गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित किलकारी एवं मोबाइल एकेडमी कार्यक्रम मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गाजियाबाद की अध्यक्षता में इस विषय पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय, गाजियाबाद में किया गया। इस प्रशिक्षण में स्वास्थ्य कर्मियों को इन दोनों सेवाओं के महत्व, कार्यप्रणाली एवं लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
तकनीक का इस्तेमाल
किलकारी सेवा विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और एक वर्ष तक के बच्चों की माताओं के लिए डिज़ाइन की गई है। इस सेवा के अंतर्गत, जब किसी गर्भवती महिला की जानकारी आरसीएच पोर्टल पर रजिस्टर्ड की जाती है, तो उसके LMP के अनुसार उसे प्रत्येक सप्ताह ऑडियो कॉल और व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से आवश्यक जानकारी प्रदान की जाती है। इन संदेशों में गर्भावस्था, प्रसव, नवजात देखभाल, स्तनपान, टीकाकरण आदि से संबंधित उपयोगी और व्यवहारिक जानकारी होती है, जो मां और बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होती है।
किलकारी व्हाट्सएप सेवा
किलकारी कॉल एक विशिष्ट नंबर 0124451660 से आती है। लाभार्थी जब कॉल का पूरा संदेश सुनने के बाद 1 दबाते हैं, तो उन्हें किलकारी व्हाट्सएप सेवा से जोड़ दिया जाता है, जिसके माध्यम से हर सप्ताह स्वास्थ्य संबंधी संदेश व्हाट्सएप पर भी भेजे जाते हैं। दूसरी ओर, मोबाइल एकेडमी कार्यक्रम आशा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण हेतु विकसित किया गया है। इसके माध्यम से आशाएं टोल फ्री नंबर 14424 पर कॉल करके मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकती हैं। यह कार्यक्रम आशाओं की जानकारी, कौशल और संवाद क्षमताओं को बढ़ाकर समुदाय में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने का कार्य करता है।
अरमान संस्था
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन अरमान संस्था द्वारा किया गया। इसमें नोडल अधिकारी (आर.सी.एच.) मेरठ मंडल, मंडलीय रीजनल मैनेजर (कम्युनिटी प्रोसेस), जिला प्रोग्राम मैनेजर, मंडलीय प्रोग्राम ऑफिसर किलकारी मोबाइल एकेडमी तथा अन्य स्वास्थ्य अधिकारी एवं प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस प्रकार, किलकारी और मोबाइल एकेडमी कार्यक्रम भारत सरकार की एक अभिनव और डिजिटल स्वास्थ्य पहल है, जो गर्भवती महिलाओं, नवजातों एवं समुदाय स्तर पर काम कर रही आशाओं के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। ये सेवाएं मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने और स्वास्थ्य सेवाओं को सुगम एवं सुलभ बनाने में एक सशक्त माध्यम बन रही हैं।