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Ghaziabad police : पुलिस का बदल रहा है चाल,चेहरा, चरित्र...

गाजियाबाद पुलिस इन दिनों एक नए रूप और तेवर में नजर आ रही है। जनता से संवाद का तरीका, फरियादियों के साथ व्यवहार, और बच्चों के प्रति अपनत्व – ये सब कुछ अब पहले से कहीं अधिक मानवीय और संवेदनशील होता जा रहा है। इस सकारात्मक बदलाव के पीछे मुख्य श्रेय नए पुलिस

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Syed Ali Mehndi
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Ghaziabad police

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

गाजियाबाद पुलिस इन दिनों एक नए रूप और तेवर में नजर आ रही है। जनता से संवाद का तरीका, फरियादियों के साथ व्यवहार, और बच्चों के प्रति अपनत्व – ये सब कुछ अब पहले से कहीं अधिक मानवीय और संवेदनशील होता जा रहा है। इस सकारात्मक बदलाव के पीछे मुख्य श्रेय नए पुलिस कमिश्नर को दिया जा रहा है, जिनके आने के बाद पुलिस प्रशासन में एक नई ऊर्जा और दृष्टिकोण देखने को मिला है।

कोतवाली में टॉफी
कोतवाली में टॉफी

पहले भय अब भरोसा 

पहले जहां पुलिस स्टेशन आम नागरिकों के लिए भय का कारण हुआ करते थे, वहीं अब वे भरोसे और उम्मीद की जगह बनते जा रहे हैं। पीड़ितों और फरियादियों को अब थानों में बैठाकर शांतिपूर्वक सुना जाता है, उन्हें सम्मानपूर्वक अपनी बात रखने का अवसर दिया जाता है। यह बदलाव पुलिस की मानसिकता में आए सुधार को दर्शाता है, जो कि वास्तव में प्रशंसनीय है।

 थानों में सम्मान, मदद

थानों में बच्चों को टॉफी देना, उन्हें डर की जगह अपनापन महसूस कराना, एक छोटे लेकिन बेहद प्रभावशाली बदलाव का उदाहरण है। यह न केवल पुलिस के प्रति समाज में विश्वास को बढ़ाता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के मन से पुलिस के प्रति डर को भी कम करता है। यह दृष्टिकोण दिखाता है कि गाजियाबाद पुलिस अब केवल कानून लागू करने वाली संस्था नहीं रही, बल्कि समाज की साझेदार बनने की दिशा में अग्रसर है।

 बदलाव का मौसम

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बदलाव की यह शुरुआत छोटी भले ही हो, पर इसका असर व्यापक हो सकता है। जनता और पुलिस के बीच की दूरी कम हो रही है, और जब संवाद खुलता है तो विश्वास स्वतः स्थापित होता है। यही विश्वास कानून-व्यवस्था को मजबूती देता है और समाज में अपराध के प्रति सजगता भी बढ़ाता है।

 नई शुरुआत 

यह बात भी स्वीकार करनी होगी कि यह केवल शुरुआत है। वास्तविक और स्थायी बदलाव के लिए निरंतर प्रयास और ईमानदारी आवश्यक है। पुलिस महकमे को प्रशिक्षण, संसाधनों और नैतिक समर्थन की निरंतर आवश्यकता होगी, ताकि यह बदलाव केवल अभियान तक सीमित न रह जाए, बल्कि एक स्थायी संस्कृति बन जाए।

आगाज़ और अंजाम 

कहावत है – "अंजाम वही होता है जैसा आगाज होता है।" गाजियाबाद पुलिस ने एक अच्छी आवाज उठाई है, अब इसकी गूंज दूर तक पहुंचाने की जरूरत है। यह पहल यदि सही दिशा में जारी रही, तो गाजियाबाद ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था एक नई मिसाल बन सकती है।

 स्वागत योग कोशिश 

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इस छवि परिवर्तन की कोशिश स्वागत योग्य है। यह न केवल जनता को राहत देती है, बल्कि पुलिसकर्मियों को भी गौरव और आत्मसंतोष प्रदान करती है कि वे समाज के असली रक्षक हैं। ऐसे प्रयासों को और भी विस्तार देना चाहिए ताकि "खाकी" वर्दी लोगों के दिलों में डर नहीं, सम्मान का प्रतीक बने।

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