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नशा मुक्ति केंद्र
गाजियाबाद आईबीएन संवाददाता
मार्च महीना बीतने और अप्रैल भी समाप्त हो जाने के बावजूद जिले के 83 सक्रिय नशा मुक्ति केंद्रों में से किसी ने भी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 के अंतर्गत राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण, लखनऊ में अपना पंजीकरण नहीं कराया है। शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मार्च 2025 तक जिले में संचालित सभी नशा मुक्ति केंद्रों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाए, ताकि मरीजों को गुणवत्ता युक्त और सुरक्षित उपचार मिल सके।
83 नशा मुक्ति केंद्र संचालित
हालांकि, जिला स्वास्थ्य विभाग के पास अब तक यह जानकारी तक नहीं है कि कितने केंद्रों ने पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की है। जिले में संचालित 83 नशा मुक्ति केंद्रों में प्रतिदिन दर्जनों मरीजों को नशे की लत से छुटकारा दिलाने के लिए इलाज और काउंसलिंग की सुविधा दी जाती है। इनमें से कई केंद्र ऐसे हैं जहाँ परिजन अपने परिजनों को हजारों रुपए देकर भर्ती कराते हैं।
कई बार हुई छापेमारी
लेकिन समय-समय पर हुई प्रशासनिक छापेमारी में यह सामने आया है कि कुछ नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। इलाज के नाम पर केवल शोषण किया जाता है और मरीजों को आवश्यक मानसिक देखभाल नहीं दी जाती। ऐसे मामलों को ध्यान में रखते हुए शासन ने सभी सरकारी एवं निजी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकरण कराने के आदेश दिए थे।
सीएमओ ने कहा..
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अखिलेश मोहन ने बताया कि "मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 के अंतर्गत सभी नशा मुक्ति केंद्रों का पंजीकरण आवश्यक है। इसका उद्देश्य मरीजों को गुणवत्ता युक्त, सुरक्षित और प्रभावी उपचार उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही केंद्रों की निगरानी और पारदर्शिता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।"डॉ. मोहन ने बताया कि अधिनियम के अनुसार, पंजीकरण के बिना किसी भी संस्था द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं देना गैरकानूनी है और ऐसा पाए जाने पर संबंधित केंद्रों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
जल्द होगी जांच
स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब जल्द ही जिले भर में नशा मुक्ति केंद्रों की जांच की जाएगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि कौन-कौन से केंद्र नियमों का पालन कर रहे हैं और किसने अब तक पंजीकरण नहीं कराया है। इस जांच के बाद पंजीकरण नहीं कराने वाले केंद्रों के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें उनके संचालन पर रोक लगाना भी शामिल है।
नियमों की अवहेलना
जिले में नशा मुक्त समाज की दिशा में यह एक अहम कदम माना जा रहा है। लेकिन जब तक सभी नशा मुक्ति केंद्रों को नियमानुसार पंजीकृत नहीं किया जाता, तब तक मरीजों की सुरक्षा और उपचार की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न बना रहेगा। शासन की मंशा के अनुरूप यदि समय रहते सभी केंद्रों का पंजीकरण नहीं हुआ तो यह गंभीर लापरवाही मानी जाएगी।