गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।
उत्तर प्रदेश सरकार के नियमों में वाहनों की किल्लत को देखते हुए विभाग के कामकाज और अफसरों के लिए निजी ट्रेवल एजेंसियों से किराये पर गाड़ियां लेने का प्रावधान है। मगर, इसके लिए कई मानक तय है। इनमें सबसे अहम ये है कि ट्रेवल एजेंसियों से हायर की जाने वाली गाड़ियां अनिवार्य रूप से कमर्शियल नंबर की होंगी और ज्यादा से ज्यादा तीन साल पुरानी होंगी। लेकिन जानकारी मिली है कि बिजली विभाग में गाजियाबाद समेत यूपी के अधिकांश जिलों में इन मानकों की अनदेखी कर करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है। इस घोटाले में कुछ अफसरों की मिलीभगत भी है।
ये मिली है जानकारी
बिजली विभाग के उच्चस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सूबे के अधिकांश जनपदों में बिजली विभाग के अफसरों को हायर करके निजी ट्रेवल एजेंसियों से जो गाड़ियां मुहैया कराई गई हैं। इनमें से अधिकांश प्राइवेट नंबर वाली गाड़ियां हैं। इतना ही नहीं तय नियमों और कायदे-कानून की अनदेखी करते हुए सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि सरकारें बदली हैं। मगर, ये कारगुजारी दशकों से कुछ स्थानीय अफसरों की साठगांठ और उनके निजी स्वार्थों के चलते जारी है। बताया तो ये गया है कि यदि व्यापक स्तर पर पूरे सूबे के हर जिले में निष्पक्ष जांच कराई जाए तो न सिर्फ इस करतूत से पर्दा उठेगा, बल्कि करो़ड़ों के इस खेल से भी पर्दा उठ जाएगा। साथ ही उन तमाम अफसरों की करतूत भी उजागर हो जाएंगी जिनकी शह पर निजी स्वार्थों के चलते ये खेल चला आ रहा है।
गाड़ी हायरिंग का ये है नियम
विभाग के सूत्र बताते हैं कि सबसे पहली शर्त यही होती है कि ट्रेवल एजेंसी अफसर को जो गाड़ी मुहैया कराएगी वह तीन साल से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। जबकि उसका प्रति लीटर एवरेज भी निर्धारित होना चाहिए। इसके अलावा सबसे प्रमुख शर्त ये है कि गाड़ी कमर्शियल नंबर की हो और उसके तमाम कागजात खामी रहित हों। गाड़ी पर ट्रेवल एजेेंसी मालिक को 24 घंटे ड्राईवर मुहैया कराने की शर्त भी तय है। इतना ही नहीं यदि इनमें से कोई भी शर्त दो घंटे से ज्यादा वक्त में पूरी नहीं की जाती है तो जुर्माने का प्रावधान भी है। इस तरह के तमाम नियमों को ताक पर रखकर बिजली विभाग के कुछ अफसरों से साठगांठ करके ट्रेवल एजेंसी मालिक अपनी सहूलियत और फायदे के हिसाब से अधिकारियों को गाड़ियां मुहैया करा रहे हैं।
ये है गाजियाबाद का हाल
गजियाबाद में बिजली विभाग 3 जोन में बंटा है। तीनों जोन में एक-एक मुख्य अभियंता के अलावा सर्किल ऑफिसर, अधिशासी अभियंता, एसडीओ और एई मीटर तैनात हैं। सभी को विभाग द्वारा गाड़ियां मुहैया कराई गई हैं। अधिकांश के पास निजी ट्रेवल एजेंसी की ही गाड़ियां हैं।
इन्हें मिली हुई हैं सरकारी कोटे सेे गाड़ियां
मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता,अधिशासी अभियंता मीटर, एई (मीटर), एसडीओ को सरकार की तरफ से गाड़ी मुहैया कराई जाती हैं। इनमें अधिकांश कार जबकि कुछ जगहों पर जीप भी हैं।
जोन एक में अधिकारी
मुख्य अभियंता-एक
अधीक्षण अभियंता-दो
अधिशासी अभियंता-चार
अधिशासी अभियंता (मीटर)-एक
एसडीओ-नौ
एई (मीटर)-चार
जोन दो (रूरल) में अधिकारी
मुख्य अभियंता-एक
अधीक्षण अभियंता-दो
अधिशासी अभियंता-पांच
अधिशासी अभियंता (मीटर)-दो
एसडीओ-11
एई (मीटर)-पांच
जोन तीन में अधिकारी
मुख्य अभियंता-एक
अधीक्षण अभियंता-दो
अधिशासी अभियंता-सात
अधिशासी अभियंता (मीटर)-दो
एसडीओ-17
एई (मीटर)-सात
निष्पक्ष जांच हो, तो हो जाएगा खुलासा
हालाकि इस कारगुजारी का पता नीचे से ऊपर तक तमाम अधिकारियों को है। मगर, कोई भी इस पर बोलने को तैयार नहीं है। जाहिर है कि उच्च स्तरीय जांच हो तो मामले में दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
हर जोन में कई ट्रेवल एजेंसियों पर ठेका
सूत्र बताते हैं कि हर जिले में कई-कई ट्रेवल एजेंसियों को बिजली अफसरों को गाड़ियां मुहैया कराने का ठेका मिला हुआ है। गाजियाबाद के तीनों जोनों में अलग अलग ट्रेवल एजेंसियां इस काम को अंजाम दे रही है।
विभाग से जुड़े लोगों की एजेंसियां
सूत्रों का दावा है कि जिन निजी एजेंसियों को गाड़ियां देने का ठेका मिला हुआ है इनमें से अधिकांश बिजली विभाग से जुड़े या जुड़े रहे लोगों के परिवार वालों या संबंधी या मिलने वालों की हैं। उन्हीं के जरिये ये पूरा खेल किया जा रहा है।
ARTO प्रशासन बोले- जांच कराएंगे
इस मामले में एआरटीओ प्रशासन राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में पुष्टि होन पर विभाग को नोटिस जारी कर उचित कार्यवाही होगी।