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राष्ट्रीय मिर्गी दिवस
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
हर वर्ष 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, लेकिन इसके बारे में समाज में कई तरह के अंधविश्वास आज भी प्रचलित हैं, जिसके कारण मरीज समय पर और नियमित इलाज नहीं करा पाते।
प्रतिमाह 150 सें अधिक मरीज
गाजियाबाद के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में हर महीने 150 से अधिक मिर्गी के मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर उपचार और नियमित दवाइयों से अधिकांश मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन कई लोग बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है।प्रसिद्ध डॉ. बी.पी. त्यागी बताते हैं कि मिर्गी में दिमाग में असामान्य विद्युत तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो शरीर के संतुलन और व्यवहार को प्रभावित करती हैं। इसके कारण ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क में चोट, संक्रमण, स्ट्रोक, ऑटोइम्यून रोग या जन्मजात विकृतियाँ भी हो सकती हैं।
सावधानी है ज़रूरी
उन्होंने कहा कि मिर्गी में दौरे आने पर व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर लिटाना चाहिए और उसके आसपास कोई नुकीली वस्तु नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, मरीज के मुंह में कुछ भी डालने की गलती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे सांस रुकने का खतरा बढ़ जाता है।डॉ. त्यागी ने लोगों से आग्रह किया कि मिर्गी को अंधविश्वास या डर से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक उपचार और जागरूकता से ही नियंत्रित किया जा सकता है। नियमित दवाइयाँ, समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श और तनाव से दूरी रखने से मरीज स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का संदेश है कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है। सही इलाज से मरीज पूरी तरह सामान्य जीवन की ओर लौट सकता है। इसलिए लोगों को जागरूक होना चाहिए और समाज को मिर्गी से जुड़े मिथकों को खत्म करना चाहिए।
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