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Ghaziabad Water Crises: प्यासे को पानी पिलाना अब 'व्यापार', गिरते जलस्तर पर करप्शन की मार !

अब वक्त नहीं रहा प्यासे को पानी पिला पुण्य कमाने का। अब सरकारी मशीनरी से लेकर पानी के अवैध कारोबार से जुड़े लोग कमाई के लिए गिरते जल स्तर को और ज्यादा गिराने में जुटे हैं। इस वजह से प्राकृतिक कारणों से कम, भ्रष्टाचार ज्यादा तेजी से जल स्तर गिरा रहा है।

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Rahul Sharma
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गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।

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भले ही हम स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले गाजियाबाद में तरह-तरह ही आधुनिक सुविधाओं का लुत्फ उठा रहे हों, मगर हमारे यहां भूजलस्तर की हालत बुंदेलखंड के जैसी ही। बुंदेलखंड के पांच जिलों की ही तरह लगातार जहां इस जिले के शहरी इलाकों में लगातार भूजल का स्तर गिर रहा है, वहीं पानी माफियाओं के अवैध प्लांट और यहां बनी सोसायटीज में होने वाले अवैध जल दोहन से हालात बेहद विकट हो चले हैं। इनके साथ-साथ निगम के जल निगम से जुड़े अफसर-कर्मचारी और निजी ठेकेदार भी हालातों को और ज्यादा विकट बना चुके हैं।

नलकूपों की बोरिंग में बड़ा खेल

सरकारी विभाग के सूत्रों की मानें तो जिले में गिरते जल स्तर का एक बड़ा कारण जहां अवैध बोरिंग और अवैध वाटर प्लांट का संचालन है, तो वहीं इसके लिए निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार भी बड़ी वजह है। सूत्रों की मानें तो दशकों से निगम में अफसरों की मिलीभगत से नलकूपों को लगाने के काम में हेराफेरी होती चली आ रही है। कागजों में ज्यादा गहरा बोर दिखाकर कम किया जाता रहा है। जिससे लागत और खर्च की रकम का बंदरबांट किया जाता रहा है। इसके चलते नलकूप समय से पहले खराब हो रहे हैं। कागजात में गहराई ज्यादा बताने की वजह से सरकारी फाईलों में क्षेत्रों में भूगर्भ का जल स्तर ज्यादा नीचे है, जबकि हकीकत ये है कि बोरिंग के खेल की वजह से क्षेत्र के हिसाब से वाटर लेबल को ज्यादा दर्शाकर ठेकेदार और अफसर-कर्मचारी पैसे कमाने में जुटे हैं।

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शहरी क्षेत्र में भूजल स्तर

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2017 और 2023 के बीच प्री-मानसून भूजल स्तर में 9.5 मीटर की गिरावट दर्ज की गई, जो 30.3 मीटर से घटकर 20.8 मीटर हो गया। राज्य भूजल बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मानसून के बाद के महीनों में, यह पिछले छह वर्षों में 8.6 मीटर गिरकर 31.7 मीटर से 23.1 मीटर हो गया। 

सबसे ज्यादा गिरावट वाले शहरी

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नगर निगम के विजय नगर जोन में हालात सबसे ज्यादा विकट हैं। इसके बाद कवि नगर, और मोहननगर जोन के लाजपत नगर में भूजल स्तर में भारी गिरावट देखी गई है।

विजयनगर में जल संकट

गाजियाबाद में विजयनगर जोन क्षेत्र में पानी की किल्लत सबसे अधिक है।भूजल स्तर 350 फीट तक गिर गया है, जिससे नलकूप फेल हो रहे हैं। क्षेत्र में, पानी की किल्लत एक बड़ी समस्या है।गर्मी के मौसम में भूजल स्तर गिरने से बहुतेरे नलकूप खराब है, जिससे लोग पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं।नगर निगम जलापूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए मरम्मत कार्य कर रहा है। लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर हैं। विजय नगर में, पिछले छह वर्षों में मानसून के बाद भूजल स्तर 10.7 मीटर गिर गया। मानसून के बाद 2017 में भूजल स्तर 37 मीटर था, जब विभाग ने आखिरी बार डेटा जारी किया था। आंकड़ों के मुताबिक 2023 तक यह घटकर 47.7 मीटर, प्रताप विहार में, भूजल स्तर 9.8 मीटर तक गिरा। 2017 में 24.3 मीटर से 2023 में 34.1 मीटर तक गिर गया।
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मोहननगर जोन का लाजपत नगर

लाजपत नगर में भूजल स्तर 2017 में 30.1 मीटर से 9.2 मीटर गिरकर 2023 में 39.3 मीटर और कवि नगर में छह वर्षों में 7.4 मीटर गिरकर 29.7 मीटर से 2023 में 37.1 मीटर हो गया, जो लगातार घट रहा है। यहां पेयजल के लिए मारामारी है जबकि अवैध पानी का व्यापार करने वाले बोरवेल के जरिये भूगर्भ से धड़ाधड़ जलदोहन कर लोगों को मुंहमांगी कीमत पर पानी बेचकर पैसे कमा रहे हैं।
कहने को तो नगर निगम शहर के सभी 100 वार्डों में पाइप लाइन से पानी आपूर्ति करता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में पानी की कमी और कम दबाव की शिकायतें हैं। लोग प्यास बुझाने और अन्य कामों के लिए पानी खरीदने को मजबूर हैं, जिससे उनकी परेशानी बढ़ रही है। खासकर ट्रांस हिंडन के मोहननगर जोन के अलावा वसुंधरा जोन में आने वाले झंडापुर, भोवापुर में लोगों का हाल बेहाल है।

गंगाजल की कमी

ट्रांस हिंडन क्षेत्र के वसुंधरा, वैशाली, इंदिरापुरम सहित कुछ और इलाकों में गंगाजल की आपूर्ति होती है। मगर, आए दिन ये बाधित होने से भी पानी की समस्या गहराई रहती है।टीडीएस का स्तर 1000 के पार पहुंच गया है और दुर्गंधयुक्त पानी आने लगता है। हालाकि नगर निगम ने पेयजल आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं के लिए हेल्पलाइन नंबर 18001803012 जारी किया है। लेकिन ये भी महज खानापूर्ति भर है।

लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ था सर्वे

अंधाधुंध अवैध भूजल दोहन को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट और फटकार के बाद जिला प्रशासन की आंखे खुली और दिन-रात अवैध तरीके से भूजल दोहन कर रही औद्योगिक इकाइयों का सर्वे शुरू किया। जिले में करीब ड़ेढ़ दर्जन से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों में 30 हजार से अधिक छोटी-बड़ी इकाइयां हैं, जिनमें सिर्फ चंद इकाइयों में भूजल कनेक्शन लिए हैं। सर्वे में लोनी, ट्रोनिका सिटी, रूपनगर, बुलंंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्रों में अधिकांश इकाइयों में अवैध भूजल दोहन होता हुआ मिला, जिनकी सूची तैयार की गई। अन्य क्षेत्राें का सर्वे शुरू होने से पहले ही बंद हो गया। सर्वे को ये कहकर बंद कर दिया गया कि विभाग  लोकसभा चुनाव की तैयारी में व्यस्त है। इसके बाद भी महज खानापूर्ति ही की गई।

निजी सोसायटीज में अवैध जलदोहन

शहर में बहुमंजिला सोसायटियों को बनाने के दौरान वहां रहने वालों को पानी की आपूर्ति करने का उचित इंतजाम नहीं किया गया। जिसकी वजह से इन सोसायटियों में भूजल का उपयोग किया जा रहा है। इनकी जल आपूर्ति भूजल दोहन पर ही टिकी है, जिस पर अब कार्रवाई की गई है। जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद की ओर से गाजियाबाद की 61 सोसायटियों को भूजल दोहन करने पर नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही इन सोसायटियों में रहने वाले लोगों को पानी की आपूर्ति करने के लिए नगर निगम को पत्र भेजा गया है। जिससे वहां पर पेयजल के कनेक्शन दिए जा सकें।

निगम से सवाल-जवाब

सीडीओ अभिनव गोपाल की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को विकास भवन में बैठक की गई। बैठक में 61 बहुमंजिला सोसायटियों में अवैध रूप से भूजल दोहन किए जाने की शिकायत पर नोटिस जारी किया गया है। जबकि नगर निगम को एक पत्र जारी कर पेयजल आपूर्ति की स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि किन सोसायटियों में पेयजल लाइन से पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है।

नगर निगम से मांगी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट

सोसायटियों में पानी की आपूर्ति के लिए नगर निगम को डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद को जानकारी देने के लिए कहा गया है, जिससे कि सोसायटियों में अवैध रूप से हो रहे भूजल दोहन को रोका जा सके।

अवैध पर एक्शन नहीं, वैध को कनेक्शन नहीं

मजे की बात ये है कि जिले में गली-मुहल्लों और सोसायटीज में अवैध वाटर प्लांट का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। जबकि अवैध बोर करके भूगर्भ से जलदोहन भी जमकर किया जा रहा है। 61 सोसायटीज में जल दोहन की बात को स्वीकार करके खुद सरकारी अमला ही नोटिस भेज चुका है। मगर इनके खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिया जा रहा। इसके इतर जो लोग वैध तरीके से आवेदन कर रहे हैं उनके अधिकांश आवेदनों को निरस्त करके सरकारी अमला अपनी पीठ थपथपाने में लगा है।  बताया गया है कि नलकूप पंजीकरण के लिए सात, एनओसी लेने के लिए छह, एनओसी के नवीनीकरण के लिए 20 आवेदन प्राप्त किए गए हैं। इनमें से नलकूप पंजीकरण के पांच और एनओसी देने के लिए दो आवेदन ही स्वीकृत किए गए हैं। जबकि अवैध रूप से RO प्लांट और कार धुलाई सेंटर चलाने को लेकर भी छह शिकायतें मिलीं। इनमें से तीन बोरवेल सील किए गए जबकि तीन ने खुद ही अपने बोरवेल बंद कर लिए। औद्योगिक इकाइयों में अवैध भूजल दोहन पर लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरिओम सिंह ने बताया कि समय-समय पर निरीक्षण किया जाएगा। अवैध भूजल रोकने और जल संचयन को लेकर विभगीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
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