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Health News : झोलाछाप डॉक्टरों का बढ़ता खतरा,जिम्मेदार कौन?

जनपद में झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती संख्या एक गंभीर और चिंताजनक समस्या बनती जा रही है। मोदीनगर, मुरादनगर, मसूरी, शहीद नगर, नंदग्राम, लोनी और खोड़ा जैसे क्षेत्रों में इन अनधिकृत चिकित्सकों का कारोबार दिन-ब-दिन फल-फूल रहा है। यह हालात केवल स्वास्थ्य सेवाओ

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Syed Ali Mehndi
काल्पनिक फोटो

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गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

जनपद में झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती संख्या एक गंभीर और चिंताजनक समस्या बनती जा रही है। मोदीनगर, मुरादनगर, मसूरी, शहीद नगर, नंदग्राम, लोनी और खोड़ा जैसे क्षेत्रों में इन अनधिकृत चिकित्सकों का कारोबार दिन-ब-दिन फल-फूल रहा है। यह हालात केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल नहीं उठाते, बल्कि गरीब और अनपढ़ जनता की जान के साथ खुला खिलवाड़ भी करते हैं।

खोड़ा में मजदूर की मौत 

इन तथाकथित डॉक्टरों के खिलाफ कई बार खबरें सामने आई हैं, जिनमें गलत इलाज या नकली दवाओं के कारण मरीजों की मौत हो गई। उदाहरण के तौर पर खोड़ा क्षेत्र में एक मजदूर की झोलाछाप डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाने से मौत होना एक बड़ा मामला था, लेकिन इसके बाद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया। पिछले पाँच वर्षों में ऐसे अनेक प्रकरण सामने आए हैं, मगर कार्रवाई के नाम पर केवल नोटिस जारी कर देना और मामले को ठंडे बस्ते में डाल देना ही आम हो गया है।

वैध पंजीकरण आवश्यक

स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह स्पष्ट नियम है कि किसी भी डॉक्टर को प्रैक्टिस करने के लिए न सिर्फ संबंधित डिग्री की आवश्यकता होती है, बल्कि क्लिनिक या अस्पताल का वैध पंजीकरण हर साल कराना अनिवार्य होता है। इसके बावजूद सवाल उठता है कि झोलाछाप डॉक्टर इन नियमों को धता बताकर खुलेआम कैसे काम कर रहे हैं? क्या यह केवल विभागीय लापरवाही है, या फिर किसी बड़े भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा है जिसमें कुछ अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं?

 झोलाछाप डॉक्टर्स के आयोजन

आश्चर्यजनक बात यह है कि ये झोलाछाप डॉक्टर कभी किसी संगठन के नाम पर, तो कभी किसी निजी एसोसिएशन की आड़ में बड़े-बड़े समारोह आयोजित करते हैं, जहाँ उन्हें “मेंबरशिप सर्टिफिकेट” और “सम्मान पत्र” जैसे दस्तावेज भी बांटे जाते हैं। मीडिया में इन आयोजनों की तस्वीरें और खबरें छपती हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग आंखें मूंदे रहता है। लगता है जैसे विभाग इन आयोजनों को देखता ही नहीं, या देखना ही नहीं चाहता। इस पूरे मामले में सबसे अधिक प्रभावित वे गरीब और अशिक्षित लोग होते हैं, जो सरकारी अस्पतालों में भीड़ या उपेक्षा के कारण इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज के लिए जाते हैं। न तो वे सही इलाज पा पाते हैं, और न ही उनके पास अपने साथ हुई चिकित्सा लापरवाही की शिकायत करने का कोई सशक्त माध्यम होता है।

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सो रहा है स्वास्थ्य विभाग

समय आ गया है जब स्वास्थ्य विभाग को इस गहरी साजिश और लापरवाही के विरुद्ध कठोर कदम उठाने चाहिए। झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान कर उनके क्लिनिकों को सील करना, उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करना और जनजागरूकता अभियान चलाना नितांत आवश्यक है। साथ ही, सरकार को चाहिए कि वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार करे, ताकि गरीबों को झोलाछापों की ओर रुख करने की जरूरत ही न पड़े। जब तक स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता, तब तक गाजियाबाद की जनता को ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों से खतरा बना रहेगा। यह केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि इंसानियत का भी प्रश्न है।

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