गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।
जिन लोगों ने घर में दुकान खोल रखी हैं, या खोलने की सोच जीडीए की प्रवर्तन टीम के डर से मन में दबाएं हैं। ये खबर उनके लिए किसी गुड न्यूज से कम नहीं। अब कोई प्रवर्तन दल का सदस्य या कोई अफसर कर्मचारी आपके पास वसूले के लिए नहीं आ पाएगा। ना ही आपको सीलिंग या धव्स्तीकरण का डर दिखाकर ब्लेकमेल कर पाएगा। क्योंकि योगी कैबिनेट को बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है। गाजियाबाद के लोग अब रिहायशी मकान में भी दुकान बेधड़क चला सकेंगे। फिलहाल यदि 90 मीटर का प्लॉट है तो दुकान खोलने के लिए सामने की सड़क की चौड़ाई कम से कम 9 मीटर होनी चाहिए। 90 मीटर से बड़ा प्लॉट है तो रोड की चौड़ाई 12 मीटर होनी चाहिए। लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी प्रथमेश कुमार की अध्यक्षता में बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन के लिए बनी कमिटी ने ड्राफ्ट फाइनल करके कैबिनेट के पास अप्रूवल के लिए भेजा है। बताया जा रहा है कि एक महीने में अप्रूवल मिल जाएगा। इससे पूरे प्रदेश के लोगों को काफी राहत मिलेगी।
नक्शे की ये अड़चन खत्म
अब तक नक्शा पास करवाने में ग्राउंड कवरेज का नियम था। यदि किसी का 200 मीटर का प्लॉट है तो उसे केवल 130 मीटर तक ही ग्राउंड कवरेज मिलता था। इसे अब खत्म किया जाएगा। आगे पीछे 3-3 मीटर का सेटबैक छोड़ना पड़ता था। इस वजह से लोग लोग अवैध निर्माण करते थे। इसके बदले उन्हें जीडीए में फीस देनी पड़ती थी। नए नियम के तहत 50 मीटर के भूखंड में केवल 1 मीटर, 50 से 100 मीटर पर 1.5 मीटर, 100 से 150 मीटर पर 2 मीटर और 150 से 300 मीटर के प्लॉट में केवल सामने 3 मीटर का सेटबैक छोड़ना होगा। इस हिस्से को छोड़कर अब पूरी जमीन पर निर्माण किया जा सकेगा।
पार्किंग पर ये है नया प्रपोजल
बिल्डिंग बायलॉज के ड्राफ्ट में स्टिल्ट पार्किंग की सुविधा दी गई है। इसमें पहली मंजिल या जमीन से ऊपर बनाने की सुविधा दी गई है। साथ ही भवनों में ऍम्बुलेंस और बसों की पार्किंग की भी सुविधा दी गई है। पड़ोस के मकान की सुरक्षा के लिए दो-दो मीटर छोड़कर 100 फीसदी बेसमेंट के निर्माण की भी परमिशन दी जा रही है। साथ ही डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट और सीए अपने मकान में क्लीनिक और ऑफिस बना सकेंगे। जिनके नक्शे पास हो चुके हैं वे दोबारा से संशोधित नक्शा पास करवा सकेंगे।
ग्रुप हाउसिंग पर नया प्रस्ताव
प्राधिकरण में 2000 मीटर एरिया होने पर ही ग्रुप हाउसिंग का नक्शा पास होता था। नए बदलाव में इसकी साइज कम करके 1500 मीटर कर दी गई है जबकि एफएआर को 2.5 के बजाय 5 कर दिया गया है। इससे छोटे भूखंड पर अधिक ऊंचाई तक भवन का निर्माण किया जा सकता है। शहर में जमीन नहीं बची है, इसलिए ऊंचाई पर ही विकास का विकल्प बचा है। इसलिए बढ़ाकर एफएआर दिया जा रहा है।