देश के साथ पुलिस कमिश्नर को नसीहत देनी पड़ी कि बाजारों को लेकर फैसला निगम और प्रशासन लेगा, ना कि पुलिस।

पत्रकार की सुरक्षा हटाने का फैसला

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अध्यक्ष अनुज चौधरी और उनके साले दीपक व परिवार की सुरक्षा हटाने के फैसले को लेकर भी पुलिस कमिश्नर विवादों में रहे। गौरतलब है कि अनुज चौधरी पर उनके इलाके रजापुर के हिस्ट्रीशीटर के द्वारा कराए गए कातिलाना हमले के बाद शासन ने उन्हें उनके परिवार और उनके केस में गवाह रहे उनके साले पत्रकार दीपक चौधरी को सुरक्षा मुहैया कराई थी। जिसे पुलिस कमिश्नर ने घटा दिया था। इस मामले को लेकर भी लखनऊ से दिल्ली तक उनके खिलाफ शिकायतों का दौर चला था। 

पत्रकार शक्ति सिंह से विवाद

पुलिस कमिश्नर के जिले के पत्रकार शक्ति सिंह के व्हॉट्सएप ग्रुप से अधिकारियों को हटने का आदेश देने के बाद शुरू हुए विवाद के बाद पत्रकार को घंटों रात में साहिबाबाद कोतवाली में बैठाकर रखने के फैसले पर भी विवाद छिड़ा था। मामला मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंचा था।

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कुछ खास मीडिया वालों को तवज्जों देने का आरोप

पुलिस कमिश्नर उनके पक्ष की खबरों का प्रकाशन करने वाले कुछ मीडियाकर्मियों को तवज्जो देने और काफी पत्रकारों से शिष्टापूर्ण व्यवहार नहीं करने की वजह से भी विवादों में रहे। एक साप्ताहिक समाचार पत्र के दिव्यांग संपादक के खिलाफ उप-चुनाव में पुलिस के शांति भंग करने की आशंका में मुचुलका भरने के मामले में उन पर अभद्रता का आरोप लगा था। पत्रकार ने फोन पर पुलिस कमिश्नर से मुचुलके की कार्रवाई पर एतराज जताने की कोशिश की थी, तो पुलिस कमिश्नर ने ही गाजियाबाद के अधिकांश अखबारों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। उनका रिकॉर्ड ऑडियो लेकर पीड़ित मीडियाकर्मी ने प्रेस काउंसिल तक से उनकी शिकायत की थी। 

कुछ उपलब्धियां भी रही खाते में

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रेस्पॉन्स टाइम में अव्वल रही पुलिस

पुलिस कमिश्नर के कार्यकाल में जिले की पुलिस 112 पर मिलने वाली शिकायतों पर क्विक रेस्पॉन्स देने  के मामले में सूबे में अधिकांश महीने नंबर एक रही। ये उपलब्धि पुलिस कमिश्नर के कार्यकाल को यादगार बनाएगी।

शिकायतों के निस्तारण में पुलिस रही अव्वल

आईजीआरएस पर मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के मामले में भी जिले की पुलिस का रिकॉर्ड पुलिस कमिश्नर के कार्यकाल में अधिकांश समय बेहतर रहा। कुछ महीनों को छोड़ें तो गाजियाबाद पुलिस अधिकांश अव्वल ही रही।

सख्त और निष्पक्ष अफसर वाली छवि

बहुत सारे विवादित फैसलों को लेकर विवादों में रहे पुलिस कमिश्नर पर हालाकि विधायक नंदकिशोर ने भ्रष्टाचार के लगातार आरोप लगाए। मगर, एक ईमानदार अफसर के रूप में पुलिस कमिश्नर के रूप में अजय कुमार मिश्र का कार्यकाल याद किया जाएगा। लेकिन कुछ मीडिया वालों और अफसरों के बहकावे में उनके कई फैसलों ने उन्हें लगातार विवादों से घेरे रखा।

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